राजमणि पटेल ने पहली बार 1972 में सिरमौर से चुनाव लड़ा और समाजवादी नेता यमुना प्रसाद शास्त्री को हराकर सुर्खियों में आए। इसके बाद सन 80 और 85 में लगातार विधायक बने। सन 82 में सेतु निर्माण निगम के अध्यक्ष भी बने। पहली बार 1985-90 तक राजस्व एवं संसदीय कार्य मंत्री रहे। 98 में भी मंत्री बने। प्रदेश कांग्रेस के कार्यकाली अध्यक्ष के साथ ही अन्य कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे।
वर्ष 2003 और 2013 में पूरे प्रदेश का भ्रमण कर ‘जागो जगाओ जोड़ो कर्मवीर जागरण यात्राÓ निकाली। मप्र पिछड़ा वर्ग सामाजिक संगठन के प्रांताध्यक्ष भी हैं। इसके अलावा लगातार वह सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ आंदोलन चलाते रहे हैं। व्यापमं घोटाले पर भूख हड़ताल भी कर चुके हैं।
भाजपा नेता अजय प्रताप सिंह मूल रूप से चुरहट के नजदीक दुअरा गांव के रहने वाले हैं। इनके पिता संघ से जुड़े थे। युवा मोर्चा के प्रमुख पदों में रहने के साथ ही भाजपा रचनात्मक प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय संयोजक के साथ ही अन्यपदों पर रहे। करीब एक दशक से प्रदेश के प्रमुख रणनीतिकारों में पार्टी ने उन्हें भी शामिल किया है। पहले प्रदेश मंत्री, उपाध्यक्ष और अब महामंत्री हैं। वर्ष 2011 में विंध्य विकास प्राधिकरण के पहले अध्यक्ष नियुक्त किए गए थे। भाजपा ने सीधी और चुरहट से उन्हें विधानसभा चुनाव भी लड़ाया लेकिन वह जीत नहीं पाए। इसके पहले जिला पंचायत का भी चुनाव लड़ा था।
कांग्रेस नेता राजमणि पटेल रीवा से राज्यसभा के लिए जाने वाले पांचवे नेता होंगे। इसके पहले कप्तान अवधेश प्रताप सिंह, जगदीश चंद्र जोशी, गुरुदेव गुप्ता, केशव प्रसाद शुक्ला राज्यसभा के सदस्य रह चुके हैं। सतना से गुलशेर अहमद, सीधी से अर्जुन सिंह और जगन्नाथ सिंह भी राज्यसभा का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। विंध्य के राजनीतिक विश्लेशक जयराम शुक्ला का कहना है कि सांस्कृतिक और राजनीतिक रूप से विंध्य ने सदैव अपना महत्व बनाए रखा। कुछ समय से राज्यसभा के लिए इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व नहीं हो रहा था लेकिन दोनों दलों ने ऐसे नेताओं के नामों का चयन किया है, जिनकी सराहना पार्टियों के भीतर और बाहर दोनों जगह होगी।