अमूमन 15 मार्च के बाद मंडियों में देशी कच्चे आम की आवक शुरू हो जाती थी, लेकिन इस साल फसल लेट होने के कारण फलों के राजा आम के स्वाद के लिए अभी 15 दिन और इंतजार करना पड़ सकता है। वहीं जलवायु अप्रैल में भी बाजार से तरबूज, भिंडी परिवर्तन की मार ग्रीष्मकालीन कद्दू व करैली की आवक नहीं हो पा रही फसलों पर भी पड़ी है। मार्च में गर्मी का टॉनिक तरबूज व खरबूजा की आवक शुरू जाती थी। लेकिन, इस साल फसल प्रभावित होने के कारण अप्रेल में भी बाजार से तरबूज, भिंडी और करेली की आवक नहीं हो पा रही है।
अभी 5 गुना अधिक दाम
मौसम परिवर्तन की मार के चलते आम बाजार से गायब है। दक्षिण भारत से आम की मंडियों में जो थोड़ी बहुत आवक हो रही है, उसके दाम चार गुना तक अधिक हैं। बाजार में कच्चा आम 80-100 रुपए किलो मिल रहा है। इसी प्रकार अप्रैल में 15 रुपए किलो बिकने वाली भिंडी के भाव बाजार में 60 से 70 रुपए किलो बोले जा रहे हैं। लोकल व यूपी से आने वाला तरबूज भी अभी बाजार से नरारद है।
बढ़ सकते हैं दाम
कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि इस साल ठंड का मौसम लंबा खिंचने के कारण पहले आम में बौर देरी से आई। उसके बाद मार्च में तापमान अचानक बढ़ गया। इससे आम की फसल बुरी तरह प्रभावित हुई है। मौसम परिवर्तन के कारण आम की फसल देरी के साथ कम भी है। विंध्य के देशी आम के साथ यूपी से आने वाले बादाम, तोतापुरी व अन्य कल्मी आम पर भी मौसम की मार पड़ी है।
इसलिए लेट हुई फसल
कृषि वैज्ञानिक डॉ.राजेश सिंह का कहना है कि आम के पेड़ों में बौर लगने के लिए तापमान 15 से 30 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए। इसके लिए 15 जनवरी से 15 फरवरी के बीच का समय अनुकूल होता है। इसलिए हर साल इस अवधि में आम में बौर लग जाती है। बौर में फल बनने में एक माह का समय लगता है। इसलिए मार्च तक आम की आवक बाजार में शुरू हो जाती है, लेकिन इस साल 30 फरवरी तक कड़ाके की ठंड पड़ी और तापमान सामान्य से पांच डिग्री कम रहा इसके कारण आमों में बौर मार्च के प्रथम सप्ताह में आने के कारण फसल एक माह लेट हो गई है।
आया मौसम पतझड़ का
वसंत ऋतु की विदाई के साथ पतझड़ का मौसम शुरू हो गया है। पेड़ों से एक-एक कर झड़ रहे पत्ते प्रकृति में नीरसता घोल रहे हैं। बदले मौसम को देख धरती ने भी सूखे पत्तों की ओढनी ओढ़ ली है। पत्तों को अपने से अलग कर पेड़ ग्रीष्मऋतु के आगवन का संकेत दे रहे हैं। पतझड़ के बाद ही बहार आती है।