इओडब्ल्यू के विवेचकों की टीम एक-एक दस्तावेज की पड़ताल के बाद उसकी जब्त कर रही है। यह कार्रवाई लंबे समय तक चलने की संभावना जताई जा रही है। एफआइआर तो इओडब्ल्यू ने महज दो वित्तीय वर्षों में हुई अनियमितता के आधार पर की है। लेकिन जिस तरह से भ्रष्टाचार का मामला उजागर हुआ है उससे जाहिर होता है कि पूर्व से यह खेल चलता आ रहा है। विवेचना के प्राथमिक दौर में वर्ष 2007-08 से ही नियमों की अनदेखी कर भ्रष्टाचार किए जाने की आशंका जाहिर की जा रही है। इओडब्ल्यू अधिकारियों की मानें तो अभी करीब दस वर्ष तक के दस्तावेज लेने की तैयारी है। आवश्यकता पडऩे पर और भी पुराने दस्तावेज लिए जा सकते हैं।
बताया गया है टीआरएस कालेज के अधिकारियों ने मनमानी रूप से राशि का आहरण स्वयं के लाभ के लिए किया था। इस मामले की जांच कलेक्टर ने विशेष टीम गठित करके कराई थी। जांच रिपोर्ट में मानदेय, यात्रा भत्ता, टेलीफोन भत्ता, पारिश्रमिक आदि के नाम पर आहरण किए जाने और नियमों की अनदेखी का उल्लेख है। जनभागीदारी मद में मिली राशि से प्रश्रपत्रों के निर्माण, उत्तरपुस्तिकाओं के मूल्यांकन, प्रश्रपत्रों के टंकण, प्रायोगिक कार्य, केन्द्रीय मूल्यांकन आदि के नाम पर आर्थिक अनियमिता की गई है। इसी रिपोर्ट के आधार पर इओडब्ल्यू ने तीन तत्कालीन प्राचार्यों, प्रोफेसर्स और कर्मचारियों सहित कुल 19 लोगों के विरुद्ध भादवि की धारा 420, 409, 120बी के साथ ही भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम(संसोधन) की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। अब इन्हीं से जुड़े दस्तावेजों की जब्ती शुरू की गई है।
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इन अधिकारी-कर्मचारियों पर दर्ज है एफआइआर
इओडब्ल्यू ने टीआरएस कालेज के जिन 19 लोगों को नामजद किया है। उसमें प्रमुख रूप से डॉ. सत्येन्द्र शर्मा को 14.99 लाख रुपए, डॉ. एसयू खान को 52.31 लाख, डॉ. रामलला शुक्ला 1.39 करोड़ रुपए लेने वाले तीनों तत्कालीन प्राचार्य रहे हैं। वहीं प्रोफेसर डॉ. कल्पना अग्रवाल 34.19 लाख, डॉ. सुनील कुमार दुबे 26.93 लाख, डॉ. आरएन तिवारी 29.65 लाख, डॉ. संजय सिंह 30.26 लाख, डॉ. आरके धुर्वे 21.67 लाख, डॉ. आरपी चतुर्वेदी 11.27 लाख, डॉ. अजय शंकर पाण्डेय 10.11 लाख, डॉ. एसएन पाण्डेय 8.82 लाख, डॉ. अवध शुक्ला 6.25 लाख, डॉ. एचडी गुप्ता 3.32 लाख, डॉ. अभिलाषा गौतम 3.31 लाख, प्रियंका मिश्रा, श्रमिक 2.57 लाख, प्रभात प्रजापति श्रमिक 1.04 लाख, रामप्रकाश चतुर्वेदी भृत्य 2.95 लाख रुपए आदि के साथ ही तत्कालीन लेखापाल पर एफआइआर दर्ज की गई है। बताया जा रहा है कि जांच के दौरान कुछ और आरोपियों की संख्या बढ़ सकती है।
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टीआरएस कालेज के तत्कालीन तीन प्राचार्यों के साथ ही 19 लोगों पर धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार का मामला दर्ज है। इसकी विवेचना के लिए दस्तावेजों की आवश्यकता है, इसलिए जब्ती की कार्रवाई की जा रही है। कई वर्षों से भ्रष्टाचार की जानकारी सामने आई है, इसलिए अभी और जब्ती की कार्रवाई होगी।
वीरेन्द्र जैन, एसपी इओडब्ल्यू रीवा