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मंदिरों के फूल-नारियल से लहलहाएगी हरियाली, आप भी घर में तैयार कर सकते हैं जैविक खाद

locationरीवाPublished: Apr 19, 2019 09:27:29 pm

Submitted by:

Rajesh Patel

मंदिर से निकले वाले अपशिष्ट से हर माह 1500 किलो तैयार की जा रही जैविक खाद -मंदिर परिसर में अपशिष्ट के अलावा भंडारे के भोजन से खाद बनाने की कवायद शुरू

The flowers of the temples - flavored with coconut greenery

The flowers of the temples – flavored with coconut greenery

रीवा. शहर के मंदिरों में उपयोग होने वाले फूल-नारियल से भक्तों के घर और आंगन में हरियाली लहलहाएगी। शहर के मुख्य मंदिरों में पिछले कुछ माह से फूल-नारियल के अपशिष्ट से जैविक खाद तैयार की जा रही है। खाद बनाने वाली संस्था का दावा है कि प्रारंभिक चरण में फूल-नारियल से तैयार की गई खाद भक्तों को दी जा रही है। जिससे भक्तों के घर, आंगन में लगाए गए फूल आदि के पौधे हरेभरे रहें।
मंदिरों में चढऩे वाले फूल से बनाई जा रही जैविक खाद
शहर में चिरहुला स्थित हनुमान मंदिर परिसर में हर माह चढऩे वाले फूल-नारियल आदि के अपशिष्ट से हर माह लगभग 400 किलो जैविक खाद तैयार की जा रही है। सबसे ज्यादा फूल मंगलवार और शनिवार को उपयोग किए जाते हैं। इसी तरह सांई मंदिर, शिव और रानी तालाब स्थित मंदिर में भी फूल-नारियल के अपशिष्ट से जैविक खाद तैयार की जा रही है। कुल मिलाकर सभी मंदिरों पर करीब १५०० किलो से अधिक जैविक खाद हर माह तैयार की जा रही है। मंदिर परिसरों में खाद तैयार कर रही एक निजी संस्था के संचालक पुष्पेन्द्र पांडेय बताते हैं कि मंदिर परिसर में तैयार की जा रही जैविक खाद ज्यादातर मंदिर में आने वाले भक्तों को सस्तेदर पर उपलब्ध कराई जा रही है। अमूमन यह खाद बड़े शहरों में महंगे दाम पर बिकती है। लेकिन मंदिर में पूर्जा-अर्चन करने वाले भक्तों को महज दस रुपए प्रति किलो की दर से उपलब्ध कराई जा रही है। जिससे भक्तों के घर, आंगन में लगाए गए फूल आदि के पौधे हरेभरे रहें।
अब भंडारे में बचे भोजन से बनेगी खाद
शहर के प्रमुख मंदिर परिसर में पिछले चार-पांच माह से अभी तक फूल, नारियल, बेलपत्ती आदि से जैविक खाद तैयार की जा रही थी। संचालक पुष्पेन्द्र का दावा है कि अब जल्द ही मंदिर परिसर में भंडारे आदि के बचे भोजन व अन्य अपशिष्ट से भी जैविक खाद तैयार की जाएगी। जिसके खाद से घर के गार्डन, पार्क के साथ ही फसलों के बेहतर उपत्पादन में उपयोग हो सकेगी। मशीन लाने की तैयारी पूरी कर ली गई है।
नारियल छिलके से तैयार हो रहा पाउर
मंदिर परिसर में फूल आदि निकलने वाले अपशिष्ट से खाद तैयार करने से पहले नारियल के छिलके का पाउडर बनाया जाता है। जिससे मंदिर परिसर से निकलने वाले गीले फूल को नारियल पाउर से सुखाने के बाद दोनों को मिक्स कर जैविक खाद तैयार की जा रही है। अपशिष्ट को खाद के रुप में परिवर्तित करने के लिए बायो सीएनजी की तरह बायोकोल का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा दुर्गंध को कंट्रोल के लिए भी केमिकल का इस्तेमाल किया जा रहा है।
जैविक खाद से जुड़ी खबर का पार्ट
मंदिर अपशिष्ट से तैयार की गई खाद उपयोगी है। अगर इस खाद को गोबर मिलाकर केचुआ खाद बना दी जाए तो और बेहर हो जाएगी। फूल, पौधों के साथ ही फल और फसल के उत्पादन में बेहतर उपयोग की जा सकेगी। घर में भी केचुआ खाद तैयार कर सकते हैं। गोबर की खाद में घर का अपशिष्ट मिलाकर वायु वाली जगह पर रखकर केचुआ डालें। सप्ताहभर पूरी तरह पकने के बाद जैविक खाद तैयार हो जाएगी। जैविक खाद में केचुआ डालने के बाद किसी तरह के केमिकल डालने की आश्वयकता नहीं है।
डॉ चंद्रजीत सिंह, खाद्य एवं कृषि वैज्ञानिक
घर में ही तैयार करें जैविक खाद
मंदिर में खाद तैयार कर रहे कर्मचारियों ने बताया कि जैविक खाद को आप घर में ही तैयार कर सकते हैं। मसलन चार लोगों का परिवार है सब्जी, भोजन आदि अपशिष्ट को एक पार्ट में भकर रख दें। जिसमें बायोगुलम डालने से खाद तैयार हो जाएगी। बदबू दबाने के लिए सनीबीट पाउडर का उपयोग करना होगा। १०० किलो कचरे में ३० किलो खाद तैयार होगी। जबकि फूड में चालीस किलो खाद बन जाएगी। गमले के उपयोग के अलावा सब्जी की फसल में उपयोग कर सकते हैं। अगर गोबर के साथ केचुआ मिलाकर बेचते हैं तो २५० से लेकर ४०० रुपए प्रति केजी केचुआ बिक जाता है। इसके अलावा १५० से लेकर २५० रुपए तक किलो तक खाद बिक जाएगी।
कचरे में फेंका जाता था फूल
शहर के मंदिरों का फूल और नारियल आदि अपशिष्ट चार माह पहले नगर निगम के कचरे में फेंका जाता था। चिरहुला मंदिर के पुजारी गोकरण महराज ने बताया पहले फूल का अपशिष्ट नगर निगम उठा ले जाता था। लेकिन अब मंदिर में जैविक खाद बनने लगी है। जिससे परिसर में साफ-सफाई रहती है। इसके अलावा खाद भक्त खरीद कर ले जाते हैं। गमला आदि में उपयोग कर रहे हैं।
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