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1365 छात्राओं ने लिखी प्रधानमंत्री को पाती, मानव श्रृंखला बनाकर डॉ. सर गौर को भारत रत्न मिले मिलने की मांग

डॉ. सर हरिसिंह गौर का नाम भारत मां के सच्चे सपूतों के नाम से जाना जाता है। यह नाम देश- विदेश में परिचय का मोहताज नहीं है। इनके स्थापित विश्वविद्यालय में प्रदेश एवं देश स्तर के ही नहीं अपितु विदेशी छात्र भी पढऩे आते हैं एवं स्वयं को गौरवान्वित महसूस करते हैं।

सागरNov 19, 2024 / 12:55 pm

रेशु जैन

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ईएफए पं.रविशंकर विद्यालय परिवार के शिक्षकों और छात्राओं ने लिखे पोस्ट कार्ड

सागर. डॉ. सर हरिसिंह गौर का नाम भारत मां के सच्चे सपूतों के नाम से जाना जाता है। यह नाम देश- विदेश में परिचय का मोहताज नहीं है। इनके स्थापित विश्वविद्यालय में प्रदेश एवं देश स्तर के ही नहीं अपितु विदेशी छात्र भी पढऩे आते हैं एवं स्वयं को गौरवान्वित महसूस करते हैं। जब देश आजादी के पायदान पर खड़ा था उसी समय एक सच्चे देशभक्त एवं शिक्षाविद् की भूमिका निभाते हुए कमाई के 20 लाख रुपए मध्यभारत बुंदेलखंड के ऐसे क्षेत्र में स्थापित करने में लगा दिए जो शिक्षा के क्षेत्र में उन्नत नहीं था। उनके इस महनीय, अतुलनीय योगदान को कीमतों में नहीं आंका जा सकता। उन्हें भारत शासन द्वारा भारत रत्न से सम्मानित किया जाना चाहिए था। इसी मांग को लेकर ईएफए पं.रविशंकर विद्यालय की 1365 छात्राओं एवं 50 शिक्षकों ने पोस्ट कार्ड लिखे। भारत रत्न मिले मानव श्रृंखला बनाकर प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र भेजकर इस पुनीत यज्ञ में अपनी आहुति देने का कार्य किया। विद्यालय के प्राचार्य डॉ. महेन्द्र प्रताप तिवारी ने स्वयं को विश्वविद्यालय का छात्र होने के नाते प्रधानमंत्री जी से भारत रत्न देने के लिए पाती लिखकर गुरु श्रद्धा चुकाने की बात कही। मानव श्रृंखला बनाने में प्रभारी रिंकी राठौर, नीरज पुरी गोस्वामी, अर्चना कुशवाहा, प्रीति तिवारी, मधुलिका जैन, शोभना ढिमोले आदि का सहयोग रहा।
यह लिखा पोस्टकार्ड में

डॉ. गौर ने शिक्षा की अलख जगाने के लिए अपनी कमाई का आधे से अधिक हिस्सा दान कर दिया। ब्रिटेन की सरकार ने डॉ. गौर को सर की उपाधि से सम्मानित किया। अब भारत सरकार की बारी है कि इस बार सपूत को शिक्षा में योगदान के लिए भारत रत्न से सम्मानित किया जाए।
शोभना ढिमोले, शिक्षक

डॉ. गौर शहर के गौरव बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। उन्होंने सागर शहर जो कि शिक्षा के क्षेत्र में अत्यंत पिछड़ा था। इसके लिए सागर विश्वविद्यालय की स्थापना की। सर गौर सागर ही नहीं पूरे देश के गौरव हैं आप से हम सभी देश वासियों का अनुरोध है कि उन्हें भारत रत्न से अलंकृत कीजिए।
मधुलिका जैन, शिक्षक

डॉ. सर गौर ने धन से ऊपर शिक्षा की अलख जगाते हुए बुंदेलखंड जैसे क्षेत्र को ज्ञान के सागर से भरने का बीड़ा उठाया और स्वयं के कमाए धन और निजी संपत्ति से स्थापित किया जाने वाला भारत का पहला विश्वविद्यालय स्थापित किया।डॉ. ख्याति बेलापुरकर, शिक्षक
हमारे सागर के महान शिक्षाविद, न्यायप्रिय और महान दानी डॉ. सर हरिसिंह गौर को भारत रत्न से विभूषित करें इन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में जो योगदान दिया है वह जीवन पर्यन्त याद किया जायेगा। यहां भारत देश के अलग अलग प्रांत से आये विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
नीलोफर खान, शिक्षक

डॉ. गौर को भारत रत्न इसलिए देना चाहिए क्योंकि अपना सारा जीवन विश्वविद्यालय के लिए समर्पित कर दिया ताकि हम अच्छी शिक्षा प्राप्त कर सकें। हमें शिक्षा के लिए यहां वहां न भटकना पड़े। उन्हें भारत रत्न दिया जाना चाहिए।
अंशिका साहू, छात्रा

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