scriptएक चिट्ठी…जिसने ‘ताऊ’ के घर पड़वा दी ‘रेड’, जो लिखा था, वह सही निकला | A letter who got the house of 'Tau', 'Red', which was written | Patrika News

एक चिट्ठी…जिसने ‘ताऊ’ के घर पड़वा दी ‘रेड’, जो लिखा था, वह सही निकला

locationसागरPublished: Apr 17, 2018 11:51:41 am

अजय देवगन स्टारर फिल्म रेड से मिलती है समिति प्रबंधक के छापे की कहानी
 
 

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सागर. लोकायुक्त पुलिस ने सोमवार को सहकारी समिति प्रबंधक अशोक दुबे को आय से अधिक संपत्ति के मामले में जिस शिकायत के आधार पर घेरा, वह छोटी सी शिकायत करीब चार माह पहले की गई थी। अस्पष्ट नाम से की गई शिकायत एक सादा आवेदन के रूप में लोकायुक्त कार्यालय को भेजी गई थी, लेकिन वह इतनी सटीक थी कि जांच कराई तो सारे तथ्य और शिकायतें सही पाई गईं। जिसके बाद लोकायुक्त एसपी के निर्देशन में टीम तैयार हुई और सोमवार को पूरे ऑपरेशन को अंजाम तक पहुंचाते हुए समिति प्रबंधक की बेनामी संपत्ति उजागर कर दी गई। माना जा रहा है कि दुबे से परेशान किसी ग्रामीण द्वारा यह शिकायत की गई थी।

कहां से आया बंगला और करोड़ों की जमीन
लोकायुक्त सूत्रों के अनुसार करीब चार माह पहले एक आवेदन लोकायुक्त एसपी ऑफिस पहुंचा था। आवेदन में बेरखेड़ी सहकारी समिति के प्रबंधक अशोक दुबे द्वारा किए गए भ्रष्टाचार का उल्लेख था। अस्पष्ट नाम से शिकायत करने वाले व्यक्ति ने अपने गांव का नाम धनौरा लिखा है। उसकी शिकायत थी कि दुबे १९८७-८८ में सहकारी समिति के सहायक के रूप में नौकरी में आए और पदोन्नत होकर प्रबंधक बने। जब सहकारी समिति की सेवा में आए, तब उनके पास कुछ नहीं था लेकिन अब लाखों का आलीशान बंगला है। करोड़ों रुपए की भूमि है और स्वयं एवं परिवार के सदस्यों के नाम बैंक बैलेंस सहित दूसरी संपत्तियां भी हैं। अब तक की नौकरी के दौरान वेतन से मिलने वाली राशि से कई गुना अधिक संपत्ति आखिर कहां से आई?

रेड से मिलती है कहानी
यह कहानी अजय देवगन की फिल्म रेड से खूब मिलती है। उसमें भी एक अनाम शख्स आयकर अधिकारी (अजय देवगन) को चिट्ठी भेजता है और वह उसी आधार पर कार्रवाई करता जाता है। फिल्म में ताऊजी (सौरभ शुक्ला) के घर अजय रेड
मारते हैं। बाद में सामने आता है कि यह चिट्ठी ताऊ के परिवार के एक सदस्य ने ही भेजी थी।

बंगले का मूल्य ही वेतन से कहीं ज्यादा
दुबे राजीव नगर में जिस आलीशान मकान में रहते हैं उसका बाजार मूल्य ३० लाख से अधिक है। जबकि १९८७ से अब तक की उनकी वेतन जोड़ दी जाए तो यह १५ लाख से अधिक नहीं होती। एेसे में उनके द्वारा दो गुनी कीमत का भवन और अन्य आवासी भूखण्ड, कृषि भूमि और अन्य संपत्ति जुटाई गई। इसकी जांच लोकायुक्त पुलिस द्वारा की जा रही है।

४० से ज्यादा रजिस्ट्री, ३० बैंक खाते मिले
लोकायुक्त टीआई संतोष जामरा ने बताया जांच में समिति प्रबंधक के बंगले और गढ़ाकोटा के पास स्थित पैतृक गांव बसारी से ४० से ज्यादा आवासीय और भूमि की रजिस्ट्रियां मिली हैं। ये जमीनें गढ़ाकोटा तहसील के बसारी और राहतगढ़ तहसील के मुहास गांव खसरों में दुबे और उनके परिजनों के नाम से दर्ज हैं। जमीन की रजिस्ट्रियों से उनके बाजार मूल्य का आंकलन किया जा रहा है लेकिन प्राथमिक तौर पर ही यह १.५० करोड़ से ज्यादा की हैं। अब तक दुबे के पास से मिली चल-अचल संपत्ति २.५० से ३ करोड़ मूल्य की होने की जानकारी सामने आई है। टीम मंगलवार को पीडब्ल्यूडी विभाग से भवन का मूल्यांकन कराने के साथ ही बैंक खातों की जांच कर जमा राशि का पता लगाते हुए उनहें सीज कराएगी। पुलिस दुबे द्वारा जमा की गई अन्य बेनामी संपत्ति की भी पड़ताल जारी है।

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