एक-दो छात्रों का माइग्रेशन देने के बाद कर्मचारी अन्य कार्य में व्यस्त हो जाते है। सैकड़ों छात्रों की भीड़ इंतजार करती रहती है। इंतजार इतना लम्बा होता है कि छात्रों को रात हो जाती है। कभी-कभी तो दूसरे दिन का इंतजार करना पड़ता है। सीधी, सिंगरौली, शहडोल, सतना से आने वाले छात्र-छात्राओं को ज्यादा दिक्कत होती है।
एपीएसयू से संबंधित सभी कॉलेजों के छात्र माइग्रेशन के लिए विश्वविद्यालय आते हैं। अन्य विश्वविद्यालय से संबंधित कॉलेज में प्रवेश लेने के दौरान उन्हें माइग्रेशन की जरूरत पड़ती है।
माइग्रेशन लेने आए शहडोल के कुछ छात्रों के मुताबिक माइग्रेशन को बनवाने में जितनी दिक्कत नहीं होती। उससे ज्यादा दिक्कत उसे पाने में होती है। माइग्रेशन देने के लिए कम से कम दो काउंटर की व्यवस्था करनी चाहिए। जहां छात्र अपने माइग्रेशन को ले सके।
बिना किसी काउंटर के वितरण में काफी दिक्कत होती है। छात्रों के मुताबिक जानबूझकर ऐसी अव्यवस्था बनाई जाती है।
माइग्रेशन के लिए करीब सैकड़ा भर से ज्यादा छात्र-छात्राएं प्रतिदिन आवेदन कर रहे हैं। दोपहर एक बजे तक ऑनलाइन आवेदन लिए जाते हैं।
इसके बाद माइग्रेशन तैयार कर शाम चार बजे से छात्र-छात्राओं को उपलब्ध कराना होता है। विभिन्न स्थानों से ऑनलाइन आवेदन करने वाले छात्र-छात्राएं शाम चार बजे माइग्रेशन के लिए विश्वविद्यालय में एकत्रित होते हैं। विश्वविद्यालय के कर्मचारियों को दो घंटे में माइग्रेसन तैयार करना होता है।
आनन-फानन में यह काम पूरा किया जाता है। जिससे उसी दिन छात्रों को मिल सके।