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बाजार के रेडिमेड थिसिस व प्रोजेक्ट के दम पर छात्रों की हो रही पढ़ाई

locationरीवाPublished: May 11, 2018 07:15:07 pm

Submitted by:

Balmukund Dwivedi

विश्वविद्यालय व संबद्ध महाविद्यालयों में शैक्षणिक कार्य की हकीकत, बाजार में बिक रहे थिसिस व प्रोजेक्ट, छात्रों की डिमांड पर हो जाते हैं तैयार
 

Students studying on the basis of readymade thesis and project

Students studying on the basis of readymade thesis and project

पत्रिका ग्राउंड रिपोर्ट:-
बाजार के रेडिमेड थिसिस व प्रोजेक्ट के दम पर छात्रों की पढ़ाई
फोटो – १९ -शहर में इस तरह की लगी सूचना कई बाजारों में दिख जाएगी

रीवा. अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय व उसके संबद्ध महाविद्यालय हो या दूसरे विश्वविद्यालयों की शाखाएं। बाजार में ऑन डिमांड प्रोजेक्ट वर्क व थिसिस की उपलब्धता शैक्षणिक गुणवत्ता पर सवालिया निशान लगा रहा है।छात्र प्रोजेक्ट व शोध से संबंधित कार्य करने के बजाए बाजार में उपलब्ध प्रोजेक्ट का उपयोग कर केवल अंक बटोरने तक सीमित हैं।
नकेल नहीं लगाई जा रही
विश्वविद्यालय से लेकर महाविद्यालय तक में स्नातक व स्नातकोत्तर स्तर के प्रोजेक्ट वर्क में और पीएचडी के छात्र थिथिस के लिए बाजार में उपलब्ध रेडिमेड सामग्री का सहारा ले रहे हैं। बाजार में खुलेआम दुकानदारों ने इस बात के पोस्टर लगा रखे हैं कि उनके यहां प्रोजेक्ट व थिसिस रेडीमेड उपलब्ध है। खुलेआम चल रहे इस खेल में फिलहाल अभी तक कोई नकेल नहीं लगाई जा रही है।
प्रोफेसरों से रहती है दुकानदारों से साठगांठ
बाजार में दुकानदारों का यह कारनामा विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों के प्राध्यापकों की साठगांठ का नतीजा माना जा रहा है।सूत्रों की माने तो प्राध्यापकों की ओर से छात्रों को मिलता-जुलता वहीं टॉपिक दिया जाता है। जिसका मैटेरियल बाजार की दुकानों में उपलब्ध होता है। वैसे तो इस मामले में कोईभी छात्र बोलने को तैयार नहीं है। लेकिन हकीकत यह है कि प्राध्यापक छात्रों को टॉपिक बताने के साथ ही संबंधित दुकान का भी नाम सुझा देते हैं, जहां रेडीमेड सामग्री मिल जाएगी।
विश्वविद्यालय तक पहुंची शिकायत
वैसे तो इस मामले में अभी तक कोई खुलकर सामने नहीं आया है। लेकिन सूत्रों की माने बाजार में मिल रहे रेडिमेड प्रोजेक्ट व थिसिस की शिकायत अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय व शासन स्तर से की गई है। लंबे समय से चल रहे इस खेल की शिकायत में प्राध्यापकों की दुकानदारों से मिलीभगत की शिकायत भी की गई है। हालांकि इस मामले में विश्वविद्यालय अधिकारी कोई कार्रवाई करने की स्थिति में नहीं दिख रहे हैं।
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