scriptसिलपरा टनल में घुटनों तक पानी, रीवा-अमरकंटक स्टेट हाइवे बाधित | Water up to knees in Silpara tunnel, Rewa-Amarkantak highway disrupted | Patrika News

सिलपरा टनल में घुटनों तक पानी, रीवा-अमरकंटक स्टेट हाइवे बाधित

locationरीवाPublished: Aug 18, 2019 02:06:48 pm

Submitted by:

Lokmani shukla

टनल में फंसा वाहन, कड़ी मेहनत से निकाला सुरक्षित ,यात्रियों की जान जोखिम में डालकर निकली बसें

Water up to knees in Silpara tunnel, Rewa-Amarkantak highway disrupted

Water up to knees in Silpara tunnel, Rewa-Amarkantak highway disrupted

रीवा। सिलपरा टनल के पास रीवा-अमरकंटक मार्ग जर्जर मार्ग को लेकर एक महीने बाद भी जिम्मेदार नहीं जागे। परिणाम स्वरुप शनिवार को शाम चार बजे टनल में घुटनों से अधिक पानी भर गया। इस दौरान वहां से गुजर रहा वाहन गड्ढ़े में फंस गया। लोगों की सहायता से वाहन में सवार लोगों को बाहर निकाला गया है। इस दौरान एक घंटे से अधिक रीवा-अमरकंटक स्टेट हाइवे बाधित रहा। यहां पर घुटने तक पानी होने के कारण छोटे वाहन नहीं निकल पा रहे थे। वहीं बड़े वाहन और यात्री बसें जोखिम लेकर दो फिट से ज्यादा पानी से रास्ता पार किया।
बताया जा रहा है कि एमपीआरडीसी की इस सड़क का मेटीनेंस वर्ष 2017 से नहीं हुआ है। वहीं बारिश के पहले टनल के पानी निकासी को लेकर बने साइफन की भी सफाई नहीं हुई है। इससे टनल के रिसाव से गिरने वाला पानी नहीं निकल पाया और धीरे -धीरे सड़क में पानी का जलस्तर बढ़ गया। शनिवार को शाम होते ही यह पानी सड़क में तीन फिट तक पहुंच गया। पूरे मार्ग में पानी भरने के कारण सड़क के गड्ढे नहीं समझ पाने के कारण एक वाहन फंस गया है। स्थानीय लोगों एवं रहगीरों के मदद से वाहन को निकाल लिया गया। लेकिन इस दौरान प्रशासन एवं पुलिस को कोई भी अमला नहीं पहुंचा। रीवा से अमरकंटक 165 किलोमीटर मार्ग बीओटी योजना में बनाया गया है। दिसम्बर 2017 में टोल प्लाजा से मुक्त होने के बाद वर्तमान में यह सड़क एमपीआरडीसी के पास है। लेकिन पिछले दो सालों में इस सड़क का मेटीनेंस नहीं होने के कारण दिनोंदिन सड़क जर्जर होती जा रही है। इस सड़क का लभगभ 35 किलोमीटर का हिस्सा रीवा जिले में आता है लेकिन अधिकारी इस हिस्से की सड़क को देखने तक नहीं आते हैं। वर्ष 2018 में 85 लाख रुपए सड़क के पैंच वर्क के लिए मिले थे। लेकिन यह राशि छुहिया घाटी एवं चकरी घाटी सहित शहडोल क्षेत्र के पैंच वर्क में ही खर्च हो गई।
छुहिया घाटी व चरकी घाटी भी जानलेवा
टोल प्लाजा समाप्त होने के बाद इस मार्ग में ओवरलोड बल्कर एवं रेत की गाडिय़ा निकलती है। इसके कारण एक साल के अंदर ही पूरी सड़क टूट गई है। छुहिया घाटी एवं चरकी घाटी में सड़क खराब होने से आएदिन भारी वाहन फंस जाते है, इससे जाम की स्थित बन जाती है। घटों यात्री बसें व चार पहिया वाहन इस मार्ग में फंसे रहते हैं। वहीं सड़क खराब होने के कारण सड़क दुर्घटनाओं में लोगों को जान गंवानी पड़ी है।
यह है जिम्मेदार, बीस दिन में नहीं भर पाएं गड्ढे
रीवा-अमरकंटक मार्ग के क्षेत्रीय अधिकारी नितिन बर्वे ने २२ जुलाई को टनल के नीचे गड्ढों को जल्द भरने की बात कही थी, लेकिन बीस दिन से अधिक समय बीत जाने के बावजूद एक ट्राली गिट्टी तक इस गड्ढे में नहीं डलबा पाए है। तीन हजार रुपए ट्राली गिट्टी के लिए वह २० दिनों से किसी बड़े हादसे का इंतजार करे है। यहां तक कि अब उन्होंने इस संबंध में जबाव देने से बचने अपना मोबाइल फोन भी नहीं उठाते हैं। वहीं यात्री परेशान होते हैं।
दो साल में नहीं हो पाया निर्णय
विभागीय अधिकारी बताते हैं इस सड़क को नेशलन हाइवे फोरलेन बनाने का डीपीआर बना रहा है लेकिन अभी तक इसकी स्वीकृत नहीं मिली है। वहीं इस योजना को पहले ओएमटी में दिया जाना था, लेकिन अभी इसका निर्णय नहीं हो पाने के कारण इसका मेंटीनेंस नहीं हुआ। अब इस सड़़क को मरम्मत के लिए पूरा प्रस्ताव भेजा है लेकिन अभी तक बजट नहीं मिला है।
जिसकी मनमर्नी खोद रहे हैं सड़क
बताया जा रहा है कि पीपीपी योजना से बनी सड़क को टोल समाप्त होने केे बाद पाइप लाइन एवं टेलीफोन लाइन डालने के लिए कई स्थानों में खोदा गया है। लेकिन इसकी जानक ारी व अनुमति विभाग से नहीं ली गई। परिणाम स्वरुप घाटी में कई स्थानों पर सड़क बहुत ज्यादा खराब हो चुकी है।
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