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दीक्षांत समारोह में ऐसा क्या हुआ, जिससे छात्र हुए मायूस

locationरीवाPublished: Dec 24, 2017 12:56:21 pm

Submitted by:

Ajeet shukla

एपीएस विवि में देश की चार विभूतियों का मानद उपाधि से किया गया सम्मान…

apsu rewa

दीक्षांत समारोह में ऐसा क्या हुआ, जिससे छात्र हुए मायूस

रीवा। अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में राज्यपाल ओपी कोहली ने मंच से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नए भारत निर्माण के स्वप्न को पूरा करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि बचपन से सुनते आ रहे हैं कि भारत विकासशील देश है, आखिर यह कब तक में विकसित देश बनेगा।
छात्र पूरा करें नए भारत निर्माण का सपना
दीक्षांत समारोह की बतौर कुलाधिपति अध्यक्षता कर रहे राज्यपाल ने छात्रों से कहा कि अब नए भारत निर्माण के तहत देश को विकसित बनाने की योजन बनाई गई है। छात्र उसे पूरा करने में अपना सहयोग दें। युवाओं के जरिए ही यह संभव है। क्योंकि विश्वविद्यालयों में ही नए ज्ञान का सृजन होता है।
रैंकिंग में पीछे हैं देश के विश्वविद्यालय
दुनिया के विश्वविद्यालयों की रैंकिंग में भारत के विश्वविद्यालय काफी पीछे हैं। राज्यपाल ने इस बात पर चिंता जताते हुए कहा कि भारत को एक बार फिर से विश्वगुरु बनना होगा। विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों को शैक्षणिक गुणवत्ता में इस कदर सुधार लाना होगा कि छात्र पढऩे के लिए विदेश न जाएं। बल्कि नालंदा और तक्षशिला विश्वविद्यालय के जमाने की तरह विदेशों से यहां छात्र पढऩे आएं। प्राध्यापकों से कहा कि वह छात्रों के साथ सीधे संपर्क में रहें और छात्रों को सीख दी कि वह परंपरा और आधुनिकता को एक साथ जोड़ कर चलें।
राज्यपाल ने मंच से जाहिर किया अफसोस
समयाभाव के चलते राज्यपाल छात्रों को स्वर्ण पदक से सम्मानित नहीं कर सके। इसका उन्होंने भरे मंच से अफसोस भी प्रकट किया। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन के दौरान उन्होंने दो बार छात्रों से क्षमा याचना किया कि छात्र उन्हें माफ करें। वह यहां तक आकर छात्रों को स्वर्ण पदक से एक-एक कर सम्मानित नहीं कर सकें। अंत में उन्होंने चलते-चलते छात्र-छात्राओं के साथ ग्रुप में फोटो सेशन जरूर करा दिया। ताकि छात्रों मायूस न रहें।
छात्र-छात्राओं को दिए गए 52 स्वर्ण पदक
दीक्षांत समारोह में एपीएस विश्वविद्यालय व संबद्ध महाविद्यालयों के कुल 41 छात्र-छात्राओं को 52 स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया। इसके अलावा 82 छात्र-छात्राओं ने पीएचडी व एमफिल सहित अन्य पाठ्यक्रमों की उपाधि हासिल की। कुलपति प्रो. केएन सिंह यादव ने इससे पहले भारतीय वेशभूषा में छात्र-छात्राओं को दीक्षा दी, साथ ही छात्रों को शिक्षा व ज्ञान के सदुपयोग और जनहित में कार्य करने का संकल्प दिलाया।
कुलपति ने किया छात्रों का सम्मान
विश्वविद्यालय के पं. शंभूनाथ शुक्ल सभागार में आयोजित समारोह की अध्यक्षता कर रहे कुलाधिपति व राज्यपाल ओपी कोहली ने छात्र-छात्राओं को उपाधि प्रदान किया। समयाभाव के चलते वह छात्रों को एक-एक कर स्वर्ण पदक नहीं दे सके। सामूहिक रूप में स्वर्ण पदक दिए जाने की घोषणा की गई। बाद में कुलपति प्रो. केएन सिंह यादव ने उपस्थित छात्रों को बारी-बारी से स्वर्ण पदक, कुलपति स्वर्ण पदक व नामिनी स्वर्ण पदक प्रदान किया।
देश के साथ बदल रहा है रीवा
दीक्षांत उद्बोधन देते हुए उद्योग मंत्री राजेंद्र शुक्ल ने छात्रों से कहा कि शिक्षा नैतिक मूल्य से अलग न हो। शिक्षा का सदुपयोग परमार्थ के लिए करें। उपाधि प्राप्त करने वाले अपनी सज्जनता की सुगंध से समाज को सुवासित करें। उन्होंने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि युवाओं की प्रतिभा से देश आगे बढ़ रहा है। आज समारोह में भारतीय वेशभूषा में छात्रों को देखकर इस बात की अनुभूति हो रही है कि देश ही नहीं रीवा भी बदल रहा है।

मानद उपाधि से सम्मानितों के साक्षात्कार
विंध्य के सपूत को मिला सम्मान
गुवाहाटी हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अजीत सिंह को डीलिट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया। विंध्य के इस सपूत के सम्मान से न केवल रीवा बल्कि समूचा विंध्य गौरवान्वित महसूस कर रहा है।
‘विश्वविद्यालय से मेरे कार्य को मिला सम्मान’
दीक्षांत समारोह में डीलिट की उपाधि से सम्मानित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र नई दिल्ली के अध्यक्ष पद्मश्री राम बहादुर राय ने कहा कि विश्वविद्यालय के इस सम्मान से गदगद हूं। यह सम्मान मुझे नहीं मेरे कार्य को मिला है। सम्मानित होते हुए यह अनुभूति हुई कि जिन उद्देश्यों को लेकर अपना जीवन पत्रकारिता को अर्पित किया वह किसी न किसी रूप में सफल है।
‘मानद उपाधि को समझ रहा कला का आदर’
डीलिट की मानद उपाधि से सम्मानित शास्त्रीय गायक पद्मभूषण पं. छन्नू लाल मिश्र ने कहा कि विश्वविद्यालय की यह मानद उपाधि कला का आदर है। उन्होंने ‘रंक को आज दान देने दो, मूक को आज गान देने दो। आज आया है दीक्षांत का शुभ दिन, अपने को आधार देने दो।’ कविता सुनाते हुए अपने भावना को बयां किया। कहा कि उनके जैसे कलाकार तो बस आदर से भूखें हैं।
‘इरादे मजबूत हों, तो सारे लत छूट जाएंगे’
पिछले 47 वर्ष से नमक का परित्याग करने वाले नंद कुमार साय का कहना है कि इरादे मजबूत करें तो कोई भी लत छूट सकती है। अनुसूचित जनजाति आयोग नई दिल्ली के राष्ट्रीय अध्यक्ष नंद कुमार ने बताया कि 23 सितंबर 1970 को कुछ लोगों से शराब छोडऩे अपील कर रहा था। जवाब मिला कि क्या खाने में नमक छोड़ सकते हो। हां में उत्तर दिया और आज तक नमक का सेवन नहीं किया। कहना केवल इतना है कि शराब से तौबा के लिए इरादे मजबूत करें। एक ने भी मुझसे प्रेरित होकर शराब छोड़ा तो वह मेरे लिए इससे भी बड़ा सम्मान होगा।

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IMAGE CREDIT: Patrika
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