छात्रों की हो रही फजीहत
कॉलेजों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को अक्सर विश्वविद्यालय से संबंधित कार्यों को लेकर समस्या होती रहती है। नामांकन, प्रैक्टिकल के नंबर, सेशनल नंबर को लेकर काफी जद्दोजहद होती है। कॉलेज के जिम्मेदारों के पास छात्र जाते हैं तो उनसे कहा जाता है कि यह विश्वविद्यालय की गलती है। पूरा ठीकरा विश्वविद्यालय पर फोड़कर कॉलेज के जिम्मेदार छात्र – छात्राओं को विश्वविद्यालय भेज देते हैं।
कॉलेजों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को अक्सर विश्वविद्यालय से संबंधित कार्यों को लेकर समस्या होती रहती है। नामांकन, प्रैक्टिकल के नंबर, सेशनल नंबर को लेकर काफी जद्दोजहद होती है। कॉलेज के जिम्मेदारों के पास छात्र जाते हैं तो उनसे कहा जाता है कि यह विश्वविद्यालय की गलती है। पूरा ठीकरा विश्वविद्यालय पर फोड़कर कॉलेज के जिम्मेदार छात्र – छात्राओं को विश्वविद्यालय भेज देते हैं।
दूर-दूर के बच्चे हर वर्ष होते हैं परेशान
सिंगरौली, सीधी एवं शहडोल के छात्र -छात्राएं इस समस्या से अक्सर परेशान होते हैं। परीक्षा के बाद जब रिजल्ट जारी होता है तो अक्सर यह स्थिति देखने को मिलती है। यदि अग्रणी कॉलेजों में विवि का केन्द्र स्थापित होता तो विश्वविद्यालय से संबंधित समस्याओं का निराकरण करने में छात्र – छात्राओं को परेशानी नहीं होती।
सिंगरौली, सीधी एवं शहडोल के छात्र -छात्राएं इस समस्या से अक्सर परेशान होते हैं। परीक्षा के बाद जब रिजल्ट जारी होता है तो अक्सर यह स्थिति देखने को मिलती है। यदि अग्रणी कॉलेजों में विवि का केन्द्र स्थापित होता तो विश्वविद्यालय से संबंधित समस्याओं का निराकरण करने में छात्र – छात्राओं को परेशानी नहीं होती।
कॉलेज एवं विवि के बीच परेशान होते हैं छात्र
छात्र-छात्राएं कॉलेज एवं विश्वविद्यालय के बीच दौड़ लगाते हैं। जहां कॉलेज की ओर से विश्वविद्यालय की गलती बताई जाती है तो विश्वविद्यालय के जिम्मेदार, कॉलेज की गलती बता देते हैं। कहा जाता है कि, कॉलेज से सेशनल नंबर नहीं आया है। सेशनल नंबर आने पर ही अंकसूची में नंबर चढ़ाए जाएंगे।
छात्र-छात्राएं कॉलेज एवं विश्वविद्यालय के बीच दौड़ लगाते हैं। जहां कॉलेज की ओर से विश्वविद्यालय की गलती बताई जाती है तो विश्वविद्यालय के जिम्मेदार, कॉलेज की गलती बता देते हैं। कहा जाता है कि, कॉलेज से सेशनल नंबर नहीं आया है। सेशनल नंबर आने पर ही अंकसूची में नंबर चढ़ाए जाएंगे।