अधिकतर आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थिति यह है कि बमुश्किल एक कमरा उन्हें मिल पाया है। कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं की मुश्किल यह है कि कमरे में सामान ठूंसे या बच्चों को बैठाएं। ग्रामीण इलाकों की स्थिति और भी अधिक खराब है। जिन्हें पोषण आहार भी उसी एक कमरे के केंद्र में बनवाना पड़ता है। शहरी क्षेत्र में पका खाना पहुंचाने की व्यवस्था है।
सरकार का दावा है कि 91 हजार आंगनबाड़ी केंद्रों में पीने के पानी की व्यवस्था है। लेकिन दिलचस्प है कि शौचालय 94 हजार केंद्रों में होने की बात कही गई है। यानी की 3 हजार ऐसे केंद्र हैं जहां शौचालय तो हैं पर पीने के पानी का इंतजाम सरकार नहीं कर पाई है।
97 हजार कुल आंगनबाड़ी केंद्र
43 हजार के पास अपना भवन
24 हजार सरकारी स्कूल में संचालित
21 हजार किराए के मकान में
44 सौ पंचायत भवनों में
91 हजार में पीने का पानी उपलब्ध
94 हजार के पास शौचालय