टीआरएस कालेज प्राचार्य की यह बात कर्मचारियों को अच्छी नहीं लगी, पहुंच गए कलेक्टर के पास
टीआरएस कालेज से हटाए गए कर्मचारी शिकायत लेकर कलेक्टे्रट पहुंचे
- कहा प्राचार्य कहती हैं विधायक से सिफारिश कराओ तो होगी नियुक्ति

रीवा। टीआरएस कालेज से निकाले गए कर्मचारियों ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर ज्ञापन सौंपा। साथ ही प्राचार्य पर गंभीर आरोप भी लगाया है। जिसमें कहा है कि बिना किसी सूचना के कर्मचारियों को हटा दिया गया है, जबकि वर्षों से अलग-अलग पदों पर सेवाएं दे रहे थे। कालेज प्राचार्य से जब इस संबंध में कारण पूछा जाता है तो वह पहचानने से भी इंकार कर रही हैं और कहती हैं कि नियुक्ति कराना है तो विधायक से लिखवाकर लाओ। हटाए गए कर्मचारियों का कहना है कि उनकी किसी विधायक के पास पहचान नहीं है, जिसकी वजह से प्राचार्य के कहने के अनुसार वह पत्र नहीं दे पा रहे हैं। कोरोना काल में भी जोखिम उठाकर जिन कर्मचारियों ने सेवाएं दी हैं उन्हें भी बिना किसी कारण के हटाया गया है। पूर्व का वेतन भी कालेज ने रोक रखा है, उस पर किसी तरह की बात करने तक को प्राचार्य तैयार नहीं हैं। यह भी आरोप लगाया है कि उन लोगों को हटाकर नए सिरे से करीब दो दर्जन की संख्या में कर्मचारियों को रखा गया है। यदि कालेज की आर्थिक स्थिति खराब थी तो नए कर्मचारियों को रखने की क्या आवश्यकता थी, यह भी स्पष्ट नहीं किया जा रहा है। कलेक्टर को ज्ञापन देकर कर्मचारियों ने मांग उठाई है कि उन्हें फिर से रखा जाए। वर्तमान में कलेक्टर टीआरएस कालेज के जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष भी हैं। ज्ञापन सौंपने वालों में पूनम सिंह, भरतलाल तिवारी, आशुतोष त्रिपाठी, नीलम शुक्ला, सत्येन्द्र पाण्डेय, सुरेन्द्र कुमार, नारायण शुक्ला, चंद्रकांत मिश्रा, बालमुकुंद पाठक, आरती कुशवाहा, चंद्रमौल मिश्रा सहित अन्य कई लोगा शामिल रहे।
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राजनीतिक अखाड़े का केन्द्र बना कालेज
टीआरएस कालेज पहले से राजनीति का केन्द्र रहा है, लेकिन इनदिनों कई ऐसे कार्य हुए हैं जिनकी वजह से सुर्खियों में है। पूर्व प्राचार्य रामलला शुक्ला को निलंबित करने के बाद उनके विरुद्ध करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार की जांच कराई गई और एफआइआर भी दर्ज हो चुकी है। वहीं शुक्ला के समय पर रखे गए कर्मचारियों को इनदिनों टारगेट में रखा जा रहा है। जिसकी वजह से आए दिन प्राचार्य सहित कुछ प्रोफेसर्स पर मनमानी का आरोप लगाया जा रहा है। कालेज से हटाए गए कर्मचारियों के आरोपों पर कालेज प्राचार्य से उनका भी पक्ष जाना गया लेकिन उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है।
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