रीवा में तो चार केन्द्रों पर अभी तक धान की तौल ही नहीं हो सकी है। आंदोलन के बाद तौल चालू करने का आदेश दिया गया है। रीवा, सतना, सीधी और सिंगरौली में 1.04 लाख किसानों से खरीद केन्द्रों पर धान खरीदी की गई। किसानों ने 59.19 लाख क्विंटल से ज्यादा की तौल कराई है, जिसका समर्थन मूल्य 1046 करोड़ रुपए से ज्यादा है।
सरकार का दावा है कि 801 करोड़ रुपए किसानों के खाते में भेजे जा चुके हैं। शेष भुगतान खाते में भेजने की प्रक्रिया चल रही है। बताया जा रहा कि जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते अभी कुल तौल मात्रा में से आठ फीसदी का हिसाब नहीं मिल रहा है, जिससे स्वीकृत पत्रक जारी नहीं हो पया है।
सभागायुक्त ने अधिकारियों को चालू सीजन में धान के भुगतान को लेकर निर्देश दिया है। बैठक में प्रस्तुत रिपोर्ट में लंबित भुगतान की स्थित सामने आयी। बताया गया, नागरिक आपूर्ति निगम व सहकारी समितियों व वेयर हाउस का पत्रक मैच नहीं कर रहा है, जिससे भुगतान प्रक्रिया अटकी है।
उधर, किसान भुगतान के लिए परेशान हैं। कई किसानों ने सीएम हेल्पलाइन से लेकर विभागीय अधिकारियों के पास आवेदन देकर भुगतान करानेे की मांग उठाई है। रीवा, सतना और सिंगरौली भुगतान में फिसड्डी
संभाग में भुगतान में रीवा सबसे फिसड्डी है। सतना और सिंगरौली की भी स्थिति खराब है। रीवा में 355 करोड़ रुपए से अधिक धान की तौल की है, लेकिन अभी तक 272 करोड़ का भुगतान किया जा सका है।
सतना में 439 करोड़ रुपए से में से 322 करोड़ किसानों के खाते में भेजे गए हैं। सीधी में 115 करोड़ रुपए में से 110 करोड़ का भुगतान हो चुका है। सिंगरौली में 135 करोड़ रुपए की उपज की तौल के बाद अभी तक 95 करोड़ रुपए का ही भुगतान हो सका है। भुगतान अटकने से किसान परेशान हैं।