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राज्य सूचना आयुक्त ने अफसरों को फटकारा, जिसमें भ्रष्टाचार की पोल खुलने का था डर, दबा रखी थी फाइल, जानिए फिर क्या हुआ

locationरीवाPublished: Jul 22, 2019 11:59:22 am

Submitted by:

Mrigendra Singh

फर्जीवाड़े की पोल खुलने के डर से नहीं दी जानकारी, आयुक्त ने फटकारा तो नि:शुल्क उपलब्ध कराई- राज्य सूचना आयोग में 30 अपीलों में आवेदकों और संबंधित अधिकारियों के साथ हुई चर्चा- पहली बार वीडियो कांफ्रेंसिंग में बड़े स्तर पर सूचना आयोग ने की सुनवाई

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State information commissioner, video conferencing in case of rewa



रीवा। राज्य सूचना आयुक्त ने रीवा जिले से जुड़े मामलों की दायर अपीलों की सुनवाई के लिए स्पेशल वीडियो कांफ्रेंसिंग कार्यक्रम आयोजित किया। करीब तीन घंटे तक चली इस सुनवाई में ३० मामलों पर संबंधित विभागों के अधिकारियों का पक्ष जाना गया। इसमें कई ऐसे चौकाने वाले मामले सामने आए, जिसे सुनकर सूचना आयुक्त भी दंग रह गए।
आवेदक ने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत गांवों में शौचालय बनाने के नाम पर राशि जारी की गई, बिना शौचालय बनाए ही लोगों के नाम पर राशि आहरित की गई और उन्हें पता तक नहीं चला है। दावा किया कि मोबाइल नंबर कोई 9 अंक का है या फिर कोई 11 अंक का दर्ज किया गया है। कुछ नंबर तो दूसरे प्रांतों की सीरीज के दर्ज कर दिए गए हैं। इस मामले को उजागर करने के लिए वह सत्यापित प्रति चाह रहा था, लेकिन तीन साल से विभाग के अधिकारी भटका रहे हैं।
नईगढ़ी क्षेत्र के देवरी बघेलान निवासी रामभजन पटेल ने राज्य सूचना आयोग में अपील दायर की थी। ७५ गांवों में शौचालय निर्माण का पूरा ब्यौरा मांगा था। आयुक्त ने लोकसूचना अधिकारी दिलीप केवट को कारण बताओ नोटिस जारी करने का निर्देश दिया तो सीइओ ने कहा कि वह जानकारी देने के लिए तैयार हैं, लेकर भी आए हैं। मौके पर ही आवेदक को नि:शुल्क जानकारी दी गई।
राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार जो जानकारी दी जा सकती है, उसे समय सीमा में उपलब्ध कराएं। आवेदक रामभजन ने छह अन्य अपीलों पर कहा कि लंबा अंतराल होने के चलते उक्त दस्तावेजों की अब जरूरत नहीं है।
आरटीओ ने कर दिए एक ही वाहन के तीन रजिस्ट्रेशन
शहर के विंध्य विहार कालोनी में रहने वाले आवेदक नरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव ने आयोग में अपील दायर की थी कि उनके वाहन के तीन रजिस्ट्रेशन नंबर जारी कर दिए गए हैं, किस प्रक्रिया के तहत यह किया गया, आरटीआई के तहत जानकारी मांगी तो नहीं दे रहे हैं। इस मामले में आयोग ने कहा विभाग की कमियां छिपाने के लिए अधिनियम की अवहेलना उचित नहीं है।
आरटीओ ने बताया कि वाहन के शोरूम की तकनीकी कमियों के चलते ऐसा हुआ था। उसी के अनुरोध पर गाड़ी का रजिस्ट्रेशन नए सिरे से किया गया था। आवेदक ने मांगा था कि रजिस्ट्रेशन नंबर बदलने के लिए किसकी ओर से आवेदन दिया गया है, उसकी कापी उपलब्ध कराई जाए। आरोप था कि बिना सूचना दिए ही आरटीओ कार्यालय ने नंबर बदल दिया। पूर्व में तत्कालीन कलेक्टर प्रीती मैथिल ने भी आरटीओ को निर्देश दिया था कि जानकारी उपलब्ध कराई जाए, इसके बाद भी नहीं दी। आयोग को आरटीओ ने बताया कि आवेदक को जो जानकारी दी गई है, वह संतुष्ट हैं।
चीफ इंजीनियर को बनाया डीम्ड लोकसूचना अधिकारी
विद्युत वितरण कंपनी के कई मामले लगे थे, वीडियो कांफ्रेंसिंग में कोई भी अधिकारी शामिल नहीं हुआ। इस पर आयुक्त ने सभी मामलों में लोक सूचना अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए निर्देश दिया है कि रीवा के चीफ इंजीनियर उक्त मामलों में डीम्ड लोक सूचना अधिकारी होंगे। जिनकी जवाबदेही होगी कि निर्धारित समय पर अपीलार्थी को सूचना उपलब्ध कराएं। इसके अलावा एमपीआरडीसी के अधिकारी भी उपस्थित नहीं रहे तो उन्हें भी नोटिस जारी करने के लिए कहा है।
कार्यालय से गायब हो गए आवेदन
गंगेव जनपद के हिनौती ग्राम पंचायत में शिवानंद द्विवेदी निवासी कैथा का दिया गया आवेदन गायब है। जनपद के अधिकारी ने भी यही जवाब दिया। आयुक्त ने कहा कि अपीलकर्ता ने सारे दस्तावेज आयोग को उपलब्ध कराएं हैं। इस पर सीइओ ने गलती को स्वीकार किया। लोकसूचना अधिकारी की निंदा करते हुए अपील खारिज कर दी गई।
थर्ड पार्टी की सहमति पर ही जानकारी दें
राज्य सूचना आयुक्त ने कहा है कि यदि किसी थर्ड पार्टी की जानकारी चाही जाती है तो उसे संबंधित की सहमति के बिना जानकारी उपलब्ध नहीं कराएं। विश्वविद्यालय, टीआरएस कालेज, पीडब्ल्यूडी सहित अन्य विभागों में व्यक्तिगत जानकारी मांगी गई थी। टीआरएस कालेज के एक मामले में यह भी निर्देश दिया कि संस्था से जुड़ी जो भी जानकारी मांगी गई है उसे उपलब्ध कराया जाए।
कई आवेदक आए ही नहीं
सूचना आयोग में अपील करने वाले कई आवेदक पहुंचे ही नहीं। आयोग ने ३० मामलों को सुनवाई में रखा था। जिसमें प्रमुख रूप से रमाकांत मिश्रा अनंतपुर का बिजली कंपनी, केशव बहेलिया जबलपुर को हनुमना तहसील, केदारीलाल वैश्य ग्वालियर का लोकायुक्त कार्यालय, नरेन्द्र सिंह गहरवार शहडोल का आइटीआई, रामनिवास पटेल बदवार का सहकारिता, नरेन्द्र श्रीवास्तव रीवा का आरटीओ, डॉ. देवेन्द्र प्रताप सिंह भोपाल का सीएमएचओ एवं टीआरएस कालेज, चंद्रशेखर अग्रिहोत्री कटनी का विश्वविद्यालय, संजय वर्मा बरा कोठार का विश्वविद्यालय, अरविंद मिश्रा सीधी का इओडब्ल्यू, रोजीना खान विश्वविद्यालय, अरुण सिंह रीवा ने टीआरएस कालेज, एमपीआरडीसी, एसडीएम त्योथर,बिजली कंपनी, पीडब्ल्यूडी सहित सात अपील की थी। सूर्यमणि द्विवेदी जनपद मऊगंज, शिवानंद द्विवेदी हिनौती पंचायत एवं रामभजन पटेल निवासी देवरी बघेलान ने सात अपील की थी। अधिकांश आवेदक नहीं पहुंचे।

रीवा के 30 मामलों की सुनवाई के लिए वीडियो कांफ्रेंसिंग की गई। इससे अपीलार्थी और अधिकारियों के समय की बचत होती है। नौ प्रकरण खारिज किए गए हैं, इतने ही प्रकरणों का निराकरण किया गया है। शेष में सुनवाई आगे बढ़ाई गई है।
राहुल सिंह, राज्य सूचना आयुक्त
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