उपभोक्ताओं को लेकर सरकारें सचेत नहीं
कार्यशाला में उपभोक्ता फोरम के सदस्यों ने कहा, उपभोक्ताओं के अधिकारों को लेकर प्रदेश और केन्द्र की सरकारें अभी तक सचेत नहीं हुई हैं। उपभोक्ता की बाजार में जेब कट रही है। सरकार ने योजनाएं तो बना दिया है, लेकिन, कई ऐसे योजनाएं हैं कि जिसे सरकारों ने उपभोक्ताओं की सुविधाओं को नजर अंदाज कर दिया है। इस दौरारन उपभोक्ता फोरम के सदस्यों ने ऑटो चालक, अस्पताल, बिजली विभाग में लूट सहित उपभोक्ताओं के अन्य अधिकारों को लेकर सरकारों को घेरा और अपने-अपने सुझाव भी दिए।
कार्यशाला में उपभोक्ता फोरम के सदस्यों ने कहा, उपभोक्ताओं के अधिकारों को लेकर प्रदेश और केन्द्र की सरकारें अभी तक सचेत नहीं हुई हैं। उपभोक्ता की बाजार में जेब कट रही है। सरकार ने योजनाएं तो बना दिया है, लेकिन, कई ऐसे योजनाएं हैं कि जिसे सरकारों ने उपभोक्ताओं की सुविधाओं को नजर अंदाज कर दिया है। इस दौरारन उपभोक्ता फोरम के सदस्यों ने ऑटो चालक, अस्पताल, बिजली विभाग में लूट सहित उपभोक्ताओं के अन्य अधिकारों को लेकर सरकारों को घेरा और अपने-अपने सुझाव भी दिए।
शहर में अनाड़ी हाथों में आटो की स्टेयरिंग
उपभोक्ता फोरम के सदस्य इंजीनियर आनंद मिश्र ने कहा, शहर में ऑटो चालकों का कम से कम किराया पांच के बजाए दस रूपए प्रति सवारी निर्धारित कर दिया है। शहर में आटो की स्टेरिंग ज्यादातर अनाड़ी हाथों में है, जिससे आए दिन सडक़ पर दुर्घटनाओं में लोग मारे जा रहे हैं। मनमानी वसूली से जनता की जेब काटी जा रही है। उन्होंने कहा, जिला प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराना चाहता हूं कि शहर में आरटीओ और पुलिस दुकानदारों की तरह रजिस्टर बनाकर पैसे वसूल रहे है। जिससे सडक़ पर खुलेआम जनता की जब कट रही है।
उपभोक्ता फोरम के सदस्य इंजीनियर आनंद मिश्र ने कहा, शहर में ऑटो चालकों का कम से कम किराया पांच के बजाए दस रूपए प्रति सवारी निर्धारित कर दिया है। शहर में आटो की स्टेरिंग ज्यादातर अनाड़ी हाथों में है, जिससे आए दिन सडक़ पर दुर्घटनाओं में लोग मारे जा रहे हैं। मनमानी वसूली से जनता की जेब काटी जा रही है। उन्होंने कहा, जिला प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराना चाहता हूं कि शहर में आरटीओ और पुलिस दुकानदारों की तरह रजिस्टर बनाकर पैसे वसूल रहे है। जिससे सडक़ पर खुलेआम जनता की जब कट रही है।
हॉस्पिटल में लुट रहे तीमारदार
सदस्य आरबी ङ्क्षसह ने संजय गांधी अस्पताल में तीमारदारों के वाहनों से वसूली का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि अस्पताल में वाहन स्टैंड के नाम पर तीमारदारों से मारपीट की जाती है। विरोध करने पर एफआरआर दर्ज कराया जाता है। अस्पताल प्रबंधन से शिकायत के बाद भी किसी तरह की कार्रवाई नहीं की जाती है। ठेकेदार के इशारे पर मरीज के साथ आएदिन मारपीट हो रही है।
सदस्य आरबी ङ्क्षसह ने संजय गांधी अस्पताल में तीमारदारों के वाहनों से वसूली का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि अस्पताल में वाहन स्टैंड के नाम पर तीमारदारों से मारपीट की जाती है। विरोध करने पर एफआरआर दर्ज कराया जाता है। अस्पताल प्रबंधन से शिकायत के बाद भी किसी तरह की कार्रवाई नहीं की जाती है। ठेकेदार के इशारे पर मरीज के साथ आएदिन मारपीट हो रही है।
सदस्यों ने सुझाव पर कमेटी ने भेजा पत्र
सदस्यों की ओर से आए सुझावों को जिला स्तरीय कमेटी की ओर से शासन और संबंधित विभागों को पत्र भेजा जा रहा है। इसी तरह सदस्यों ने बिजली, पानी सहित उपभोक्ताओं को मिलने वाली मूलभूत सुविधाओं और उनके अधिकारों पर विस्तृत चर्चा की। इस अवसर पर जिला खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक राजेन्द्र ङ्क्षसह ठाकुर, नान प्रबंधक राकेश चौधरी, जिला सहकारी बैंक के महाप्रबंधक आरएस भदौरिया, स्वास्थ्य विभाग से डॉ. एलएल मिश्र, नरेन्द्र द्विवेदी, उपभोक्ता संघ के जिलाध्यक्ष देवेन्द्र ङ्क्षसह सहित विभिन्न संगठनों के कार्यकर्ता एवं सदस्य मौजूद रहे।
सदस्यों की ओर से आए सुझावों को जिला स्तरीय कमेटी की ओर से शासन और संबंधित विभागों को पत्र भेजा जा रहा है। इसी तरह सदस्यों ने बिजली, पानी सहित उपभोक्ताओं को मिलने वाली मूलभूत सुविधाओं और उनके अधिकारों पर विस्तृत चर्चा की। इस अवसर पर जिला खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक राजेन्द्र ङ्क्षसह ठाकुर, नान प्रबंधक राकेश चौधरी, जिला सहकारी बैंक के महाप्रबंधक आरएस भदौरिया, स्वास्थ्य विभाग से डॉ. एलएल मिश्र, नरेन्द्र द्विवेदी, उपभोक्ता संघ के जिलाध्यक्ष देवेन्द्र ङ्क्षसह सहित विभिन्न संगठनों के कार्यकर्ता एवं सदस्य मौजूद रहे।
डॉक्टर मरीजों से 17 रुपए के बजाए 500 से 1500 वसूल रहे
उपभोक्ता फोरम के सदस्यों ने कहा कि सरकार ने सरकारी डॉक्टरों के कंसल्टेंट के लिए 17 रूपए फीस निर्धारित कर रखी है। लेकिन, डॉक्टर 500 से लेकर 1500 रुपए फीस के नाम पर वसूल रहे हैं। मरीजों की जेब पर खुलेआम डाका डाला जा रहा है। कभी कोई कार्रवाई नहीं करता है।
उपभोक्ता फोरम के सदस्यों ने कहा कि सरकार ने सरकारी डॉक्टरों के कंसल्टेंट के लिए 17 रूपए फीस निर्धारित कर रखी है। लेकिन, डॉक्टर 500 से लेकर 1500 रुपए फीस के नाम पर वसूल रहे हैं। मरीजों की जेब पर खुलेआम डाका डाला जा रहा है। कभी कोई कार्रवाई नहीं करता है।