लंबे समय तक गंगा कछार रीवा क्षेत्र में पदस्थ रहे मथुरा प्रसाद चतुर्वेदी कार्यपालन यंत्री, अधीक्षण यंत्री सहित कई प्रमुख पदों का दायित्व संभाल चुके हैं। यहां उन पर करीब आधा दर्जन से अधिक आर्थिक अनियमितता से जुड़ी शिकायतें विभाग एवं इओडब्ल्यू में लंबित हैं।
हाल ही में विभाग ने उनसे वसूली का जो निर्देश दिया है, वह अनूपपुर में बीआरजीएफ के तहत दैखल स्टाप डेम के निर्माण में हुई अनियमितता से जुड़ा है। आरोप है कि तकनीकी परीक्षण किए बिना ही स्टाप डेम बनवा दिया और उसकी गुणवत्ता इतनी खराब रही कि पहली ही बरसात में टूट गया। इस मामले में उनके विरुद्ध विभागीय जांच बैठाई गई थी, जहां पर समाधानकारक जवाब नहीं दिए जाने के चलते विभाग ने कार्रवाई करने का आदेश जारी किया है। मथुरा प्रसाद ३१ मार्च २०१४ को अधीक्षण यंत्री के पद से रिटायर हो चुके हैं। डेम के निर्माण में विभाग द्वारा खर्च किए गए ३० लाख रुपए का नुकसान पहुंचा है, जिसके चलते उनके रिटायर्ड होने के बाद वसूली किए जाने का निर्देश दिया गया है। बताया गया है कि दस लाख रुपए की वसूली होनी है, जिसमें पेंशन की राशि से पांच वर्ष
तक दस प्रतिशत की राशि कटौती की जाएगी।
तक दस प्रतिशत की राशि कटौती की जाएगी।
कांग्रेस सरकार ने दी स्वीकृति
बाणसागर घोटाले से जुड़े अधिकारियों के कई मामलों में पूर्व की राज्य सरकार ने फाइलें ही वापस कर दी थी। उक्त अधिकारी की पेंशन से वसूली के लिए लोक सेवा आयोग द्वारा अभिमत दिए जाने के बावजूद सरकार ने इसकी स्वीकृति नहीं दी थी। प्रदेश में नई सरकार बनने के बाद गत दिवस कैबिनेट ने इस पर निर्णय दिया है कि रिटायर्डअधीक्षण यंत्री की पेंशन से घोटाले की राशि की कटौती की जाए।
बाणसागर घोटाले से जुड़े अधिकारियों के कई मामलों में पूर्व की राज्य सरकार ने फाइलें ही वापस कर दी थी। उक्त अधिकारी की पेंशन से वसूली के लिए लोक सेवा आयोग द्वारा अभिमत दिए जाने के बावजूद सरकार ने इसकी स्वीकृति नहीं दी थी। प्रदेश में नई सरकार बनने के बाद गत दिवस कैबिनेट ने इस पर निर्णय दिया है कि रिटायर्डअधीक्षण यंत्री की पेंशन से घोटाले की राशि की कटौती की जाए।