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जिला पंचायत की तरह विश्वविद्यालय में भी नियुक्तियों के नाम पर हो चुका है फर्जीवाड़ा, प्रबंधन ने डाल रखा है पर्दा

locationरीवाPublished: Nov 26, 2022 03:22:43 pm

Submitted by:

Mrigendra Singh

– इधर जिला पंचायत सीईओ के पत्र के बाद पुलिस ने शुरू की जांच

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zila panchayat rewa, apsu rewa corruption



रीवा। जिला पंचायत में नियुक्तियों के नाम पर फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। जिस पर जिला पंचायत के सीईओ ने पुलिस को जांच के लिए पत्र लिखा है और मामले की जांच शुरू भी हो गई है। यहां पर करीब 30 लोगों से नियुक्ति देने के नाम पर करीब 12.88 लाख रुपए की अवैधानिक रूप से वसूली करने का गंभीर आरोप है। इसी तरह अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय में भी फर्जी नियुक्ति का मामला सामने आ चुका है। जिसमें विश्वविद्यालय के अधिकारी-कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है। कुछ अभ्यर्थियों ने यहां पर भी शिकायत दर्ज कराई थी लेकिन विश्वविद्यालय प्रबंधन ने मामले में लीपापोती कर दी है। अब जिला पंचायत में उसी तरह का नया मामला सामने आने के बाद विश्वविद्यालय के मामले में भी जांच करने की मांग उठने लगी है। यहां पर बड़े गिरोह ने मिलकर फर्जीवाड़े को अंजाम दिया था। जिसमें रीवा, शहडोल, चित्रकूट एवं छतरपुर विश्वविद्यालयों के नाम पर मोटी रकम वसूली गई थी। अभ्यर्थियों की शिकायत पर विश्वविद्यालय प्रबंधन ने पुलिस से जांच के लिए लिखा था, पुलिस ने थाना क्षेत्र का निर्धारण करते-करते मामले को रद्दी की टोकरी में डाल दिया है।

विश्वविद्यालय कैंपस में इंटरव्यू भी कराया था
युवाओं को नौकरी देने के नाप पर लाखों रुपए की वसूली गिरोह से जुड़े लोगों ने की है। अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा में लाइब्रेरियन, आफिस अटेंडेंट, कम्प्यूटर आपरेटर एवं अन्य पदों के लिए इंटरव्यू लेटर रजिस्टार के नाम पर भेजे गए थे, इतना ही नहीं विश्वविद्यालय कैम्पस में बकायदे इंटरव्यू भी लिए गए। इसके बाद अभ्यर्थियों को लगातार गुमराह किया जाता रहा।
तीन से पांच लाख रुपए तक लेकर नियुक्ति पत्र भी दिए गए। जब ज्वाइन करने अभ्यर्थी पहुंचे तो विश्वविद्यालय के अधिकारी भी इस तरह के फर्जी नियुक्ति पत्र देखकर दंग रह गए। विश्वविद्यालय प्रशासन और पुलिस को दी गई शिकायत में अभ्यर्थियों ने बताया था कि 127 लोगों से रुपए लेकर कुछ को नियुक्ति पत्र दिए गए थे। उसी समय कोरोना काल आया और लॉकडाउन का बहाना बनाकर इंतजार करने के लिए कहा गया था। बाद में मामला सामने आया।

विश्वविद्यालय कर्मचारी ने फर्जी अधिकारी बुलाए थे
विश्वविद्यालय में नियुक्तियों के नाम पर युवाओं से नौकरी के नाम पर लाखों रुपए ऐंठने वाले गिरोह के एक सदस्य ने खुद का नाम विनोद तिवारी बताते हुए कहा था कि वह कर्मचारी है। कुछ लोगों को इंटरव्यू लेने के लिए उसने बुलाया था। बताया जा रहा है कि उस नाम का कर्मचारी विश्वविद्यालय में है लेकिन उससे कोई पूछताछ नहीं हुई, जिसके चलते यह पता नहीं चला कि शिकायतकर्ताओं के आरोपों की सत्यता क्या है। मनगवां का राहुल पटेल नाम का युवक उक्त व्यक्ति से मिलवाने के लिए युवाओं को लाया था।
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इधर जिला पंचायत में भृत्य को मिली थी कप्यूटर आपरेटर की नियुक्ति
जिला पंचायत में अभ्यर्थियों से रुपए वसूलने वाला राहुल वर्मा मूल रूप से शिक्षा विभाग का भृत्य है। उसकी पदस्थापना हायर सेकंडरी स्कूल हर्दीकपसा विकासखंड सिरमौर में है। कई वर्षों से वह जिला पंचायत में अटैच था और यहां पर कम्प्यूटर आपरेटर की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। वह जिला पंचायत में आने वाले प्रमुख पत्रों को अधिकारियों के सामने प्रस्तुत करता था और उनके पत्रों को शासन एवं अन्य को भेजता रहा है। इसी वजह से उस पर लोगों ने भरोसा भी कर लिया था कि यदि वह नियुक्ति के लिए कह रहा है तो सही होगा।
सामाजिक कार्यकर्ता बीके माला ने प्रेसकांफ्रेंस कर आरोप लगाए तो जिला पंचायत प्रशासन ने दस्तावेजों की जांच की जिसके बाद पता चला कि कूटरचित दस्तावेजों का सहारा लेकर इस तरह से 12.88 लाख रुपए 30 अभ्यर्थियों से वसूले गए हैं। अब जिला पंचायत सीईओ ने भृत्य राहुल वर्मा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।
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