ऐसी मान्यता है कि मंदिर में चोरी करने घुसे दो लड़कों के आंखों की रोशनी माता ने छीन ली थी। वर्तमान पुजारी देवी प्रसाद के बाबा भुवनेश्वर प्रसाद वर्ष 1950 में मंदिर में माता की पूजापाठ करते थे। उस समय दो बदमाश माता के जेवर चोरी करने के लिए मंदिर में घुसे थे जिनकी आंखों की रोशनी माता ने छीन ली थी। सुबह जब मंदिर के पुजारी पूजापाठ करने पहुंचे तब दोनों चोर मंदिर के अंदर ही बैठे मिले और उन्होंने पूरी घटना पुजारी को बताई। चोरों से नाराज माता को प्रसन्न करने के लिए पूजापाठ शुरू हुई और प्रसन्न होकर माता ने उनकी आंखों की रोशनी लौटा दी। वर्तमान पुजारी बताते है कि अभी भी एक दो बार ऐसा मंदिर में चोरी का प्रयास हुआ लेकिन उसके संकेत उन्हें मिल गए थे। रानी तालाब का यह मंदिर काफी प्राचीन है।
पुजारी के मुताबिक लवाना लोग यहां पर माता की मूर्ति लेकर आए थे। रात्रि होने पर विश्राम करने के लिए वे यहां रुके थे। सुबह आगे जाने के लिए जब उन्होंने दुबारा मूर्ति को उठाने का प्रयास किया तो मूर्ति नहीं उठी। तब वे मूर्ति को वहीं पर छोड़ कर चले गए। उसके बाद महराजा को माता ने स्वप्र देकर यहां पर मंदिर स्थापित करने का आदेश दिया जिसके बाद रानी तालाब मंदिर की स्थापना की गई है।