टोल प्लाजा समाप्त होने के बाद इस मार्ग में ओवरलोड बल्कर एवं रेत की गाडिय़ा निकलती है। इसके कारण एक साल के अंदर ही पूरी सड़क टूट गई है। छुहिया घाटी एवं चरकी घाटी में सड़क खराब होने से आएदिन भारी वाहन फंस जाते है, इससे जाम की स्थित बन जाती है। घटों यात्री बसें व चार पहिया वाहन इस मार्ग में फंसे रहते हैं। वहीं सड़क खराब होने के कारण सड़क दुर्घटनाओं में लोगों को जान गंवानी पड़ी है।
रीवा-अमरकंटक मार्ग के क्षेत्रीय अधिकारी नितिन बर्वे ने २२ जुलाई को टनल के नीचे गड्ढों को जल्द भरने की बात कही थी, लेकिन बीस दिन से अधिक समय बीत जाने के बावजूद एक ट्राली गिट्टी तक इस गड्ढे में नहीं डलबा पाए है। तीन हजार रुपए ट्राली गिट्टी के लिए वह २० दिनों से किसी बड़े हादसे का इंतजार करे है। यहां तक कि अब उन्होंने इस संबंध में जबाव देने से बचने अपना मोबाइल फोन भी नहीं उठाते हैं। वहीं यात्री परेशान होते हैं।
विभागीय अधिकारी बताते हैं इस सड़क को नेशलन हाइवे फोरलेन बनाने का डीपीआर बना रहा है लेकिन अभी तक इसकी स्वीकृत नहीं मिली है। वहीं इस योजना को पहले ओएमटी में दिया जाना था, लेकिन अभी इसका निर्णय नहीं हो पाने के कारण इसका मेंटीनेंस नहीं हुआ। अब इस सड़़क को मरम्मत के लिए पूरा प्रस्ताव भेजा है लेकिन अभी तक बजट नहीं मिला है।
बताया जा रहा है कि पीपीपी योजना से बनी सड़क को टोल समाप्त होने केे बाद पाइप लाइन एवं टेलीफोन लाइन डालने के लिए कई स्थानों में खोदा गया है। लेकिन इसकी जानक ारी व अनुमति विभाग से नहीं ली गई। परिणाम स्वरुप घाटी में कई स्थानों पर सड़क बहुत ज्यादा खराब हो चुकी है।