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विश्वविद्यालयों में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की जानी है यह कवायद, बरती जा रही गजब की लापरवाही

locationरीवाPublished: Sep 05, 2018 12:55:04 pm

Submitted by:

Ajeet shukla

यूजीसी व कोर्ट का निर्देश हवा…

University declared the date of PhD registration

University declared the date of PhD registration

रीवा। विश्वविद्यालय के निर्देश और हाइकोर्ट के आदेश के बावजूद अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय में लोकपाल की नियुक्ति नहीं हो सकी है। नियुक्ति के बावत शासन की लचर कार्यप्रणाली और विश्वविद्यालय प्रशासन की उदासीनता को राज्यपाल यानी कुलाधिपति ने गंभीरता से लिया है। यही वजह है कि प्रकरण को विश्वविद्यालय समन्वय समिति के एजेंडा में शामिल किया गया है।
समन्वय समिति की बैठक में उठेगा मुद्दा
राज्यपाल की अध्यक्षता में छह सितंबर को भोपाल में आयोजित होने वाली विश्वविद्यालय समन्वय समिति की बैठक में लोकपाल की नियुक्ति नहीं हो पाने के मामले पर चर्चा की जाएगी। कुलपति को वस्तुस्थिति से अवगत कराते हुए उन कारणों को स्पष्ट करना होगा, जिन कारणों से नियुक्ति प्रक्रिया लंबित है। बैठक में शासन के प्रतिनिधि भी राज्यपाल को स्थिति से अवगत कराएंगे।
यूजीसी ने जारी किया विशेष निर्देश
विश्वविद्यालयों में भ्रष्टाचार, विवाद, शिकायत व समस्याओं के निवारण संबंधी मामलों के निस्तारण के लिए लोकपाल की नियुक्ति किया जाए। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के इस निर्देश के बाद एक मामले में हाइकोर्ट ने भी नियुक्ति का आदेश दिया है, लेकिन शासन स्तर से होने वाली नियुक्ति महीनों बीतने के बावजूद अभी तक अधर में लटकी हुई है। यह बात और है कि विश्वविद्यालय में लोकपाल की सख्त आवश्यकता महसूस की जा रही है।
सात विश्वविद्यालयों में हो चुकी है नियुक्ति
यूजीसी के निर्देशों के अनुरूप प्रदेश के छह विश्वविद्यालयों में लोकपाल की नियुक्ति पूरी की जा चुकी है। लोकपाल नियुक्ति करने वालों बरकतउल्ला विश्वविद्यालय भोपाल, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौरा, विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर, मध्यप्रदेश भोज (मुक्त) विश्वविद्यालय भोपाल व अटल बिहारी बाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय भोपाल शामिल हैं। जबकि एपीएस विश्वविद्यालय सहित सात विश्वविद्यालयों में नियुक्ति होना अभी बाकी है।
लोकपाल के प्रमुख दायित्व
– विवि में प्रशासकीय व वित्तीय भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना
– शासन के नियम के विरुद्ध हो रहे कार्यों को संज्ञान में लेना
– विवि के कर्मचारियों व छात्रों की शिकायतों पर अमल करना
– विभागों के बीच विवादों में निराकरण के लिए हस्तक्षेप करना
– विश्वविद्यालय की सभी गतिविधियों की रिपोर्ट शासन का देना
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