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खुले में रखी है हजारों क्विंटल धान

locationरीवाPublished: Dec 06, 2017 04:31:14 pm

Submitted by:

Mahesh Singh

हजारों क्विंटल धान खुले में पड़ी है, यदि बारिश हुई तो धान बचाना मुश्किल हो जाएगा।

Thousands quintal paddy is kept in the open

Thousands quintal paddy is kept in the open

रीवा. इन दिनों मौसम खराब चल रहा है और हजारों क्विंटल धान खुले में पड़ी है। यदि बारिश हुई तो धान बचाना मुश्किल हो जाएगा। इसके अलावा खरीदी केन्द्र में बिजली भी नहीं है, जिससे शाम ढलते ही यहां अंधेरा पसर जाता है और धान के चोरी जाने का भी भय बना रहता है। वहीं तौल में भी गड़बड़ी की शिकायत किसानों ने की है। यह हाल रीवा जिले के धान खरीदी केन्द्र दुआरी का है। किसानों ने खरीदी केन्द्र में व्यवस्था बनाने की मांग कलेक्टर से की है।
रीवा जिले के गुढ़ विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत सेवा सहकारी समिति दुआरी में धान खरीदी केन्द्र बनाया गया है। किसान ट्रैक्टरों में भरकर धान बेचने खरीदी केन्द्र पर पहुंच रहे हैं। लेकिन वहां उनको भारी अव्यवस्थाओं का सामना करना पड़ रहा है। किसानों को धान तौलाने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है। वहीं प्रभारियों द्वारा कमीशन की मांग की जाती है, जो किसान पैसा नहीं देते उन्हे खराब धान बताकर वापस लौटा दिया जाता है। खरीदी केन्द्र की अव्यवस्था से किसान परेशान हैं। उनका कहना है कि केन्द्र प्रभारी की मनमानी पर रोंक लगाई जानी चाहिए।
तौल में हो रही गड़बड़ी
किसानों का आरोप है की धान की तौलाई में भारी गड़बड़ी की जाती है। दो किलो प्रति बोरा ज्यादा धान तौलते हैं। जिससे किसानों का भारी नुकसान हो रहा है। वहीं समय पर किसानों के धान की तौल नहीं की जा रही है। जिससे केन्द्र पर किसान की धान भारी पैमाने पर तौलने के लिए रखी हुई है। यह धान यदि पानी वर्षा तो भीग जाएगी, जिससे किसान चिंतित हैं।
केन्द्र पर बिजली व्यवस्था नहीं
धान खरीदी केन्द्र पर बिजली की व्यवस्था नहीं है। केन्द्र के बाहर हजारों क्विंटल धान रखी हुई है। शाम ढलते ही यहां पर अंधेरा पसर जाता है जिससे धान के चोरी जाने की संभावना बनी रहती है। केन्द्र के कर्मचारियों का कहना है कि रात में धान चोरी जाने का भय है, इसलिए यहां पर लाइट की व्यवस्था कराई जानी चाहिए। केन्द्र प्रभारी को इस समस्या को गंभीरता से लेना चाहिए।
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खरीदी गई धान के लिए पन्नी की व्यवस्था कर रखी है। लेकिन केन्द्र पर जो किसानों की धान है उसे बचाने की कोई व्यवस्था नहीं है। दो किलो नहीं प्रति बोरा एक किलों धान लेते हैं यह बोरा का वजन है।
बंशधारी साकेत समिति सेवक व केन्द्र प्रभारी
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