दुलहरा गांव के किसान शिवचरण पाण्डेय ने जेसीबी मशीन से भीटें की खुदाई कराई तो बड़ी मात्रा में नक्काशीदार छोटे, बड़े व मझोले आकार के पत्थरों के अलावा बड़ी संख्या मे खंडित मूर्तियां भी निकली हैं। इसके पहले भी इसी क्षेत्र से मूर्तियां मिली थीं। जिनमें से एक गणेशजी की खंडित प्रतिमा आज भी दुलहरा स्कूल में रखी हुई है। बहरहाल किसान द्वारा खुदाई का काम रोक दिया गया है। जबकि घरों तथा मंदिरों में लगाई जाने वाली नक्काशीदार चट्टानें तथा खंडित मूर्तियां आज भी यहां बिखरी हैं।
पूर्विया के बगल से जीरा नद बहता है जो कभी सदानीरा हुआ करता था। पुराने जमाने में नगर, पानी की सुविधा को ध्यान में रखते हुए नदी और नाले के किनारे बसाए जाते थे। हो सकता है कि इस स्थान पर हजारों वर्ष पहले कोई किला अथवा नगर रहा हो जो कालांतर में कतिपय कारणों से ध्वस्त होकर जमीदोज हो गया हो। आज भी लगभग एक किमी लम्बाई के क्षेत्र में फैले प्रस्तर खंड किसी किले या गढ़ी के खंडहर प्रतीत होते हैं। खुदाई के दौरान बड़ी संख्या में मूर्तियों तथा नक्काशीदार चट्टानों का निकलना संकेत करता है कि यहां पुरानी सम्यता दफन है। यह पुरातत्व विभाग के लिए शोध का विषय है।
किसान की खुदाई में कुछ पुरानी चीजें मिली हैं तो तहसीलदार मौके पर जाकर वस्तुस्थिति की जानकारी लेंगे। उनकी रिपोर्ट पर पुरातत्व विभाग को लिखा जाएगा और पुरात्व विभाग द्वारा सर्वेक्षण कराकर इसका परीक्षण करवाया जायेगा कि वास्तव में क्या है।
– एपी द्विवेदी, एसडीएम सिरमौर