केंद्रीय जेल अधीक्षक संतोष सोलंकी के अनुसार संक्रमण की चर्चाओं के चलते एहतियात बरता जा रहा है। इसके लिए बाहर पेशी से लौटने वाले बंदी और नई आमद को अन्य बंदियों के साथ न रखने का निर्णय लिया है। ऐसे बंदियों को दूसरे बंदियों के संपर्क में आने से रोकने परिसर में ही एक बैरक को आइसोलेशन वार्ड में बदला गया है। गुरुवार तक इस वार्ड में 85 बंदी रखे गए हैं। यहां दस दिन पूरे करने पर इन बंदियों को अन्य बैरक में शिफ्ट करेंगे। महिलाओं के लिए भी अलग वार्ड में रखने के इंतजाम किए हैं।
केंद्रीय जेल में बैरकों की क्षमता 894 है जबकि गुरुवार शाम को लॉकअप के समय बैरकों में बंदियों की संख्या 1842 दर्ज है। इन बंदियों को भी संक्रमण से बचाव के संबंध में जागरुक किया जा रहा है। इसके अलावा बंदियों को स्वच्छता, एक-दूसरे से दूरी बनाकर रखने व बार-बार हाथ धोते रहने की समझाइश दी गई हैं। उन्हें हैंड वॉश भी दिए जा रहे हैं वहीं परिसर में भी सेनिटाइजेशन करा रहे हैं।
बंदी मास्क के रूप में तैयार कर रहे रक्षा कवच –
केंद्रीय जेल अधीक्षक संतोष सोलंकी ने बताया कि कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए बाजार में मास्क की कमी के चलते हो रही कालाबाजारी की खबर है। इसको देखते हुए बंदियों के माध्यम से सस्ते और प्रभावी मास्क तैयार कराए जा रहे हैं। लगभग 200 से 500 मास्क प्रतिदिन तैयार कराने का लक्ष्य है ताकि इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके। हाल ही में मेडिकल कॉलेज और कुछ संस्थाओं को भी यह मास्क उनके ऑर्डर पर उपलब्ध कराए गए हैं। अभी भी कई जगहों से मांग की जा रही है।