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रीवा

बाघ का ऐसा आतंक, घरों में कैद रहे ग्रामीण, दिनभर मचान पर बैठ रहे वनकर्मी

रविवार को बाघ ने मुकुंदपुर के आमिन गांव में बछड़े का शिकार किया था

रीवाJan 15, 2019 / 02:51 am

Manoj singh Chouhan

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रीवा. मांद के जंगल क्षेत्र में सतना-रीवा की सीमा पर बाघ की दहशत है। रविवार को बाघ ने मुकुंदपुर के आमिन गांव में बछड़े का शिकार किया था। जिस खेत में बाघ ने शिकार किया था, वह सतना जिले में आता है। थोड़ा-सा भाग रीवा में आता है। खेत के मालिक ने बछड़े को मरा हुआ और बाघ के पैरों के निशान देखे तो वन विभाग को सूचना दी। इसके बाद से वन विभाग के मैदानी अमले ने मौके पर डेरा डाल दिया है। शिकार स्थल से करीब 200 मीटर की दूरी पर मचान बनाकर वनकर्मी मंगलवार को दिनभर इंतजार करते रहे, ताकि बाघ की स्थिति का पुष्टि की जा सके पर बाघ दिनभर शिकार के पास आया ही नहीं। माना जा रहा कि वह रात के अंधेरे में आएगा या फिर उसका मूवमेंट आगे की ओर हो गया है। ऐसे में शायद ही लौटे। हालांकि तमाम दुविधा के बीच वनकर्मी मौके पर डंटे हुए हैं। साथ ही ग्रामीणों को संदेश दिया गया कि वे खेत में न जाएं और रात के वक्त घर के दरवाजे बंद रखें।
नेचुरल कॉरिडोर की तीसरी पुष्टि
बाघ के मूवमेंट ने नेचुरल कॉरिडोर की तीसरी बार पुष्टि की है। सबसे पहले अधिकृत रूप से चार साल पहले पन्ना के बाघ पी-२१२ पर शोध किया गया था। यह बाघ पन्ना के जंगल को छोड़कर सतना-रीवा होते हुए सीधी तक पहुंचा था। वहां करीब दो साल रहा। बाद में बाघों की लड़ाई में मारा गया। इसके बाद पन्ना की बाघिन ने कॉरिडोर की पुष्टि की। यह बाघिन पन्ना से निकलकर रानीपुर अभ्यारण तक पहुंची। फिर सतना के सरभंगा में स्थाई डेरा बना लिया। अब इस बाघ ने सकारात्मक संदेश दिए हैं।
बाघ के मामले में जल्दबाजी कर रहा प्रशासन
गोविंदगढ़ क्षेत्र में बाघ की दस्तक के बाद जिस तरह से प्रशासन ने उसकी घेराबंदी की है, उस पर सवाल भी उठने लगे हैं। वाइल्ड लाइफ के जानकार मानसिंह का कहना है कि बाघ को गांवों की बस्ती से निकालने के लिए घेराबंदी नुकसानदेह भी हो सकती है। वह लोगों पर हमले भी कर सकता है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से भीड़ जुटाकर पुलिस और वन विभाग के लोगों ने घेराबंदी की उससे किसानों की फसलों को पहले नुकसान पहुंचाया गया और फिर बाघ को निकलने का मौका नहीं दिया गया। जंगल की ओर जाने वाले रास्ते में ले जाने का प्रयास करना चाहिए। ट्रेंकुलाइज गन का उपयोग तभी किया जाना चाहिए जब कोई दूसरा विकल्प नहीं हो। सिंह ने कहा कि गोविंदगढ़ और मुकुंदपुर का क्षेत्र बाघों का प्रिय जंगल रहा है। लंबे अर्से के बाद यहां बाघ दिखने लगे हैं।
बाघों के लिए सतना के जंगल मुफीद
वन विभाग की अनुसूची (1) के वन्य जीवों के लिए सतना का जंगल मुफीद है। बरौंधा, सिंहपुर, परसमनिया, मैहर, नागौद में घने जंगल हैं। वहां बड़ी संख्या में वन्यजीव भी रहते हैं। इसके चलते जिले में तेंदुए और भालू की उपस्थिति बनी रहती थी। लेकिन, विगत कुछ सालों से बाघों का मूवमेंट भी बढ़ा है। इसके पीछे जानकार मानते हैं कि सतना के वन्य क्षेत्र मुफीद हैं।
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