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… जब गधों को बनाया गया सीएम व कलेक्टर

छात्रसंघ का नाम आते ही याद आ जाता है वह आंदोलन, टीआरएस कॉलेज का रहा दबदबा

रीवाOct 09, 2017 / 02:59 pm

Ajeet shukla

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रीवा। कॉलेजों में छात्रसंघ चुनाव की घोषणा होने के बाद एक बार फिर वह भूली-बिसरी यादें ताजा होने लगी हैं, जो पूर्व में छात्रसंघ की ताकत को बयां करने का उदाहरण बनती हैं। विंध्य में ही नहीं बल्कि प्रदेश में अपना दबदबा बनाए रखने में टीआरएस कॉलेज के छात्रसंघ का कोई सानी नहीं रहा है।
छात्रसंघ के वर्चस्व की चर्चा में वह तीन आंदोलन स्वाभाविक रूप से चर्चा में आ जाते हैं, जिसने प्रदेश की सत्ता को हिलाने का कार्य किया। टीआरएस कॉलेज के सेवानिवृत्त प्रोफेसर व इतिहासकार प्रो. पीके सरकार बताते हैं कि कॉलेज का छात्रसंघ कई मामलों में खास रहा है।
विवि का सख्त रहा टीआरएस का छात्रसंघ
एक ओर जहां छात्रसंघ के पदाधिकारी सत्ता में मुख्यमंत्री से लेकर विधानसभा अध्यक्ष पद तक पहुंचे हैं, वहीं छात्रसंघ पदाधिकारियों ने अपने आंदोलन की धमक राजधानी तक पहुंचाई। दूसरे कॉलेज तो दूर टीआरएस कॉलेज का छात्रसंघ अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय के भी छात्रसंघ से सख्त रहा है।
चर्चा में रहते हैं छात्रों के ये तीन आंदोलन
– बात १९६९ की है। छात्रसंघ के अध्यक्ष राजवेंद्र सिंह थे। महज छात्र सुविधाओं को मुहैया कराने की मांग को लेकर कॉलेज से शुरू विरोध प्रदर्शन ने धीरे-धीरे ऐसे आंदोलन का रूप ले लिया था, जिससे जिला प्रशासन ही नहीं प्रदेश के सत्ताधीन भी परेशान हो गए थे। लाठीचार्ज के जरिए आंदोलित छात्रों को नियंत्रित करने में नाकाम रही पुलिस को टियर गैस का सहारा लेना पड़ा था।
– वर्ष 1978 में रवींद्र ङ्क्षसह छात्र संघ अध्यक्ष थे। मांगों को लेकर आंदोलित छात्रों पर उस समय पुलिस की लाठी कहर बन कर टूट पड़ी थी, जब तत्कालीन मुख्यमंत्री से अभद्रता पर कलेक्टर ने लाठीचार्ज का आदेश जारी कर दिया। लाठीचार्ज में छात्र पीछे हटने के बजाय पुलिस से भिड़ गए थे। जिसमें भारी संख्या में छात्रों को चोट आई थी।
– वर्ष 1987 में छात्रसंघ का आंदोलन कुछ इस अंदाज में रहा कि लोग आज भी याद कर ठहाके लगाते हैं। उस समय छात्रसंघ के अध्यक्ष अनल पाल सिंह थे। आंदोलन में गधों को शामिल कर मुख्यमंत्री, शिक्षामंत्री व कलेक्टर का नाम दिया गया था। आंदोलन को नियंत्रित करने पुलिस ने जब लाठीचार्ज किया तो सबसे पहले गधों पर ही लाठी बरसी थी। इस आंदोलन में भी कई छात्र घायल हुए थे। मामला इतना तूल पकड़ा कि इसकी न्यायिक जांच तक करानी पड़ी थी।
छात्रों के हाथ में थी प्रदेश की तीनों व्यवस्था
वर्ष 1984-85 का समयातंराल ऐसा था, जिसमें प्रदेश की कार्यपालिका, न्यायपालिका व व्यवस्थापिका तीनों की कमान टीआरएस कॉलेज के छात्रों के हाथों में थी। मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह, मप्र. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश गुरु प्रसन्न सिंह व विधानसभा अध्यक्ष पं. राम किशोर शुक्ल तीनों टीआरएस के छात्र रहे। दो छात्रसंघ में भी शामिल रहे।
दिग्गजों में शामिल हुए छात्रसंघ के पदाधिकारी
कॉलेज के छात्रसंघ पूर्व पदाधिकारियों में कई ऐसे शामिल रहे, जिन्हें देश व प्रदेश की राजनीति में उच्च पद प्राप्त हुए। छात्रसंघ अध्यक्ष रहे अर्जुन सिंह मुख्यमंत्री, जगदीश चंंद्र जोशी सांसद, कृष्णपाल सिंह कानून मंत्री, राम किशोर शुक्ला व श्रीनिवास तिवारी विधानसभा अध्यक्ष बने। एसपी दुबे संघ अध्यक्ष रहे और यहीं कॉलेज में प्राचार्य बने।
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