अतिथि प्राध्यापक संघ के अध्यक्ष डॉ. शेर सिंह परिहार ने कहा कि विवि समन्वय समिति की 95वीं बैठक 6 सितंबर 2018 को हुई थी।
जिसमें विषय क्रमांक 14 (2) में अतिथि विद्वानों का मानदेय बढ़ाने का निर्णय लिया गया था। आज तक उस निर्णय पर अमल नहीं हुआ।
उन्होंने कहा कि पिछले दिनों 21 जनवरी को विश्वविद्यालय प्रशासन से मांगों के संबंध में उचित निर्णय लेने का अनुरोध किया गया था लेकिन उस पर ध्यान नहीं दिया गया।
जिसकी वजह से एक दिवसीय धरने पर बैठना पड़ा। कहा कि, यदि हमारी मांगों के संबंध में जल्द कोई निर्णय नहीं लिया गया तो हम आगामी दिनों में भी धरना प्रदर्शन करेंगे।
स्ववित्तीय एवं नियमित कोर्स में कर रहे कार्य
सचिव डॉ. कमलाकर पाण्डेय ने कहा कि, स्ववित्तीय, नियमित पाठ्यक्रम में वे कार्य कर रहे हैं। हम अतिथि विद्वानों को राज्य शासन एवं समन्वय समिति के निर्णयानुसार मानदेय भुगतान होना चाहिए।
मीडिया संयोजक डॉ. शशांक पाण्डेय ने कहा, वर्तमान में हमें राज्य शासन द्वारा पूर्व निर्धारित 275 रु. प्रति कालखण्ड की दर से मानदेय दिया जा रहा है।
राज्य शासन ने 26 जून 2018 को मानदेय संबंध में नवीन निर्देश जारी किए हैं लेकिन उसके आधार पर विश्वविद्यालय में काम कर रहे अतिथि विद्वानों को मानदेय नहीं दिया जा रहा है।
धरना प्रदर्शन के दौरान डॉ. कमलेश मिश्रा, डॉ. विजय मिश्रा, डॉ. चन्द्रप्रकाश मिश्रा, डॉ. ऋचा चतुर्वेदी, डॉ. नीति मिश्रा, डॉ. आनंद ङ्क्षसह, डॉ. कल्पना पाण्डेय, डॉ. एसपी सिंह, डॉ. संजीव मिश्रा, डॉ. सुनील, रंजन केलकर, साइस्ता सिद्धिकी, डॉ. योगेन्द्र तिवारी, डॉ. सुनील पाण्डेय, डॉ. प्रीतम सिंह, डॉ. नीलम पाण्डेय, डॉ. केके जायसवाल सहित बड़ी सं या में अतिथि विद्वान मौजूद रहे।
विभागों में छाया रहा सन्नाटा
अतिथि विद्वानों के घरने पर जाने की वजह से विभागों में अध्यापन का कार्य दिन भर प्रभावित रहा। विश्वविद्यालय पहुंचे स्टूडेंट्स कुछ समय रुकने के बाद वापस चले गए। धरने की वजह से कुछ स्टूडेंट्स विश्वविद्यालय पहुंचे ही नहीं।