जिले में जल संग्रहण और अंसिचित एरिया में जलस्तर बनाए रखने व सिंचाई के उद्देय से प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अंतर्गत वाटरशेड विकास योजना चालू की गई थी। इस योजना के तहत जिले के सिरमौर, जवा, त्योंथर, हनुमना और मऊगंज तहसील एरिया में डैम, तालाब, स्टाप डैम, बोल्डर चेक आदि विकास कार्य कराए जा रहे थे। जिले में इस योजना को चालू हुए करीब दस साल पूरे हो गए।
वित्तीय वर्ष 2001 से लेकर 762 विकास कार्य स्वीकृत किए गए थे। जिसमें करीब डेढ़ सौ कार्य पूरे नहीं हुए हैं। योजना पर परियोजना के अनुमानित लागत के अनुसार 64 करोड़ रुपए से अधिक राशि खर्च की गई है। हालांकि वाटरशेड विकास मद के अंतर्गत 56 प्रतिशत राशि यानी ३५ करोड़़ रुपए से अधिक विकास पर खर्च हुए हैं। अधिकारियों का दावा है कि परियोजना चालू से लेकर मार्च 2019 की स्थिति में 24 करोड़ रुपए राशि खर्च की गई है। इसके अलावा प्रशासनिक मद में राशि व्यय की गई है।
जिले में वाटरशेड विकास योजना को दो साल पहले से ही बंद करने की प्रक्रिया चालू कर दी गई थी। पहले चरण में 2 परियोजनाओं को बंद किया गया था। वर्ष 2011-12 में चार परियोजनाओं को बाइंडप कर दिया गया। अब पूरी दस परियोजनाओं के तहत कराए जा रहे निर्माण कार्य पूरी तरह बंद कर दिया गया। इस योजना को बंद कर दिए जाने के बाद आठ करोड़ की प्रस्तावित विकास कार्य प्रभावित हो गए हैं।
जिला पंचायत कार्यालय में वाटरशेड अधिकारियों के रेकार्ड के अनुसार जिले में वाटरशेड परियोजना के तहत प्रारंभ चरण में पचास से अधिक कर्मचारी लगाए गए थे। वर्ष 2011-12 से लेकर 2014-16 के बीच संख्या करीब पचीस हो गई। परियोजना प्रभारी संजय सिह के अनुसार इस योजना में अब तक कर्मचारियों के वेतन पर 3.82 करोड़ रुपए से अधिक रुपए की राशि व्यय की गई है।