बताया जा रहा है कि गेंहूं के बंपर उत्पादन और समर्थन मूल्य में फसल बेचने के बाद किसानों को इकठ्ठा पैसा मिला है। वहीं लॉक डाउन के कारण वैवाहिक व धार्मिक आयोजन भी नहीं हो रहे हैं। ऐसे में किसान गेहूं की फसल से मिली एक मुश्त राशि ट्रैक्टर व अन्य कृषि यंत्रों पर खर्च कर रहे है। खरीफ के सीजन को देखते हुए जल्द से जल्द ट्रैक्टर उठना चाहते है लेकिन मांग में अचानक आई उछाल के चलते निर्माता मांग पूरी नहीं कर पा रहे। दरअसल लॉकडाउन में कंपनियों का उत्पादन पूरी तरह से बंद रहा ऐसे में मांग के सापेक्ष आपूर्ति में दिक्कत आ रही है। ऐसे में किसानों को इंतजार करना पड़ रहा है।
डेढ़ गुना तक बढ़ी मांग एजेंसी संचालक बताते है कि आमतौर पर मई व जून में जिले में लगगभ 8 सौ ट्रैक्टरों की बिक्री होती थी, जोइस वर्ष 12 सौ तक पहुंच रही है। अभी और मांग बढऩे की उम्मीद है। स्थित ये है कि जिले के किसान पैसा जमा कर बारी आने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
फैक्ट फाइल
14 ट्रेक्टर एजेसिंया
800 तक पिछले मई जून में बिक्री
12 सौ तक लॉकडाउन में पहुंची मांग किसान की जुबानी “20 एकड़ में उन्होंने गेहूं की खेते की थी। उनके पास पहले पुराना स्वराज टै्रक्टर था, लेकिन अब नई तकनीकी से साथ ज्यादा रकबे में खेती करने के लिए बड़े टै्रक्टर की आवश्यकता है। इस वर्ष कोई अन्य काम नहीं है इसलिए जो पैसा एकत्र हुआ है, उससे नया टै्रक्टर खरीद रहे है। इससे हम अपनी खेती का काम समय में कर सकेंगे। इसके साथ गेहूं का रकबा की बढ़ाएंगे, इसलिए नए टै्रक्टर की आवश्यकता है।”-तिघरा निवासी किसान शिवम शुक्ला