पत्रिका के स्लोगन आओ बने भगीरथ के साथ शहरियों ने समाजसेवियों के साथ श्रमदान कर बिछिया के निर्मलता के कारवां को आगे बढ़ाया। पत्रिका अभियान के तहत पिछले एक माह से लगातार हर रविवार को विंध्य की शान लक्ष्मणबाग और किला के बीच स्थित बिछिया पुल के पास नदी की सफाई की गई। हर बार सैकड़ों की संख्या में समाजसेवी, बुद्धजीवी, युवा, कवि, शिक्षक सहित पर्यावरण पे्रमी बिछिया नदी में श्रमदान के लिए जुटे।
हर बार की तरह इस बार भी सुबह ६ बजे श्रमदान की शुरूआत ब्रह्माकुमारी की बहनों ने मंत्रोचार ओर भजन के साथ की। ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विवि की संचालिका निर्मला बहन ने नदी संरक्षण को बचाने के लिए लोगों को प्रेरित करने शपथ दिलाई। श्रमदान का शुभारंभ सांसद जनार्दन मिश्र, संभागायुक्त डॉ अशोक कुमार भार्गव और निर्मला बहन जी ने झाडू लगाकर की। पक्के घाट पर जुटे लोगों ने मानव श्रृखला बनाकर नदी से जलकुंभी निकाली।
पत्रिका अमृतम् जलम् अभियान, आओ बने भगीरथ के तहत बिछिया नदी को बचाने के लिए इस रविवार को सांसद जनार्दन मिश्र भी पहुंचे। इस दौरान उन्होंने पत्रिका के अभियान की सराहना करते हुए कहा कि पेड़ रहेंगे तो नदियां बचेंगीं। इसलिए नदियों के किनारे अधिक से अधिक पौधे रोपे जाएं। नीम के पेड़ों से सबसे अधिक जल संरक्षित होता है। रीवा की मिट्टी भी नीम के पौधरोपण के लिए अनुकूल है। इस लिए सभी से आग्रह हैकि सभी लोग नीम का एक-एक पौध लगाएं
पत्रिका के इस महा अभियान के शुभारंभ और समापन दोनों अवसर पर संभागायुक्त डॉ अशोक कुमार भार्गव पहुंचे। इस दौरान उन्होंने शायरी के अंदाज में कहा कि ‘शहर बसा कर हम लोग गांव ढंूढते हैं, अजीब है हाथ में कुल्हाड़ी लेकर छांव ढंूढते हैं’। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि आज हम नहीं संभले तो भावी पीढ़ी को कुछ नहीं दे पाएंगे। इस लिए प्रकृति ने जो पानी का बैंक दिया है, उससे निकालने के साथ ही जमा भी करें। जिससे हमारी आने वाली पीढ़ी को पानी मिल सके। इस दौरान संभागायुक्त ने जल सरंक्षण के लिए गांधी जी का किस्सा भी सुनाया। उन्होंने कहा कि एक बार गांधी जी ने साबरमती नदी से एक मुट्ठी मिट्टी मंगाया। गांधी जी के आह्वान पर एक व्यक्ति ने एक मुट्ठी के बजाए एक तगाड़ी मिट्टी भर लाया। जिससे गांधी जी नाराज हो गए। गांधी जी ने बाद में जरूरत के अलावा शेष मिट्टी को साबरमती में वापस करवा दिया।