बताया गया है कि बीते 31 जुलाई को बीपीओ राजेन्द्र त्रिपाठी, उपयंत्री राजनारायण मिश्रा ग्राम पंचायत माड़ौ में जांच करने पहुंचे थे। इस दौरान भीड़ जुटती रही और सोशल डिस्टेंसिंग की अनदेखी होती रही। गांव के निवासी गुरुदत्त सिंह, राकेश सिंह, कृष्ण कुमार सिंह, महेश प्रसाद, भदई कोल, सूर्यभान कोल, लक्ष्मन सहित अन्य ने शिकायत दर्ज कराई है कि जिले भर में लॉकडाउन घोषित है तो भीड़ जुटाने का क्या औचित्य है। यह जांच कार्रवाई लॉकडाउन समाप्त होने के बाद भी की जा सकती थी लेकिन गांव के लोगों को महामारी के मुंह में धकेलने का प्रयास किया गया है। ग्रामीणों ने जांच अधिकारियों के साथ ही पंचायत के सरपंच बृजेन्द्र प्रसाद पटेल एवं प्रभारी सचिव प्रदीप सिंह के विरुद्ध कार्रवाई की मांग उठाई है।
लॉकडाउन का उल्लंघन करने पर पूर्व में कई लोगों पर एफआइआर दर्ज हो चुकी है। कांग्रेस पार्टी के कई नेताओं के विरुद्ध मामला दर्ज किया गया था। साथ ही बीते सप्ताह लॉकडाउन घोषित करते हुए कलेक्टर ने सभी एसडीएम के साथ ही पुलिस अधिकारियों से कहा है कि लॉकडाउन की शर्तांे के विपरीत काम करने की शिकायत आए तो सीधे एफआइआर दर्ज कराएं। माड़ौ गांव के लोगों ने अब उन्हीं नियमों और प्रक्रियाओं का हवाला देते हुए कहा है कि यहां पर जानबूझकर संक्रमण फैलाने का प्रयास किया गया है। इसलिए सरपंच-सचिव के साथ ही जांच करने पहुंचे अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए।
माड़ौ गांव में सोशल डिस्टेंसिंग की खुलेआम धज्जियां उड़ाई गई, जिनका वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुआ। साथ ही एसडीएम तक शिकायत भी पहुंची। इस मामले में एसडीएम नीलमणि अग्रिहोत्री से जानकारी चाही गई तो उन्होंने कोई प्रतिक्रिया जारी नहीं की है, बल्कि मामले में चुप्पी साध ली है। बताया जा रहा है कि एसडीएम और जनपद के सीईओ के निर्देश पर ही जांच टीम भेजी गई थी। इसलिए आरोपों के घेरे में वह भी आ सकते हैं।