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भाजपा को बड़ा झटका : निर्वाचित अध्यक्ष को पद से हटाने के लिए वोटिंग करेंगे लोग, पहली बार होगा ऐसा

locationरीवाPublished: Jul 06, 2018 05:19:19 pm

Submitted by:

Mrigendra Singh

नगरीय प्रशासन विभाग ने जारी किया आदेश, पार्षदों ने अध्यक्ष पर अविश्वास जताया था और 9 माह पहले की थी शिकायत

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रीवा। नगर परिषद के चुनाव में जिस अध्यक्ष का चुनाव जनता ने किया था, उस पर पार्षदों ने अविश्वास जताया है। इसकी पूर्व में की गई शिकायत के बाद राज्य सरकार ने भी माना है कि पार्षदों की शिकायत उचित है। इस कारण प्रदेश के अन्य नगरीय निकायों में होने वाले चुनावों के साथ ही नगर परिषद सिरमौर की अध्यक्ष का भविष्य भी तय किया जाएगा। भरी कुर्सी-खाली कुर्सी के लिए चुनाव कराया जाएगा। इसमें जनता तय करेगी कि वह अध्यक्ष को पद के लिए उचित मानती है अथवा नहीं।
रीवा जिले में इस तरह का यह पहला अविश्वास होने जा रहा है। सबसे पहले नगरीय निकायों में अध्यक्ष को पद से हटाने के लिए अनूपपुर में सरकार की ओर से वर्ष 2000 में प्रयोग किया गया था। इसके पहले शिकायतें आती रही हैं लेकिन उनके दस्तावेजों के परीक्षण के दौरान खाली कुर्सी-भरी कुर्सी के लिए मतदान कराने की स्थितियां नहीं बनी थी।
राज्य सरकार ने कहा है कि नगरीय निकायों में जहां कार्यकाल पूरा हो चुका है, वहां पर इसी महीने चुनाव कराया जाएगा। इसके साथ ही सिरमौर में भी अध्यक्ष को हटाने या फिर बने रहने पर चुनाव कराया जाना है। इसकी तारीख का भी ऐलान इसी सप्ताह कर दिया जाएगा। सिरमौर नगर परिषद की अध्यक्ष ने भाजपा की टिकट पर चुनाव जीता था.
13 पार्षदों ने जताया था अविश्वास
नगर परिषद सिरमौर के 15 में से 13 पार्षदों ने बीते साल अक्टूबर महीने में परिषद अध्यक्ष शांति चौरसिया को पद से हटाने की मांग को लेकर शिकायत की थी। इस मांग पर कलेक्टर ने सभी पार्षदों के हस्ताक्षर और पहचान का सत्यापन कराने के बाद शासन को प्रस्ताव भेजा था कि निर्धारित नियमों के तहत खाली कुर्सी-भरी कुर्सी का चुनाव कराया जाना चाहिए। राज्य सरकार ने भी इसका परीक्षण कराने के बाद निर्वाचन आयोग को मामला भेज दिया है, जहां से चुनाव की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है।
दायित्व के प्रति गंभीर नहीं होने का है आरोप
नगर पालिक निगम अधिनियम 1961 की धारा 47 में उल्लेख है कि नगरीय निकाय के निर्वाचित अध्यक्ष या मेयर को कार्य के प्रति उदासीन होने या फिर अन्य गंभीर आरोपों की वजह से तीन चौथाई पार्षद पद से हटाने का अविश्वास जाहिर कर सकते हैं। सिरमौर में भी इसी नियम के तहत शिकायत की गई थी। पार्षदों ने आरोप में कहा था कि नगर परिषद अध्यक्ष का पुत्र हर कार्य में हस्तक्षेप करता है। वह अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठता है और कार्यों का संचालन करता है। अध्यक्ष शांति चौरसिया की उदासीनता की वजह से विकास बाधित है।
इन पार्षदों ने की थी शिकायत
नगर परिषद सिरमौर की अध्यक्ष को पद से पृथक करने की मांग को लेकर परिषद के उपाध्यक्ष बृजेश पांडेय, कामदनाथ पांडेय, नीलम सिंह, राजकुमारी आदिवासी, कमलेश कुशवाहा, प्रेमा साकेत, लीलावती गुप्ता, अनूपावती सेन, भूषण आदिवासी, संगीता लोध, लल्लू प्रसाद लोध, राजेश सेन, राजकुमार शुक्ला आदि ने शिकायत दर्ज कराई थी। इसमें भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों के पार्षद शामिल हैं।
प्रशासन ने तैयारी भी कर दी प्रारंभ
खाली कुर्सी-भरी कुर्सी का चुनाव कराने की सहमति मिलने के बाद प्रशासन ने आंतरिक तैयारियां प्रारंभ कर दी हैं। अब अधिसूचना जारी होने का इंतजार किया जा रहा है। नगरीय प्रशासन विभाग के संयुक्त संचालक आरपी सोनी ने बताया कि निर्वाचन से जुड़ी पूरी प्रक्रिया जिला प्रशासन के अधीन होगी।

परिषद अध्यक्ष की उदासीनता से विकास कार्य बाधित हो रहे थे। इस वजह से १३ पार्षदों की ओर से आवेदन कलेक्टर को सौंपा गया था। उन्होंने हर पार्षद और उसके हस्ताक्षर का सत्यापन कराने के बाद शासन को मामला भेजा था। देर जरूर हुई लेकिन जनता की भावनाओं के अनुरूप शासन ने निर्णय लिया है।
बृजेश पाण्डेय, उपाध्यक्ष नगर परिषद सिरमौर

पार्षदों की ओर से पूर्व में नगर परिषद अध्यक्ष के प्रति अविश्वास जाहिर किया गया था और पद से हटाने की मांग उठाई गई थी। आवेदन का सत्यापन करने के बाद शासन को भेजा गया था। जहां से आगे की प्रक्रिया का अभी शेड्यूल जारी होना बाकी है। निर्धारित गाइड लाइन का पालन करते हुए आगे की कार्रवाई होगी।
नीलमणि अग्रिहोत्री, एसडीएम सिरमौर
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