घर का खर्च चलाने के साथ अपने लिए भी जुटा रहे रुपए
साइकिल से मोहल्लों में सब्जी बेचने वाले राजकुमार की मानें तो उसके पिता का व्यवसाय बंद है, इसलिए अब घर का खर्च चलाना मुश्किल हो रहा है। पिता ने भी फलों का ठेला लगाना शुरू कर दिया है, इसलिए साइकिल से वह सब्जियां बेच रहा है। स्नातक प्रथम वर्ष का छात्र है, अभी पढ़ाई को लेकर भी अनिश्चितता है। इसलिए परिवार के साथ ही स्वयं की पढ़ाई के खर्च के लिए रुपए जुटा रहा है। इसी तरह मनोज रजक की भी कहानी है, जो आठ किलोमीटर दूर से शहर आकर एक किराना दुकान की सामग्री घरों में होमडिलेवरी कर रहा है।
साइकिल से मोहल्लों में सब्जी बेचने वाले राजकुमार की मानें तो उसके पिता का व्यवसाय बंद है, इसलिए अब घर का खर्च चलाना मुश्किल हो रहा है। पिता ने भी फलों का ठेला लगाना शुरू कर दिया है, इसलिए साइकिल से वह सब्जियां बेच रहा है। स्नातक प्रथम वर्ष का छात्र है, अभी पढ़ाई को लेकर भी अनिश्चितता है। इसलिए परिवार के साथ ही स्वयं की पढ़ाई के खर्च के लिए रुपए जुटा रहा है। इसी तरह मनोज रजक की भी कहानी है, जो आठ किलोमीटर दूर से शहर आकर एक किराना दुकान की सामग्री घरों में होमडिलेवरी कर रहा है।
जो गांव गए खेती में बंटा रहे हाथ
लॉकडाउन मार्च के तीसरे सप्ताह से प्रारंभ होने के बाद बड़ी संख्या में छात्र जो रीवा में रह रहे थे, वे अपने गांवों की ओर चले गए हैं। पहले घर में खेती के काम में हाथ बंटाकर परिवार का खर्च बचाया। मनसुख कोल की मानें तो स्नातक अंतिम वर्ष का छात्र है, इस समय गांव में तेंदू पत्ता तोडऩे जा रहे परिवार के सदस्यों के साथ वह भी जा रहा है। इसके पहले फसल कटाई में परिवार के साथ दूसरों के यहां मजदूरी भी की थी।
लॉकडाउन मार्च के तीसरे सप्ताह से प्रारंभ होने के बाद बड़ी संख्या में छात्र जो रीवा में रह रहे थे, वे अपने गांवों की ओर चले गए हैं। पहले घर में खेती के काम में हाथ बंटाकर परिवार का खर्च बचाया। मनसुख कोल की मानें तो स्नातक अंतिम वर्ष का छात्र है, इस समय गांव में तेंदू पत्ता तोडऩे जा रहे परिवार के सदस्यों के साथ वह भी जा रहा है। इसके पहले फसल कटाई में परिवार के साथ दूसरों के यहां मजदूरी भी की थी।
ऑटो बंद हुआ तो फल सब्जी बेच रहे
स्कूलों के बच्चों को ऑटो से पहुंचाने का काम करने वाले सुधाकर तिवारी का काम ठप हो गया है। स्कूल भी बंद है और सड़क पर ऑटो से सवारियां भी नहीं ढो पाते हैं। इसलिए उनका बेटा शिवम भी ऑटो में रखकर पिता के साथ सब्जी और फल बेच रहा है। सुबह मंडी से खरीदने के बाद मोहल्ले में जाते हैं। शिवम की मानें तो परिवार का खर्च चलाने के लिए यह करना आवश्यक है। इस समय कॉलेज भी बंद है।
स्कूलों के बच्चों को ऑटो से पहुंचाने का काम करने वाले सुधाकर तिवारी का काम ठप हो गया है। स्कूल भी बंद है और सड़क पर ऑटो से सवारियां भी नहीं ढो पाते हैं। इसलिए उनका बेटा शिवम भी ऑटो में रखकर पिता के साथ सब्जी और फल बेच रहा है। सुबह मंडी से खरीदने के बाद मोहल्ले में जाते हैं। शिवम की मानें तो परिवार का खर्च चलाने के लिए यह करना आवश्यक है। इस समय कॉलेज भी बंद है।