scriptरीवा के स्कीम छह में तीन महीने की मोहलत पूरी, कमेटी नहीं कर पाई जांच | Three months' delay in Rewa's scheme six completed, not investigated | Patrika News

रीवा के स्कीम छह में तीन महीने की मोहलत पूरी, कमेटी नहीं कर पाई जांच

locationरीवाPublished: Jan 16, 2020 12:23:25 pm

Submitted by:

Mrigendra Singh

– कलेक्टर ने कहा जांच के लिए और मांगेंगे समय- नगरीय प्रशासन के प्रमुख सचिव ने शिकायत मिलने पर कलेक्टर से मांगी थी रिपोर्ट


रीवा। नगर सुधार न्यास बोर्ड द्वारा अधिग्रहित की गई भूमि स्कीम नंबर छह की भूमि का मामला वर्षों से विवादों में है। कुछ महीने पहले ही एक बार फिर यह स्कीम सुर्खियों में आ गई है। शासन ने कलेक्टर से रिपोर्ट मांगी है, जिसके लिए तीन महीने का समय मांगा गया था। जांच कमेटी भी एसडीएम की अध्यक्षता में गठित की गई है लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। तीन महीने का समय पूरा हो गया है, अब तक जांच कमेटी की कोई बैठक भी नहीं हो पाई है। कलेक्टर ने कहा है कि इसके लिए और समय की मांग करेंगे। स्कीम छह का मामला लगातार और पेचीदा होता जा रहा है। कुछ महीने पहले ही नगर निगम ने नए सिरे से जांच शुरू की है, जिसमें निगम के ही कई तत्कालीन अधिकारी संदेह के दायरे में हैं। इसकी जांच के लिए कई बार मांगें उठ चुकी हैं। निगम आयुक्त ने नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर इस मामले की जांच उच्च स्तर पर कराने की मांग की गई है। प्रमुख सचिव ने कलेक्टर से १५ दिन में रिपोर्ट मांगी थी, जिस पर कलेक्टर ने प्रारंभिक रिपोर्ट भेजते हुए इसकी विस्तृत जांच कराने के लिए तीन महीने का समय मांगा था। इसके बाद १५ अक्टूबर २०१९ को हुजूर एसडीएम की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गई, जिससे दो महीने के भीतर रिपोर्ट मांगी गई थी। कमेटी गठित होने के तीन महीने पूरे हो चुके हैं लेकिन अब तक जांच शुरू ही नहीं हो सकी है। एसडीएम हुजूर की अध्यक्षता में गठित कमेटी में नगर निगम के प्रभारी कार्यपालन यंत्री राजेश सिंह, हुजूर तहसीलदार रामेश्वर प्रसाद त्रिपाठी, नगर निगम के सहायक संपत्ति अधिकारी अशोक सिंह, निगम के सहायक ग्रेड दो वीरेन्द्र सिंह, हुजूर तहसील के राजस्व निरीक्षक नारायण सिंह, समान हल्का पटवारी गोपाल मिश्रा, सांव हल्का पटवारी जवाहर शुक्ला एवं भटलो के पटवारी वीरेन्द्रधर द्विवेदी आदि को रखा गया है।
– १९९२ में हुआ था भूमि का अधिग्रहण
रीवा शहर में आवासीय एवं व्यवसायिक क्षेत्र विकसित करने के लिए स्कीम नंबर छह के तहत भूमि का अधिग्रहण किया गया था। नगर सुधार न्यास बोर्ड द्वारा १९९२ में बरा एवं समान में ९१.३७५ एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया गया था। अधिग्रहण के बाद सुधार न्यास के स्वामित्व में आई भूमि पर कब्जा संबंधित भूमि स्वामियों का ही रहा। तत्कालीन अधिकारियों ने इसके लिए प्रयास नहीं किया, जिसकी वजह से यहां पर लगातार कालोनी विकसित होती रही। सुधार न्यास बोर्ड नगर निगम में समाहित हुआ तो उक्त प्रोजेक्ट भी निगम में आ गया। इसमें २८.८० एकड़ रकबा सरकारी भूमि का था। इसमें कुछ हिस्सा नगर निगम ने आवंटित किया है लेकिन सरकारी भूमि वाले हिस्से के साथ ही अन्य पूरे हिस्से में मकान बन गए हैं। भू-माफिया ने दस रुपए के स्टांप पर जमीनों की बिक्री कर लोगों को प्लाट दे दिया, जिसमें मकान बनाकर अब संबंधित लोग स्वामित्व जता रहे हैं। इतने बड़े हिस्से में मकान बने हैं कि इन पर कार्रवाई प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है।
– अधिकारियों का नाम आने पर बढ़ा बवाल
स्कीम नंबर छह की जांच इसके पहले भी कई बार हुई और बीच में ही रोक दी जाती थी। इस बार निगम आयुक्त सभाजीत यादव ने स्वयं इसके दस्तावेजों का परीक्षण किया और जांच में पाया कि तत्कालीन कार्यपालन यंत्री शैलेन्द्र शुक्ला एवं एसडीओ एचके त्रिपाठी के संरक्षण में स्कीम छह की भूमि पर अवैध रूप से मकान बनाए गए। अधिकारियों ने ऐसे मकानों पर कार्रवाई करने के बजाय उन्हें संरक्षण और सुविधाएं दी। सड़क, नाली और बिजली की सुविधाएं भी देते रहे। इसी तरह के आरोपों के चलते एमआइसी में निलंबन का प्रस्ताव भेजा। जहां पर महीने भर से अधिक समय तक प्रस्ताव लंबित रहा तो निगम आयुक्त ने नियमों का हवाला देते हुए दोनों को निलंबित कर शासन को सूचना भेज दी। इसके बाद दोनों अधिकारी कोर्ट गए और जहां से एमआइसी को निर्णय लेने का अधिकार दिया गया। इसके बाद एमआइसी ने दोनों अधिकारियों के निलंबन के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। इस मामले की वजह से निगम आयुक्त एवं एमआइसी के बीच टकराव बढ़ा और बाद में पूरी भाजपा आयुक्त के विरोध में उतर आई। अब तक यह विवाद जारी है।
– लोकायुक्त या इओडब्ल्यू से जांच कराने भेजा था प्रस्ताव
भूमि घोटाले के प्रदेश के प्रमुख मामलों से रीवा के स्कीम नंबर छह को जोड़कर देखा जा रहा है। नगर निगम के आयुक्त सभाजीत यादव ने नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव को भेजे गए पत्र में स्कीम छह से जुड़ी जानकारी प्रेषित की है। जिसमें कहा है कि अब तक करीब ३०० करोड़ रुपए से अधिक का आर्थिक नुकसान नगर निगम को इस स्कीम में हो चुका है। इसलिए इस मामले की विस्तृत जांच लोकायुक्त या फिर किसी बड़ी जांच एजेंसी से कराई जाए। मामले की गंभीरता को देखते हुए नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव ने कलेक्टर से रिपोर्ट मांगी है लेकिन अब तक जांच अटकी हुई है।


स्कीम छह को लेकर अभी ज्यादा जानकारी नहीं है, निगम के अधिकारियों से जानकारी लेंगे। पूर्व के कलेक्टर ने शासन से जो समय मांगा था, यदि वह पूरा हो रहा है तो और समय की मांग करेंगे। प्रयास होगा कि समय पर जांच कराकर प्रतिवेदन भेज दिया जाए।
बसंत कुर्रे, कलेक्टर रीवा
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