scriptरीवा में भाजपा की बड़ी जीत और कांग्रेस की हार का यह रहा असली कारण, यहां जानिए विस्तार से | The real reason for BJP's big win in Rewa and the defeat of Congress | Patrika News

रीवा में भाजपा की बड़ी जीत और कांग्रेस की हार का यह रहा असली कारण, यहां जानिए विस्तार से

locationरीवाPublished: May 24, 2019 12:00:40 pm

Submitted by:

Mrigendra Singh

– बसपा और कांग्रेस का वोट बैंक कहा जाने वाला तबका खुलकर आया भाजपा के साथ

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The real reason for BJP’s big win in Rewa and the defeat of Congress

रीवा। कभी समाजवाद और फिर कांग्रेस का गढ़ रहे रीवा पर भाजपा ने अपनी पैठ घर-घर बनाने में कामयाबी हासिल कर ली है। जनसंघ के समय संघर्ष किया और भाजपा के गठन के बाद करीब दो दशक तक संगठन विस्तार पर ध्यान दिया। सबसे बड़े राजनीतिक संगठन के रूप में उभरे इस दल ने समाज के हर तबके को साधने का काम किया है।

जातिवादी राजनीति का केन्द्र रहे इस क्षेत्र में हर वर्ग तक पहुंचने अलग-अलग तरीके अपनाए गए। प्रदेश में रही पूर्व सरकार के कामकाज और केन्द्र की मोदी सरकार की उन योजनाओं को बताने में संगठन कामयाब रहा जो गरीबों के लिए लागू की गई हैं। सबसे अधिक असर आवास योजना का हुआ है। जो झुग्गियों या फिर खपरैल में रहते थे, उन्हें अब पक्के मकान के साथ ही शौचालय, बिजली, रसोई गैस भी मिला है जिसे दूर की कल्पना माना करते थे। करीब दो वर्षों से इन योजनाओं को बताने के लिए संगठन ने घर-घर संपर्क किया। इसका सबसे बड़ा असर यह हुआ कि जो वोटबैंक बसपा का माना जाता था वह अब भाजपा के साथ आ गया। इसी के जरिए रीवा से बसपा की जड़ें टूट गईं।
वहीं मध्यम वर्ग ने भी मोदी के नाम पर भाजपा का साथ दिया है। पाकिस्तान पर सर्जिकल और एयर स्ट्राइक को राष्ट्रवाद से जोड़कर भाजपा ने प्रचारित किया। जिसे लोगों ने स्वीकार किया और कहा है कि मोदी के हाथ में देश सुरक्षित है। कई मतदाता तो ऐसे भी हैं जिन्होंने इसलिए वोट दे दिया कि मोदी जरूर कुछ करेगा, क्या होगा यह उन्हें भी नहीं पता। इस तरह से लोगों तक पहुंचने में भाजपा कामयाब रही है।
पांच साल तक सांसद रहे जनार्दन मिश्रा भी स्वीकार करते हैं कि यह जीत उनकी नहीं बल्कि मोदी की लोकप्रियता का नतीजा है। चुनाव प्रचार के दौरान भी वह कहते रहे हैं कि जो हमसे नाराज भी हों, वह भी मोदी के नाम पर भाजपा को वोट करें। जातियों का जोर इस बार के चुनाव में नजर नहीं आया।
पिछले चुनाव की तुलना में इस बार भाजपा का वोट शेयर भी जिले में बढ़ा है। 2014 के चुनाव में 46.2 फीसदी वोट शेयर के साथ जनार्दन मिश्रा जीते थे। इस बार यह बढ़कर 58 प्रतिशत के करीब हो गया है। रीवा जिले में भाजपा का अब तक का यह सर्वेश्रेष्ठ प्रदर्शन है।
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मोदी फैक्टर का मुकाबला नहीं कर पाया कांग्रेस पार्टी का अंतरकलह
रीवा लोकसभा सीट में कांग्रेस शुरू से ही पिछड़ती नजर आ रही थी। भाजपा के बड़े संगठन के आगे आखिरकार फिर हार का सामना करना पड़ा। भाजपा ने राष्ट्रवाद और मोदी फैक्टर के भरोसे चुनाव लड़ा। यहां तक की प्रत्याशी ने भी मोदी के नाम पर वोट करने की अपील की थी। कांग्रेस इसका मुकाबला नहीं कर पाई और पूरा चुनाव कांग्रेस प्रत्याशी बनाम मोदी बनता गया। वहीं कांग्रेस में पहले की तरह अंतरकलह फिर हावी दिखी। टिकट के कई दावेदार प्रचार में नजर नहीं आए। पार्टी का संगठन पूरी तरह से बिखरा रहा। प्रत्याशी ने अहम जिम्मेदारियां अपने करीबियों को दे रखी थी, यह बात भी विरोधियों ने प्रचारित की। सिद्धार्थ तिवारी ने संगठन में इसके पहले कोई कार्य नहीं किया, पिता सुंदरलाल के निधन के चलते उन्हें प्रत्याशी बनाया गया, यह बात भी कई बड़े नेताओं को पसंद नहीं आई। कांग्रेस की न्याय योजना और प्रदेश सरकार की कर्जमाफी सहित अन्य योजनाओं को भी भुनाने में कमी रह गई। जिससे हार हुई।
परिणाम आते ही कांग्रेस में उठे सवाल
कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री एवं पूर्व विधायक राजेन्द्र मिश्रा ने पार्टी की बड़ी पराजय के बाद कामकाज के तौरतरीकों पर ही सवाल उठा दिया है। उन्होंने कहा कि अब मंथन करने का वक्त आ गया है कि लोगों का पार्टी से भरोसा क्यों उठ रहा है। मिश्रा ने कहा कि अब वे दिन लद गए जब खानदानी एवं परिवारवाद की पृष्ठभूमि अथवा आयातित नेताओं को तरजीह देकर काम चलाया जा सकता था। अब समय आ गया है कि समर्पित कार्यकर्ताओं की टीम तैयार की जाए जो मैदानी स्तर पर पार्टी को मजबूती दे और इसी टीम के कहने पर पार्टी अपने निर्णय ले। बताया जा रहा है कि अब अंतरकलह और बढ़ेगी, कई पुराने नेताओं ने भी स्थानीय स्तर पर बदलाव की मांग की है।—

हार की समीक्षा जरूरी है
राज्यसभा सांसद राजमणि पटेल ने कहा कि चुनाव में हार की समीक्षा होना चाहिए। हर जिले की समीक्षा हो ताकि यह पता लगाया जा सके कि किस वजह से इतनी बड़ी हार हुई है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सबको साथ लेकर चलने वाली पार्टी है, हार की वजह का पता लगाना आवश्यक हो गया है।
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