अफसोस की बात यह है कि इसके बावजूद पशुओं को उचित उपचार नहीं मिल पा रहा है। लापरवाही का आलम यह है कि उप पशु चिकित्सा कार्यालय रीवा में पदस्थ अधिकारियों ने पिछले कुछ महीनों के दौरान एक भी वैक्सीन का आर्डर नहीं किया।
नियमों के मुताबिक या तो अस्पताल में वैक्सीन होनी चाहिए या फिर आवश्यकता पडऩे पर आर्डर कर मगाई जाए। हालत यह है कि न तो इनके पास वैक्सीन है और न ही ये मंगा रहे हैं।
बताया जा रहा है कि पशु चिकित्सक पशु पालकों को बाजार से वैक्सीन खरीदकर दवा कराने की सलाह देते हैं। अफसर यह नहीं बता पा रहे हैं कि पिछली बार उन्हें वैक्सीन की जरूरत कब पड़ी और कितनी मात्रा में मंगाई गई।
नियमों के मुताबिक जिला मुख्यालय के साथ ही ब्लॉक मुख्यालयों के पशु अस्पतालों में वैक्सीन होना चाहिए। फिर भी यदि किसी वजह से ब्लॉक मुख्यालयों में रखरखाव की दिक्कत की वजह से न रखी जाए तो जिला मुख्यालय के अस्पतालों में तो जरूर होनी चाहिए लेकिन ऐसा नहीं है।
ज्यादातर मामलों में आवश्यकता पडऩे पर पशु चिकित्सक वैक्सीन अस्पताल से उपलब्ध नहीं कराते। इसके लिए पशु पालकों को बाजार पर ही निर्भर रहना पड़ता है।
बताया जाता है कि ग्रामीण अंचलों में पदस्थ पशु चिकित्सकों का ज्यादातर समय जिला मुख्यालय पर ही गुजरता है। अस्पतालों में कम ही मिलते हैं। जवा, त्योंथर, गढ़, लौआ, में पदस्थ चिकित्सक अस्पताल में कम मुख्यालय में ज्यादा समय बिता रहे हैं।
पशु चिकित्सा विस्तार अधिकारी एवं सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी के पद पद रिक्त भी हैं। जिले में पशु चिकित्सा सहायक शल्यज्ञ के 46 एवं सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी के 165 पद स्वीकृत हैं। जिसमें पदस्थापना क्रमश: 21 एवं 62 है।