कुछ ही यात्रियों को देते हैं रसीद
यात्रियों से ओवरचार्जिंग एवं खाद्य सामग्री की गुणवत्ता को लेकर रेलमंत्री ने सितंबर माह में नो बिल नो पेमेंट सिस्टम लागू किया था। यात्रियों को सुविधा दी गई है कि वह वेंडर द्वारा रसीद नहीं देने पर सामग्री की कीमत देने को बाध्य नहीं हैं। इसके पीछे मंशा थी कि प्लेटफार्म पर सामग्री शतप्रतिशत बिल पर ही बिके, बावजूद इसके दो फीसदी यात्रियों को ही रीवा रेलवे स्टेशन पर रसीद दी जा रही है। रसीद नहीं देना पड़े इसके लिए वेंडरों के पास कई बहाने हैं, अगर यात्री ने रसीद मांगा तो उसे कम से कम दस मिनट का समय लगा देते हैं। यही कारण है कि यात्री बिना रसीद के ही सामग्री लेकर चले जाते हैं। भीड़ देखकर मनमानी कीमत वसूल की जाती है।
यात्रियों से ओवरचार्जिंग एवं खाद्य सामग्री की गुणवत्ता को लेकर रेलमंत्री ने सितंबर माह में नो बिल नो पेमेंट सिस्टम लागू किया था। यात्रियों को सुविधा दी गई है कि वह वेंडर द्वारा रसीद नहीं देने पर सामग्री की कीमत देने को बाध्य नहीं हैं। इसके पीछे मंशा थी कि प्लेटफार्म पर सामग्री शतप्रतिशत बिल पर ही बिके, बावजूद इसके दो फीसदी यात्रियों को ही रीवा रेलवे स्टेशन पर रसीद दी जा रही है। रसीद नहीं देना पड़े इसके लिए वेंडरों के पास कई बहाने हैं, अगर यात्री ने रसीद मांगा तो उसे कम से कम दस मिनट का समय लगा देते हैं। यही कारण है कि यात्री बिना रसीद के ही सामग्री लेकर चले जाते हैं। भीड़ देखकर मनमानी कीमत वसूल की जाती है।
बनती है विवाद की स्थिति
दो दिन पहले ही फूड प्लाजा में ओवरचार्जिंग को लेकर यात्री ने जमकर विवाद किया था। विवाद इतना बढ़ा कि जीआरपी एवं आरपीएफ को हस्तक्षेप करना पड़ा है। रसीद नहीं देने व पैसा लौटाने को लेकर यात्री व फूड प्लाजा के वेंडर का विवाद बढ़ गया। इस घटना के बाववजूद कमर्शियल विभाग के अधिकारियों की नींद नहीं टूटी है।
दो दिन पहले ही फूड प्लाजा में ओवरचार्जिंग को लेकर यात्री ने जमकर विवाद किया था। विवाद इतना बढ़ा कि जीआरपी एवं आरपीएफ को हस्तक्षेप करना पड़ा है। रसीद नहीं देने व पैसा लौटाने को लेकर यात्री व फूड प्लाजा के वेंडर का विवाद बढ़ गया। इस घटना के बाववजूद कमर्शियल विभाग के अधिकारियों की नींद नहीं टूटी है।