उल्लेखनीय है कि उच्च शिक्षा विभाग ने अतिथि विद्वानों के मानदेय में पीछले वर्ष बढ़ोत्तरी कर दी है। इस समय उन्हें करीब 30 हजार रुपए प्रतिमाह मानदेय मिल रहा है। जबकि एपीएसयू सहित अन्य कालेजों में जनभागीदारी समिति या स्ववित्तीय कोर्स के संचालन के लिए रखे गए अतिथि विद्वानों को अपेक्षा कृत काफी कम मानदेय मिल रहा है।
उनकी मांग है कि उनके मानदेय को उच्च शिक्षा विभाग द्वारा दिए जा रहे करीब 30 हजार रुपए मानदेय के बराबर दिया जाए।
कार्यपरिषद में भी उठा था मुद्दा
मानदेय बढ़ाने की मांग को लेकर एपीएसयू के अतिथि विद्वान धीरे – धीरे विरोध करना शुरू कर दिए हैं। अतिथि विद्वान यह प्रयास कर रहे हैं कि उनके इस मुद्दे को कार्यपरिषद की बैठक में एजेंडा बनाया जाए। पिछली बार हुई कार्यपरिषद की बैठक में सदस्यों के माध्यम से इस मुद्दों के उठाने का प्रयास किया गया था। 12 जनवरी को हुई बैठक में भी ऐसा ही प्रयास हुआ। लेकिन बात नहीं बन पाई।
अब अतिथि विद्वान विरोध पर उतर रहे हैं। विश्वविद्यालय अतिथि विद्वान संघ के अध्यक्ष डॉ. शेर सिंह परिहार के नेतृत्व में धरना दिया जाएगा। जिसमें सचिव कमलाकर पाण्डेय, डॉ. अनुराग मिश्रा, डॉ. कमलेश मिश्रा, डॉ. एसपी सिंह, डॉ. शशांक पाण्डेय, डॉ. देवेन्द्र मिश्रा, डॉ. केके जायसवाल, डॉ.नीती मिश्रा, डॉ. चंद्र प्रकाश मिश्रा, डॉ. अरविंद सिंह, डॉ. योगेन्द्र तिवारी सहित सभी अतिथि विद्वान शामिल होंगे।
पढ़ाई होगी प्रभावित
विश्वविद्यालय में चल रहे शैक्षणिक विभागों में अध्यापन का कार्य ज्यादातर अतिथि विद्वानों के भरोसे ही है। बुधवार को उनके धरने पर जाने से स्टूडेंट्स की पढ़ाई प्रभावित होंगी। कक्षाओं का संचालन मुश्किल ही होगा। कई विभाग तो ऐसे हैं जहां विभागाध्यक्ष के अलावा सभी अतिथि विद्वान ही हैं।