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पत्रिका अमृतम् जलम् : मंत्रोचार के साथ साफ हुई बिछिया नदी, जलस्तर बढ़ाने सरकार ने तैयार किया 200 करोड़ का डीपीआर

locationरीवाPublished: Jun 30, 2019 09:20:54 pm

Submitted by:

Rajesh Patel

शहर की प्राणदायिनी जीवनदायिनी नदी बिछिया को बचाने के लिए सांसद, संभागायुक्त सहित सरकारी गैर सरकारी संस्थान और विभिन्न स्वयं सेवाी संगठनों के सदस्यों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया

Water-raising government created a DPR of 200 crore

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रीवा. शहर की प्राणदायिनी जीवनदायिनी नदी बिछिया को बचाने के लिए सांसद, संभागायुक्त सहित सरकारी गैर सरकारी संस्थान और विभिन्न स्वयं सेवाी संगठनों के सदस्यों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। पत्रिका अमृतम जलम अभियान के तहत रविवार की सुबह जैसे ही मंत्रोचार के साथ श्रमदान चालू हुआ कि सभी हाथ में झाडू, तगाड़ी लेकर भगरीथ बनने का प्रयास किया। उधर, प्रदेश सरकार ने बिछिया नदी के जलस्तर बढ़ाने 200 करोड़ रुपए का डीपीआर तैयार किया है।
सांसद, संभागायुक्त सहित सामजसेवी बने भगीरथ
पत्रिका के स्लोगन आओ बने भगीरथ के साथ शहरियों ने समाजसेवियों के साथ श्रमदान कर बिछिया के निर्मलता के कारवां को आगे बढ़ाया। पत्रिका अभियान के तहत पिछले एक माह से लगातार हर रविवार को विंध्य की शान लक्ष्मणबाग और किला के बीच स्थित बिछिया पुल के पास नदी की सफाई की गई। हर बार सैकड़ों की संख्या में समाजसेवी, बुद्धजीवी, युवा, कवि, शिक्षक सहित पर्यावरण पे्रमी बिछिया नदी में श्रमदान के लिए जुटे।
हर बार की तरह इस बार भी सुबह ६ बजे श्रमदान
हर बार की तरह इस बार भी सुबह ६ बजे श्रमदान की शुरूआत ब्रह्माकुमारी की बहनों ने मंत्रोचार ओर भजन के साथ की। ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विवि की संचालिका निर्मला बहन ने नदी संरक्षण को बचाने के लिए लोगों को प्रेरित करने शपथ दिलाई। श्रमदान का शुभारंभ सांसद जनार्दन मिश्र, संभागायुक्त डॉ अशोक कुमार भार्गव और निर्मला बहन जी ने झाडू लगाकर की। पक्के घाट पर जुटे लोगों ने मानव श्रृखला बनाकर नदी से जलकुंभी निकाली।
पेड़ रहेंगे तो नदियां बचेंगी-सांसद
पत्रिका अमृतम् जलम् अभियान, आओ बने भगीरथ के तहत बिछिया नदी को बचाने के लिए इस रविवार को सांसद जनार्दन मिश्र भी पहुंचे। इस दौरान उन्होंने पत्रिका के अभियान की सराहना करते हुए कहा कि पेड़ रहेंगे तो नदियां बचेंगीं। इसलिए नदियों के किनारे अधिक से अधिक पौधे रोपे जाएं। नीम के पेड़ों से सबसे अधिक जल संरक्षित होता है। रीवा की मिट्टी भी नीम के पौधरोपण के लिए अनुकूल है। इस लिए सभी से आग्रह हैकि सभी लोग नीम का एक-एक पौध लगाएं
शहर बसा कर हम लोग गांव ढंूढते हैं
पत्रिका के इस महा अभियान के शुभारंभ और समापन दोनों अवसर पर संभागायुक्त डॉ अशोक कुमार भार्गव पहुंचे। इस दौरान उन्होंने शायरी के अंदाज में कहा कि ‘शहर बसा कर हम लोग गांव ढंूढते हैं, अजीब है हाथ में कुल्हाड़ी लेकर छांव ढंूढते हैं’। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि आज हम नहीं संभले तो भावी पीढ़ी को कुछ नहीं दे पाएंगे। इस लिए प्रकृति ने जो पानी का बैंक दिया है, उससे निकालने के साथ ही जमा भी करें। जिससे हमारी आने वाली पीढ़ी को पानी मिल सके। इस दौरान संभागायुक्त ने जल सरंक्षण के लिए गांधी जी का किस्सा भी सुनाया। उन्होंने कहा कि एक बार गांधी जी ने साबरमती नदी से एक मुट्ठी मिट्टी मंगाया। गांधी जी के आह्वान पर एक व्यक्ति ने एक मुट्ठी के बजाए एक तगाड़ी मिट्टी भर लाया। जिससे गांधी जी नाराज हो गए। गांधी जी ने बाद में जरूरत के अलावा शेष मिट्टी को साबरमती में वापस करवा दिया।
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