50 करोड़ का फर्जीवाड़ा!
बीएलसी फर्जीवाड़े का सबसे बड़ा मास्टर माइंड अनुराग सोनी रहा। निगम प्रशासन द्वारा कराई गई जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि हितग्राहियों को पहली किश्त में एक-एक लाख रुपए की राशि देने की बात कही गई है, लेकिन दूसरी किश्त में कितनी राशि दी, इसका कोई उल्लेख नहीं है। प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसल्टेंसी के सोनी ने हितग्राहियों की व्यक्तिगत नस्ती एक बार भी निगम प्रशासन को नहीं दी और करोड़ों रुपए बंटवा दिए। सूत्रों की माने तो बीएलसी फर्जीवाड़े की सही तरीके से जांच की जाए तो सोनी का 50 करोड़ से ज्यादा का फर्जीवाड़ा सामने आएगा।
अनुराग सोनी बीएलसी योजना समेत कई योजनाओं में फर्जीवाड़ा कर चुका है, लेकिन हर बार एजेंसी का नाम बदलकर यही व्यक्ति निगम में काम कर रहा है। निगम की ऑडिट शाखा द्वारा बैंक खाता में दो करोड़ की राशि कम होने की जानकारी जैसे ही वरिष्ठ अफसरों को दी गई और जांच हुई तो सोनी के साथ तत्कालीन उपायुक्त डॉ. प्रणय कमल खरे, अहफाज हुसैन, दिनेश कनौजिया, राजकुमार गुप्ता के साथ भी उजागर हुए।
दो करोड़ की राशि से जुड़े दस्तावेज न होने के कारण ऐसा अंदेशा लगाया जा रहा है कि सोनी ने डीपीआर में फर्जी नाम जोड़कर उन्हें बैंक से निकाल लिया है। ऑडिट की आपत्ति के बाद भी बैंक से राशि निकलती रही और 2 करोड़ 5 की जगह अंत में बैंक खाता में दो करोड़ 25 लाख 40 हजार रुपए का अंतर पाया गया।
फैक्ट फाइल-
– 816 तीसरी व 3337 चौथी डीपीआर में पाई गई थी गड़बड़ी।
– 1903 हितग्राही जांच में पाए गए थे फर्जी।
– 2020 में सामने आया मामला, कोरोनाकाल में दबाया।
– 02 साल में न राशि वसूली न ही हुई कार्रवाई।
खरे सेवानिवृत्त, गुप्ता का हुआ स्थानांतरण
विवादों के बीच तत्कालीन उपायुक्त डॉ. प्रणय कमल खरे पिछले महीनों में सेवानिवृत्त हो गए तो वहीं निगमकर्मी राजकुमार गुप्ता का मकरोनिया नगरपालिका में स्थानांतरण हो गया है। अनुराग सोनी अब भी एजेंसियों के नाम बदलकर निगम में काम रहा है जबकि अहफाज व दिनेश अब भी निगम में सेवाएं दे रहे हैं।