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शिक्षकों ने की ऐसी अमानवीयता कि मासूम छात्र की चली गई जान, दो घंटे तक देखते रहे तमाशा

locationरीवाPublished: Jul 12, 2019 06:54:32 pm

Submitted by:

Balmukund Dwivedi

इस मौत का जिम्मेदार कौन: सरकारी स्कूल के शिक्षकों का अमानवीय चेहरा, छात्र से निकलवा रहे थे रद्दी किताबें

Student death in school

Student death in school

सतना. रीवा. कोटर के गोलहटा गांव स्थित सरकारी स्कूल में शिक्षकों का अमानवीय चेहरा गुरुवार को सामने आया। स्कूल के शिक्षक पढऩे आए एक आठ वर्षीय छात्र से स्टोर में रखी रद्दी किताबें निकलवा रहे थे। इसी दौरान जहरीले कीड़े ने काट दिया। छात्र की तबीयत बिगडऩे लगी, तो शिक्षक झाड़-फूंक कराने लगा। इसमें काफी समय बर्बाद हुआ। बाद में छात्र को मेडिकल कॉलेज रीवा ले जाया गया, जहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। शासकीय प्राथमिक पाठशाला गोलहटा में विकास साकेत (8) कक्षा तीसरी का छात्र था। गुरुवार को स्कूल में पदस्थ शिक्षक विनय साकेत व बृजलाल साकेत ने रद्दी किताबों को बेचने के लिए कबाड़ वाले को बुलाया। जब कबाड़ी पहुंचा, तो शिक्षकों ने छात्र को रद्दी में पड़ी किताबों को एक कमरे से निकालने का आदेश दे दिया। इसके बाद विकास कमरे से किताब निकलने लगा। इसी दौरान किसी कीड़े ने उसे काट लिया।
अस्पताल ले जाने की बजाय झाडफ़ूंक में समय गंवाया
यहां शिक्षक एक और लापरवाही कर बैठे। बच्चे को अस्पताल पहुंचाने की बजाय स्कूल में झाडफ़ूंक करने वाले को बुला लिया। करीब दो घंटे तक झाड़-फूंक करवाते रहे। जब तबीयत नहीं ठीक हुई, तो लेकर प्राथमिक स्वास्थ केंद्र पहुंचे। यहां मेडिकल कॉलेज ले जाने को कहा गया। मेडिकल कॉलेज में चिकित्सकों ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया।
शिक्षकों ने साधी चुप्पी, परिजनों ने कहा दर्ज हो गैर इरादतन हत्या का मामला
इस मामले को लेकर शिक्षक पूरी तरह से चुप्पी साध गए हैं। वहीं परिजन काफी नाराज हैं। उनका कहना है कि स्कूल बच्चों को पढऩे भेजा जाता है। रद्दी किताबें निकालने या अन्य कार्य के लिए नहीं। शिक्षकों ने शुरूआती दौर में परिजनों को सूचना भी नहीं दी। ऐसे शिक्षकों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामल दर्ज होना चाहिए।
नियम विरुद्ध किताब की बिक्री
इस मामले में शिक्षकों की घोर लापरवाही सामने आई है। वे जिन किताबों को कबाड़ वाले को बेचने जा रहे थे। वे शासन स्तर पर बच्चों को सप्लाई की जाने वाली विगत सत्र की किताबें हैं। शत-प्रतिशत बच्चों को किताबें वितरित नहीं की गई। वहीं जब सत्र खत्म हुआ,तो शिक्षक उन किताबों को कबाड़ वाले को बेचने जा रहे थे।
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