बताया गया है कि वर्ष 2015 में इओडब्ल्यू में शिकायत दर्ज कराई गई थी कि मुकुंदपुर में निर्माणाधीन चिडिय़ाघर में व्यापक पैमाने पर अनियमितता की जा रही है। निर्माण कार्यों में गुणवत्ता की अनदेखी की जा रही है। साथ ही तत्कालीन सीसीएफ पीके सिंह पर आरोप था कि उन्होंने अपने करीबी ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए नियमों की अनदेखी की है।
निर्माण के दौरान ही नाले के ऊपर बनाया गया पुल नुमा रपटा तेज बारिश में बह गया था। तब कई शिकायतें पहले सीसीएफ से ही लोगों ने की और जांच की मांग की थी। जिस पर सीसीएफ ने शिकायत करने वालों को ही संदेह के दायरे में खड़ा कर दिया था।
यह मामला उनदिनों सुर्खियों में आया था। कई तत्कालीन विधायकों ने विधानसभा में भी चिडिय़ाघर में अनियमितता का मामला उठाया। जिस पर वन मंत्री ने यह स्वीकार किया था कि भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है, उसकी जांच कराई जाएगी। इसी बीच कई अलग-अलग लोगों द्वारा मामले की शिकायतें की गई। इसकी जांच इओडब्ल्यू द्वारा की जा रही है।
कुछ दिन पहले ही मुकुंदपुर चिडिय़ाघर पहुंचकर उन निर्माण कार्यों को इओडब्ल्यू के अधिकारियों ने देखा था, जिनकी गुणवत्ता को लेकर सवाल उठाए जाते रहे हैं। हालांकि शिकायत करने वालों का यह भी तर्क है कि बाद में कार्यों की गुणवत्ता में सुधार कराया गया है। इस पूरे मामले में बयान दर्ज कराने के लिए तत्कालीन सीसीएफ पीके सिंह सहित सतना के डीएफओ और मुकुंदपुर चिडिय़ाघर के संचालक को इओडब्ल्यू ने तलब किया है। अलग-अलग कर अधिकारी अपना बयान दर्ज कराने के लिए आ रहे हैं।
– टाइगर सफारी मार्ग की भी जांच शुरू
रीवा से टाइगर सफारी एवं चिडिय़ाघर मुकुंदपुर की ओर जाने वाले मार्ग के निर्माण की भी शिकायत की गई थी। इस मामले की भी जांच इओडब्ल्यू ने अलग से शुरू कर दी है। इसकी शिकायत जेडीएस के प्रदेश अध्यक्ष शिव सिंह ने दर्ज कराई थी। 13.20 किलोमीटर लंबाई की इस सड़क के निर्माण में गुणवत्ता की अनदेखी करने का आरोप लगाया गया है। जिसमें शिकायत के साथ कुछ दस्तावेज भी सौंपे गए थे। करीब पांच करोड़ रुपए के इस निर्माण में व्यापक रूप से अनियमितता किए जाने का आरोप लगाया गया है। जिसकी जांच के लिए इओडब्ल्यू की ओर से संबंधित अधिकारियों और निर्माण करने वाले ठेकेदार को पूछताछ के लिए बुलाया है। आरोप है कि घटिया निर्माण के चलते सड़क उखड़ गई है और आए दिन दुर्घटनाओं में लोग जख्मी हो रहे हैं।