scriptबड़ी खबर : प्रोजेक्ट में देरी से 1715 करोड़ का नुकसान, विभाग ने माना राष्ट्रद्रोह | Tyothar flo project rewa, hes infra privet ltd | Patrika News

बड़ी खबर : प्रोजेक्ट में देरी से 1715 करोड़ का नुकसान, विभाग ने माना राष्ट्रद्रोह

locationरीवाPublished: Nov 16, 2022 03:50:01 pm

Submitted by:

Mrigendra Singh

त्योंथर बहाव प्रोजेक्ट का कार्य कर रही ठेका कंपनी एचईएच इंफ्रा का रजिस्ट्रेशन सस्पेंड, तीन साल के लिए ब्लैक लिस्टिेड

rewa

Tyothar flo project rewa, hes infra privet ltd


रीवा। जलसंसाधन विभाग के बड़े प्रोजेक्ट त्योंथर बहाव में ठेकेदार की लापरवाही के कारण बड़ा नुकसान हुआ है। इस लापरवाही को विभाग ने राष्ट्रद्रोह मानते हुए रजिस्ट्रेशन सस्पेंड करने के साथ ही कंपनी एचईएस इंफ्रा(हैदराबाद) को तीन वर्ष के लिए ब्लैक लिस्टिेड कर दिया गया है। इस अवधि में कंपनी विभाग का कोई दूसरा टेंडर भी नहीं ले पाएगी। इस कार्रवाई के साथ ही विभाग ने बड़ा और गंभीर आरोप जो ठेका कंपनी पर लगाया है उसमें कहा गया है कि इसकी लापरवाही के कारण करीब 1715 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। कंपनी को केवल तीन वर्ष में प्रोजेक्ट का कार्य पूरा करना था लेकिन अब नौ वर्ष के बाद भी एक चौथाई प्रगति ही हासिल हो सकी है। मेंटेना ग्रुप की इस कंपनी को संभाग में कई बड़े प्रोजेक्ट मिले थे, अधिकांश में इसकी लापरवाही सामने आई है।
गंगा कछार के मुख्य अभियंता द्वारा जारी किए गए पत्र में काफी तल्खी जाहिर की गई है। जिसमें आरोप है कि ठेका कंपनी की लापरवाही के कारण राष्ट्रीय कृषि उत्पादन में 1715 करोड़ रुपए की क्षति हुई है। यह कृत्य राष्ट्रद्रोह की श्रेणी में माना गया है। तीन वर्ष के लिए ब्लैक लिस्टिेड की गई कंपनी पर प्रतिबंध लगाया गया है कि उसे या फिर उसके मालिकों की दूसरे नाम की कंपनी को विभाग नया कार्य नहीं देगा।

– 228 करोड़ रुपए का था कार्य
मुख्य अभियंता ने अपने आदेश में कहा है कि ए-सिविल श्रेणी की ठेका कंपनी मेसर्स एचईएस इंफ्रा प्रायवेट लिमिटेड हैदराबाद को टर्नकी आधार पर त्योंथर बहाव योजना के तहत 37050 हेक्टेयर सिविल कमाण्ड एरिया के लिए टमस मुख्य नहर की आरडी 9.6 किमी. से 69.56 किमी., महान वितरक आरडी. 0.00 से 47.00 किमी, चिल्ला शाखा नहर आरडी. 0.00 से 23 किमी. एवं इनकी माइनर तथा सब माइनर नहरों का निर्माण एवं मिट्टी तथा स्ट्रक्चर का कार्य तीन वर्ष में पूरा करना था।इसकी राशि 228.89 करोड़ रुपए थी। ठंका कंपनी द्वारा अंकित दर 1.345 प्रतिशत कम यूएसआर 2009 अनुसार 225.79 करोड़ रुपए का कार्य जल संसाधन विभाग भोपाल द्वारा आवंटित किया गया था।

तीन वर्ष में पूरा करना था कार्य
जलसंसाधन विभाग ने ठेका कंपनी से एक अक्टूबर 2013 को अनुबंध किया था, जिसमें तीन वर्ष की अवधि में कार्य पूरा करना था। जिसे 9 वर्ष से अधिक की अवधि व्यतीत होने के बाद भी पूरा नहीं किया गया। अनुबंधित ४४ हजार हेक्टेयर के विरुद्ध मात्र 15000 हेक्टेयर सिंचाई रकबा संविदाकार द्वारा विकसित किया जा सका है। मुख्य नहर तथा उसकी माइनर नहरें एवं पक्की संरचनाओं का कार्य अधूरा होने के कारण शेष क्षेत्र सिंचाई से वंचित है, जिसकी जबावदेही संविदाकार की बताई गई है।

कोरोना काल का हवाला नहीं आया काम
बीते अक्टूबर महीने में मुख्य अभियंता गंगा कछार द्वारा ठेका कंपनी को नोटिस जारी की गई थी। जिस पर उसने समय पर कार्य पूरा नहीं होने की वजह प्रशासनिक लापरवाही को बताया है। कंपनी ने तर्क दिया है कि समय से भुगतान न होना, कोरोना महामारी की आपदा तथा पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति न होने की वजह से प्रोजेक्ट का कार्य प्रभावित हुआ है। मुख्य अभियंता ने ठेका कंपनी की इस दलील को नहीं माना है। कहा गया है कि जब 30 सितम्बर 2016 तक ही प्रोजेक्ट का कार्य पूरा करना था तो इस अवधि से करीब चार वर्ष के बाद वर्ष 2020 में कोरोना महामारी का बहाना स्वीकार नहीं किया जा सकता।

30 जून तक कार्य पूरा करने का है समय
ठेका कंपनी ब्लैक लिस्टिेड तो तीन वर्ष के लिए की गई है लेकिन वह इस अवधि में अपना कार्य नहीं छोड़ सकती। विभाग ने कहा है कि आगामी 30 जून तक शेष बचे कार्य को हर हाल मे पूरा कराएं अन्यथा सख्त एक्शन होगा। जानकारी मिली है कि कंपनी ने करीब 60 प्रतिशत कार्य पूरा कर लिया है लेकिन खेतों में सिंचाई के लिए पानी उस अनुपात में नहीं पहुंच पा रहा है। यदि कार्य पूरा हो जाता तो अब तक 44 हजार हेक्टेयर में सिंचाई शुरू हो जाती जिसमें महज 12 हजार हेक्टेयर तक हो पाई थी। हाल के दिनों में तीन हजार हेक्टेयर और कवर किया गया है।

नुकसानी का ऐसा किया आंकलन
विभाग ने ठेका कंपनी पर राष्ट्रीय कृषि उत्पादन के नुकसान का आरोप लगाते हुए कहा है कि वर्ष 2016 में किसानों के खेतों में पानी पहुंचाने का टारगेट था। यदि समय पर कार्य पूरा हो जाता तो 44 हजार हेक्टेयर में सिंचाई शुरू हो जाती। विभाग का अनुमान है कि प्रति हेक्टेयर में 35 क्विंटल अनाज का उत्पादन होता। छह वर्षों में समर्थन मूल्य पर इसकी लागत 1715 करोड़ रुपए अनुमानित की गई है।


ठेका कंपनी को वर्ष 2013 में तीन वर्ष की अवधि में कार्य पूरा करने का ठेका दिया गया था। नौ वर्ष के बाद भी कार्य अधूरा है। 44 हजार हेक्टेयर में सिंचाई का टारगेट है लेकिन 12 हजार हेक्टेयर में ही पानी पहुंच रहा है। छह वर्ष की अवधि में 1715 करोड़ रुपए का कृषि उत्पादन बाधित होने का अनुमान है।
सीएम त्रिपाठी, मुख्य अभियंता गंगा कछार रीवा
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो