छह वर्ष की उम्र पूर्ण तीन साल तक बच्ची अपने माता-पिता के साथ केन्द्रीय जेल रीवा में ही रह रही थी लेकिन छह वर्ष की उम्र पूर्ण करते ही जेल प्रशासन ने उसे परिजनों को सौंपने की कवायद शुरू कर दी। बाल कल्याण समिति सिंगरौली के अध्यक्ष सुरेशमणि तिवारी व समाजसेवी धमेन्द्र कुमार मिश्रा के प्रयासों से उक्त बच्ची को परिजनों को सौंपने का आदेश जारी हुआ। मंगलवार को बाल कल्याण समिति के कर्मचारी उक्त बच्ची की दादी व बहन को लेकर केन्द्रीय जेल रीवा पहुंचे जहां जेलर डीके सारस सहित तमाम अधिकारियों की मौजूदगी में बच्ची परिजनों को सौंप दी गई। दोपहर करीब एक बजे वह अपनी दादी के साथ घर के लिए रवाना हो गई।
जेल प्रशासन की पहल पर स्कूल में पढ़ रही थी बच्ची
उक्त बच्ची जेल प्रशासन के प्रयासों से तीन साल तक स्कूल में पढ़ रही थी। जेल के अधिकारियों ने उसका प्रवेश बीएनपी स्कूल में करवा दिया था। उक्त बच्ची उसके बाद से लगातार उक्त स्कूल में रहकर पढ़ाई कर रही थी। नर्सरी, एलके व यूकेजी की परीक्षा उसने पास कर इस वर्ष वह फस्ट में पहुंच गई है। स्कूल से वह सीधे माता-पिता के पास जेल आती थी जहां रहकर होमवर्क व पढ़ाई करती थी।
जेल के स्टॉफ की लाड़ली है पायल
उक्त बच्ची काफी चंचल है और जेल के स्टॉफ की लाड़ली थी। पूरा जेल का स्टॉफ उक्त बच्ची को दुलारता करता था। जेल में मौजूद दूसरे बच्चों के अलावा जेल के स्टॉफ के साथ भी वह खेलती थी। मंगलवार को जब वह जेल से घर जाने लगी तो वहां मौजूद महिला आरक्षक उसे दुलारने लगीं और हंसीखुशी जेल से विदा किया। घर जाते समय वह काफी खुश थी।
माता-पिता की आमदनी से बच्ची की होगी परवरिश
उक्त बच्ची की परवरिश अब माता-पिता द्वारा कमाए गए रुपयों से होगी। माता-पिता जेल में रहकर जो काम करेंंगे उसका पारिश्रमिक हर माह जेल प्रशासन बच्ची तक पहुंचाने की व्यवस्था सुनिश्चित करवाएगा। जेल में बंद कैदियों को प्रतिदिन काम करने की 110 रुपये मजदूरी मिलती है जिसका पचास प्रतिशत सरकार के खाते में जाता है और शेष राशि कैदी को मिलती है। जेल अधिकारियों ने बच्ची के नाम पर खाता खुलवा दिया है जहां हर माह राशि उसके खाते में भेजी जाएगी। वहीं बाल कल्याण समिति के पदाधिकारी सिंगरौली की अच्छी स्कूल में उसका प्रवेश करवा रहे हैं।
जेल प्रशासन की पहल पर स्कूल में पढ़ रही थी बच्ची
उक्त बच्ची जेल प्रशासन के प्रयासों से तीन साल तक स्कूल में पढ़ रही थी। जेल के अधिकारियों ने उसका प्रवेश बीएनपी स्कूल में करवा दिया था। उक्त बच्ची उसके बाद से लगातार उक्त स्कूल में रहकर पढ़ाई कर रही थी। नर्सरी, एलके व यूकेजी की परीक्षा उसने पास कर इस वर्ष वह फस्ट में पहुंच गई है। स्कूल से वह सीधे माता-पिता के पास जेल आती थी जहां रहकर होमवर्क व पढ़ाई करती थी।
जेल के स्टॉफ की लाड़ली है पायल
उक्त बच्ची काफी चंचल है और जेल के स्टॉफ की लाड़ली थी। पूरा जेल का स्टॉफ उक्त बच्ची को दुलारता करता था। जेल में मौजूद दूसरे बच्चों के अलावा जेल के स्टॉफ के साथ भी वह खेलती थी। मंगलवार को जब वह जेल से घर जाने लगी तो वहां मौजूद महिला आरक्षक उसे दुलारने लगीं और हंसीखुशी जेल से विदा किया। घर जाते समय वह काफी खुश थी।
माता-पिता की आमदनी से बच्ची की होगी परवरिश
उक्त बच्ची की परवरिश अब माता-पिता द्वारा कमाए गए रुपयों से होगी। माता-पिता जेल में रहकर जो काम करेंंगे उसका पारिश्रमिक हर माह जेल प्रशासन बच्ची तक पहुंचाने की व्यवस्था सुनिश्चित करवाएगा। जेल में बंद कैदियों को प्रतिदिन काम करने की 110 रुपये मजदूरी मिलती है जिसका पचास प्रतिशत सरकार के खाते में जाता है और शेष राशि कैदी को मिलती है। जेल अधिकारियों ने बच्ची के नाम पर खाता खुलवा दिया है जहां हर माह राशि उसके खाते में भेजी जाएगी। वहीं बाल कल्याण समिति के पदाधिकारी सिंगरौली की अच्छी स्कूल में उसका प्रवेश करवा रहे हैं।
दादी के सुपुर्द कर दिया गया
डीके सारस, जेलर केन्द्रीय जेल रीवा ने बताया कि बच्ची तीन साल से जेल में माता-पिता के साथ मौजूद थी जिसे जेल के नियमों के हिसाब से दादी के सुपुर्द कर दिया गया है। जेल प्रशासन ने उसका प्रवेश भी बीएनपी स्कूल में करवाया था जहां वह पढ़ाई कर रही थी। उसकी परवरिश के लिए माता-पिता की आमदनी उसको भिजवाने की व्यवस्था कराई जाएगी।
डीके सारस, जेलर केन्द्रीय जेल रीवा ने बताया कि बच्ची तीन साल से जेल में माता-पिता के साथ मौजूद थी जिसे जेल के नियमों के हिसाब से दादी के सुपुर्द कर दिया गया है। जेल प्रशासन ने उसका प्रवेश भी बीएनपी स्कूल में करवाया था जहां वह पढ़ाई कर रही थी। उसकी परवरिश के लिए माता-पिता की आमदनी उसको भिजवाने की व्यवस्था कराई जाएगी।