विश्वविद्यालय से लेकर महाविद्यालय तक में स्नातक व स्नातकोत्तर स्तर के प्रोजेक्ट वर्क में और पीएचडी के छात्र थिथिस के लिए बाजार में उपलब्ध रेडिमेड सामग्री का सहारा ले रहे हैं। बाजार में खुलेआम दुकानदारों ने इस बात के पोस्टर लगा रखे हैं कि उनके यहां प्रोजेक्ट व थिसिस रेडीमेड उपलब्ध है। खुलेआम चल रहे इस खेल में फिलहाल अभी तक कोई नकेल नहीं लगाई जा रही है।
बाजार में दुकानदारों का यह कारनामा विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों के प्राध्यापकों की साठगांठ का नतीजा माना जा रहा है।सूत्रों की माने तो प्राध्यापकों की ओर से छात्रों को मिलता-जुलता वहीं टॉपिक दिया जाता है। जिसका मैटेरियल बाजार की दुकानों में उपलब्ध होता है। वैसे तो इस मामले में कोईभी छात्र बोलने को तैयार नहीं है। लेकिन हकीकत यह है कि प्राध्यापक छात्रों को टॉपिक बताने के साथ ही संबंधित दुकान का भी नाम सुझा देते हैं, जहां रेडीमेड सामग्री मिल जाएगी।
वैसे तो इस मामले में अभी तक कोई खुलकर सामने नहीं आया है। लेकिन सूत्रों की माने बाजार में मिल रहे रेडिमेड प्रोजेक्ट व थिसिस की शिकायत अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय व शासन स्तर से की गई है। लंबे समय से चल रहे इस खेल की शिकायत में प्राध्यापकों की दुकानदारों से मिलीभगत की शिकायत भी की गई है। हालांकि इस मामले में विश्वविद्यालय अधिकारी कोई कार्रवाई करने की स्थिति में नहीं दिख रहे हैं।