करीब घंटेभर की मशक्कत के बाद एंबुलेंस के गेट को सब्बल से खोला गया, तब तक महिला की हालत और गंभीर हो चुकी थी। जैसे ही गेट खुला तत्काल मरीज को आइसीयू वार्ड में भर्ती कराया गया। दोपहर करीब डेढ़ बजे शहर के नजदीक गड़रिया (लोही) गांव से गुलाबवती उपाध्याय पत्नी विश्वनाथ प्रसाद (75) को 108 एंबुलेंस से उपचार के लिए संजयगांधी अस्पताल लाया गया।
जैसे ही गेट खोलने का प्रयास किया, वह लॉक हो गया। इसकी जानकारी अस्पताल के कर्मचारियों को हुई तो वह भी पहुंचे और एंबुलेंस का गेट खोलने में मदद कराई। करीब 50 मिनट तक महिला और उनके साथ आए दो परिजनों के साथ एंबुलेंस के चिकित्सक जयपाल सिंह भीतर ही फंसे रहे।
मेंटेनेंस के अभाव में खटारा हो रही एंबुलेंस जिलेभर से मरीजों को लेकर अस्पताल लाने वाली एंबुलेंस लगातार खटारा हालत में होती जा रही हैं। आए दिन इनमें तकनीकी खामियों की वजह से बीच रास्ते में ही मरीजों को परेशानी उठानी पड़ रही है। इन एंबुलेंस के समय पर पहुंचने से बड़ी संख्या में लोगों की जान बचाई जाती है खामियों की वजह से कई बार लोगों को बचाना मुश्किल हो जाता है।
एंबुलेंस वाहनों के रखरखाव को लेकर न तो जिगित्सा कंपनी गंभीर है और न ही इनकी निगरानी करने वाला स्वास्थ्य विभाग का अमला। इसके पहले भी कई लापरवाही सामने आ चुकी है फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है।
अस्पताल में हुई घटना, अधीक्षक को पता नहीं चला संजय गांधी अस्पताल में एंबुलेंस लॉक हो जाने से करीब घंटेभर मजमा लगा रहा और बड़ी मुश्किल से मरीज को बाहर निकाला जा सका। इस संबंध में रात्रि के आठ बजे तक अधीक्षक डॉ. पीके लखटकिया को जानकारी नहीं हुई। पत्रिका से चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि ऐसी घटना यदि हुई है तो वह मरीज के स्वास्थ्य का पता लगाएंगे।
108 एंबुलेंस की निगरानी के लिए एक नोडल की तैनाती की गई है, जिनका कार्य है कि यह समय-समय पर रखरखाव का परीक्षण करें। संजय गांधी अस्पताल में हुई घटना के बाद सभी वाहनों की जांच कराई जाएगी।
डॉ. आरएस पांडेय, सीएमएचओ रीवा
डॉ. आरएस पांडेय, सीएमएचओ रीवा