अस्पताल ले जाने की बजाय झाडफ़ूंक में समय गंवाया
यहां शिक्षक एक और लापरवाही कर बैठे। बच्चे को अस्पताल पहुंचाने की बजाय स्कूल में झाडफ़ूंक करने वाले को बुला लिया। करीब दो घंटे तक झाड़-फूंक करवाते रहे। जब तबीयत नहीं ठीक हुई, तो लेकर प्राथमिक स्वास्थ केंद्र पहुंचे। यहां मेडिकल कॉलेज ले जाने को कहा गया। मेडिकल कॉलेज में चिकित्सकों ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया।
यहां शिक्षक एक और लापरवाही कर बैठे। बच्चे को अस्पताल पहुंचाने की बजाय स्कूल में झाडफ़ूंक करने वाले को बुला लिया। करीब दो घंटे तक झाड़-फूंक करवाते रहे। जब तबीयत नहीं ठीक हुई, तो लेकर प्राथमिक स्वास्थ केंद्र पहुंचे। यहां मेडिकल कॉलेज ले जाने को कहा गया। मेडिकल कॉलेज में चिकित्सकों ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया।
शिक्षकों ने साधी चुप्पी, परिजनों ने कहा दर्ज हो गैर इरादतन हत्या का मामला
इस मामले को लेकर शिक्षक पूरी तरह से चुप्पी साध गए हैं। वहीं परिजन काफी नाराज हैं। उनका कहना है कि स्कूल बच्चों को पढऩे भेजा जाता है। रद्दी किताबें निकालने या अन्य कार्य के लिए नहीं। शिक्षकों ने शुरूआती दौर में परिजनों को सूचना भी नहीं दी। ऐसे शिक्षकों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामल दर्ज होना चाहिए।
इस मामले को लेकर शिक्षक पूरी तरह से चुप्पी साध गए हैं। वहीं परिजन काफी नाराज हैं। उनका कहना है कि स्कूल बच्चों को पढऩे भेजा जाता है। रद्दी किताबें निकालने या अन्य कार्य के लिए नहीं। शिक्षकों ने शुरूआती दौर में परिजनों को सूचना भी नहीं दी। ऐसे शिक्षकों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामल दर्ज होना चाहिए।
नियम विरुद्ध किताब की बिक्री
इस मामले में शिक्षकों की घोर लापरवाही सामने आई है। वे जिन किताबों को कबाड़ वाले को बेचने जा रहे थे। वे शासन स्तर पर बच्चों को सप्लाई की जाने वाली विगत सत्र की किताबें हैं। शत-प्रतिशत बच्चों को किताबें वितरित नहीं की गई। वहीं जब सत्र खत्म हुआ,तो शिक्षक उन किताबों को कबाड़ वाले को बेचने जा रहे थे।
इस मामले में शिक्षकों की घोर लापरवाही सामने आई है। वे जिन किताबों को कबाड़ वाले को बेचने जा रहे थे। वे शासन स्तर पर बच्चों को सप्लाई की जाने वाली विगत सत्र की किताबें हैं। शत-प्रतिशत बच्चों को किताबें वितरित नहीं की गई। वहीं जब सत्र खत्म हुआ,तो शिक्षक उन किताबों को कबाड़ वाले को बेचने जा रहे थे।