यह लिखा पोस्टकार्ड में डॉ. गौर ने शिक्षा की अलख जगाने के लिए अपनी कमाई का आधे से अधिक हिस्सा दान कर दिया। ब्रिटेन की सरकार ने डॉ. गौर को सर की उपाधि से सम्मानित किया। अब भारत सरकार की बारी है कि इस बार सपूत को शिक्षा में योगदान के लिए भारत रत्न से सम्मानित किया जाए।
शोभना ढिमोले, शिक्षक डॉ. गौर शहर के गौरव बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। उन्होंने सागर शहर जो कि शिक्षा के क्षेत्र में अत्यंत पिछड़ा था। इसके लिए सागर विश्वविद्यालय की स्थापना की। सर गौर सागर ही नहीं पूरे देश के गौरव हैं आप से हम सभी देश वासियों का अनुरोध है कि उन्हें भारत रत्न से अलंकृत कीजिए।
मधुलिका जैन, शिक्षक डॉ. सर गौर ने धन से ऊपर शिक्षा की अलख जगाते हुए बुंदेलखंड जैसे क्षेत्र को ज्ञान के सागर से भरने का बीड़ा उठाया और स्वयं के कमाए धन और निजी संपत्ति से स्थापित किया जाने वाला भारत का पहला विश्वविद्यालय स्थापित किया।डॉ. ख्याति बेलापुरकर, शिक्षक
हमारे सागर के महान शिक्षाविद, न्यायप्रिय और महान दानी डॉ. सर हरिसिंह गौर को भारत रत्न से विभूषित करें इन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में जो योगदान दिया है वह जीवन पर्यन्त याद किया जायेगा। यहां भारत देश के अलग अलग प्रांत से आये विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
नीलोफर खान, शिक्षक डॉ. गौर को भारत रत्न इसलिए देना चाहिए क्योंकि अपना सारा जीवन विश्वविद्यालय के लिए समर्पित कर दिया ताकि हम अच्छी शिक्षा प्राप्त कर सकें। हमें शिक्षा के लिए यहां वहां न भटकना पड़े। उन्हें भारत रत्न दिया जाना चाहिए।
अंशिका साहू, छात्रा