रीवा

लॉकडाउन में भोजन की समस्या हुई तो पैदल ही चल दिया घर, रास्ते में आ गई मौत

मऊगंज के तिलिया गांव के युवक की जलगांव के नजदीक सड़क दुर्घटना में मौत

रीवाApr 18, 2020 / 10:18 pm

Anil singh kushwah

Walked home on the problem of food, died on the way

रीवा. लॉकडाउन में भोजन की समस्या हुई तो गांव के लिए पैदल ही निकल पड़े, लेकिन दुर्भाग्य देखिए कि रास्ते में सड़क दुर्घटना का शिकार हो गए। अब विडंबना यह कि वहां की सरकार शव भी भेजने के लिए तैयार नहीं। हालांकि बाद में पूर्व विधायक के प्रयास से शव मऊगंज लाया गया। बताया गया कि कोरोना संक्रमण रोकने लगाए लॉकडाउन में बड़ी संख्या में रीवा जिले के लोग दूसरे शहरों में फंसे हैं। महाराष्ट्र के जलगांव में मऊगंज के कई गांवों के युवक नौकरी के लिए गए थे। लॉकडाउन का पहला चरण समाप्त होने के बाद दूसरा चरण तीन मई तक के लिए लागू कर दिया गया है।
शव लाने में भी हो रही फजीहत
इस बीच जलगांव में रह रहे युवकों का काम पहले से बंद हो गया था, सामाजिक संगठनों द्वारा दिए जा रहे भोजन से अब तक भूख मिटाते रहे लेकिन वहां व्यवस्था में कुछ बदलाव के चलते भोजन की समस्या होने लगी। इसलिए युवकों का दल रीवा के लिए पैदल ही निकल पड़ा था। जलगांव की सीमा पार करने के बाद जैसे ही युवकों का दल सड़क पर आगे बढ़ रहा था, इसी बीच एक तेज रफ्तार वाहन ने टक्कर मार दी। जिससे हनुमना थाना क्षेत्र के तिलिया गांव के रहने वाले राजबहोर पिता भारत कोल की मौके पर ही मौत हो गई। साथ में मौजूद युवकों के पास घर तक शव लाने के लिए रुपए नहीं थे। वहां के स्थानीय प्रशासन ने वहीं पर अंतिम संस्कार करने का जोर दिया। इसकी जानकारी मऊगंज के पूर्व विधायक सुखेन्द्र सिंह बन्ना को मिली तो उन्होंने स्वयं के खर्च पर एंबुलेंस की व्यवस्था कराकर मृतक के पार्थिव शरीर के साथ ही अन्य युवकों को घर तक पहुंचाने की व्यवस्था की, जिससे गांव लाकर उसका अंतिम संस्कार किया जा सका।
सरकार पर उठाए सवाल
पूर्व विधायक बन्ना ने सरकार पर सवाल भी उठाए और कहा कि इस तरह अकारण मौतों की जिम्मेदारी आखिरी किसकी है। लॉकडाउन का सख्ती से पालन कराया जाना चाहिए और जरूरतमंदों को वहीं पर सारी सुविधाएं मिलें। जब भूखों मरने की स्थिति निर्मित होती है तो इस तरह लोग व्याकुल होकर अपने घरों की ओर भागते हैं और दुर्घटनाओं का शिकार हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि यहां के युवक परेशान हैं और लेकिन सरकार की ओर से उन्हें कोई मदद नहीं दी जा रही है।
बेंगलुरू से ट्रकों से दो दर्जन लोग आए, पुलिस ने किया क्वारंटाइन
ट्रकों में भरकर दो दर्जन से अधिक लोग शुक्रवार को चाकघाट बार्डर पहुंच गए। वहां से वे पैदल जा रहे थे जिनको पुलिस ने रोक लिया। एसडीओपी त्योंथर चंद्रगुप्त द्विवेदी सहित थाने के स्टाफ ने सभी लोगों का मेडिकल परीक्षण कराया और उनको चाकघाट में ही कोरेंटाइन करवा दिया। ये ट्रक की मदद लेकर यहां तक पहुंचे थे। चौदह दिनों तक उनको कोरेंटाइन रहना पड़ेगा और यदि चिकित्सकों द्वारा उनका परीक्षण भी किया जायेगा। इसके बाद यदि कोरोना संक्रमण के लक्षण नहीं मिलेंगे तो इन्होंने यहां से जाने की इजाजत दे दी जाएगी, लेकिन यहां से जाने के बाद होम आइसोलेशन में रहना पड़ेगा।
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