इस तरह से कर्मचारियों की ओर से दिए गए अल्टिमेटम ने विश्वविद्यालय प्रशासन की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। इनदिनों प्रबंधन का पूरा जोर 28 जनवरी को होने वाले दीक्षांत समारोह पर है। उसी की तैयारी में कुलपति, कुलसचिव सहित अन्य अधिकारी सुबह से लेकर देर रात तक बैठकें कर रहे हैं। इस बीच कर्मचारियों के विरोध ने उनकी परेशानी को बढ़ा दिया है।
बीते सप्ताह दीक्षांत समारोह की तैयारियों के तहत ही विश्वविद्यालय परिसर में पुराने टाइल्स तोड़कर नए लगाए जाने की तैयारी की जा रही थी, जिसका कर्मचारियों ने विरोध करते हुए कार्य को रोक दिया था। साथ ही कुलपति को ज्ञापन देकर सातवें वेतनमान के एरियर्स का भुगतान करने और अन्य कई समस्याओं से अवगत कराया था और कहा था कि पहले इन समस्याओं का निराकरण किया जाए, इसके बाद ही दूसरी तैयारियों पर राशि खर्च हो। पूर्व से घोषणा के मुताबिक कर्मचारियों के महासभा की बैठक हुई, जिसमें विश्वविद्यालय के कर्मचारी संघ के प्रमुख पदाधिकारियों के साथ ही अन्य कर्मचारी मौजूद रहे। कुछ कर्मचारी तत्काल अनिश्चिकालीन आंदोलन का ऐलान करने के पक्ष में थे, वहीं कई ऐसे भी थे जो यह चाह रहे थे कि अभी एक दिन का और अवसर प्रशासन को दिया जाए।
दीक्षांत समारोह में यदि बड़ा विरोध प्रदर्शन किया जाता है तो इससे विश्वविद्यालय की छवि भी खराब होगी। इसी वजह से सर्व सम्मति से यह निर्णय पारित किया गया कि २३ जनवरी की शाम पांच बजे तक सातवें वेतनमान के एरियर्स की पहली किश्त कर्मचारियों के खाते में यदि नहीं पहुंचती तो अगले दिन २४ जनवरी को सुबह साढ़े दस बजे से विश्वविद्यालय का ताला नहीं खुलेगा। बैठक के बाद विश्वविद्यालय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष बुद्धसेन पटेल, अपाक्स कर्मचारी संघ के अध्यक्ष रामसुजान साकेत सहित अन्य कर्मचारी नेता कुलपति और कुलसचिव से मिले। उन्हें महासभा में लिए गए निर्णय से अवगत कराया गया।
राज्यपाल के सामने भी मांगों को लेकर करेंगे प्रदर्शन विश्वविद्यालय के कर्मचारियों ने कहा है कि दीक्षांत समारोह में २८ जनवरी को राज्यपाल लालजी टंडन आएंगे। उनके सामने भी अपनी मांगों को लेकर कर्मचारियों द्वारा प्रदर्शन किया जाएगा। राज्यपाल से मिलकर कर्मचारी बताएंगे कि किस तरह से लंबे समय से वह अपनी मांगों को विश्वविद्यालय प्रशासन के सामने रख रहे हैं। वहीं कर्मचारियों की मांगें पूरी करने के लिए विश्वविद्यालय आर्थिक संकट का हवाला देता है और दूसरे कार्यक्रमों में फिजूलखर्ची की जा रही है।