रीवा

भड़की पुलिसकर्मियों की पत्नियां कहा- पतियों को चूडिय़ां पहनाकर भेजेंगी ड्यूटी पर, ड्यूटी करें तो पब्लिक नाराज, न करें तो साहब नाराज, यह कैसा इंसाफ

व्यवस्था के खिलाफ की नारेबाजी, भड़क सकता है जनाक्रोश, आंदोलन में बच्चे भी हुए शामिल

रीवाOct 27, 2018 / 02:09 pm

Mahesh Singh

The wives of the angry policemen

रीवा. दशहरे के दिन अधिवक्ता के साथ मारपीट के मामले को लेकर पुलिस निरीक्षक के खिलाफ हुई एकतरफा कार्रवाई का आक्रोश अब पुलिस विभाग में ही फूट पड़ा है। पुलिस परिवार की महिलाओं और बच्चों ने इस मामले को लेकर मोर्चा खोल दिया है और अधिकारियों द्वारा पुलिसकर्मियों पर की जा रही एक पक्षीय कार्रवाई का विरोध किया। रीवा में पहली इस तरह से पुलिस परिवार की महिलाएं व बच्चे आंदोलन के लिए आगे आये हैं।
पुलिस वालों की पत्नियों का कहना है कि उनके पति काफी तनाव में काम कर रहे है। कुछ करते है तो पब्लिक नाराज होती है और मुकदमा कायम करवाने की धमकी देती है। यदि कुछ नहीं करते है तो अधिकारी नाराज होकर विभागीय जांच करवाने लगते है। यह अव्यवस्था यदि जल्द दूर नहीं हुई थी तो आंदोलन की इस आग को रोकना मुश्किल हो जायेगा।
दहशरे के दिन हुई थी मारपीट
दशहरे के दिन टीआरएस मैदान में अधिवक्ता अनुज त्रिपाठी के साथ मारपीट की घटना का हो रहे विरोध के बीच एसपी ने बिछिया थाना प्रभारी विनोद सिंह परिहार को निलंबित कर दिया था। इसके साथ ही अन्य पुलिसकर्मियों को भी लगातार कार्रवाई की चेतावनी अधिकारियों द्वारा जा रही है जिसके विरोध में पुलिस लाइन में परिसर में शुक्रवार की सुबह पुलिसकर्मियों की पत्नियों व बच्चों ने जमकर नारेबाजी की।
पतियों को ड्यूटी में चूडिय़ां पहनाकर भेजेंगे
इस पूरे प्रकरण को लेकर महिलाओं का साफ कहना था कि पुलिसकर्मियों को सुरक्षा के लिए डंडा दिया गया है लेकिन वे उसका उपयोग नहीं कर सकते है। सामने से कोई उनको गाली देता रहे तो भी वे उसे नहीं रोक सकते है क्योंकि यह पुलिस अत्याचार में शामिल हो जायेगा। यदि ऐसा ही है तो हम अपने-अपने पतियों को चूडिय़ां पहनाकर घर से ड्यूटी में भेजेंगे।
अधिवक्ता पत्रकार बन जाते हैं
अधिवक्ता दशहरा समारोह में पत्रकार बनकर गये थे जिनके हांथ में न्यू चैनल का माइक साफ नजर आ रहा था। अधिवक्ता जैसे जिम्मेदार पद को धारण करने वाले व्यक्ति ने जिस तरह का व्यवहार वहां किया वह शोभनीय नहीं था। महिला आरक्षक सहित दो लोगों से मारपीट की थी। अधिवक्ता संघ को उनके खिलाफ भी कार्रवाई करते हुए लाइसेंस निरस्त करना चाहिए।
-प्रियंका त्रिपाठी, पुलिस परिवार
पिता के साथ नहीं मना पाए त्योहार
सभी लोग अपने परिवार के साथ त्योहार मनाते है लेकिन हम लोग आज तक अपने पति, पिता व भाई के साथ त्योहार नहीं मना पाये क्योंकि उस समय हमारे पति लोगों की सुरक्षा के लिए ड्यूटी करते है। दिन व रात बराबर ड्यूटी करने के बाद इस तरह का व्यवहार किसी दृष्टि से उचित नहीं कहा सकता है। बिना गल्ती जाने एक पक्षीय कार्रवाई उचित नहीं है।
-अनूप उपाध्याय, पुत्र
घर की सुख-शांति छिन गई
पुलिसकर्मी को बिना जांच के ही सस्पेंड व लाइन अटैच कर दिया जाता है। उसकी गल्ती हो अथवा न हो लेकिन उसे पहले ही दोषी मानकर सजा सुना दी जाती है। इसका असर पूरे परिवार पर पड़ता है। जब उनके घर का कोई सदस्य तनाव में रहेगा तो उनकी सूख शांति भी छीन जायेगी।
उर्मिला देवी, पुलिस परिवार
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