विधायक के विधानसभा में ट्रस्ट संबंधी प्रश्न लगाने के बाद मचा हड़कंप, जाने कारण
दस जुलाई को विधानसभा में मिलेगा उत्तर

बीना. हमेशा से ही ट्रस्ट के जुड़ी जमीन व आय-व्यय को लेकर विवाद की स्थिति बनी रहती है। ट्रस्ट की आय-व्यय की सही जानकारी पाने के लिए लोग अधिकारियों के चक्कर काटते रहते हैं, लेकिन लोगों को सही जानकारी नहीं मिल पाती है, जिसकी आड़ में बड़ा घोटाला होने की आशंका लोगों को रहती है। बार-बार शिकायतें मिलने व क्षेत्र की जनता को धार्मिक ट्रस्ट की जमीनों व आय व्यय की सही जानकारी उपलब्ध कराने के लिए विधायक महेश राय ने विधानसभा सत्र में जानकारी लेने के लिए प्रश्न लगाया है। ताकि जनता में धार्मिक स्थलों को लेकर किसी भी प्रकार का संशय न रहे और उन तक इसकी सही जानकारी पहुंच सके। गौरतलब है कि बीना विधानसभा के अंतर्गत दर्जनों ट्रस्टी संस्थाएं हैं, जिनमें सभी धर्म के ट्रस्ट शामिल हैं। ट्रस्ट की आड़ में कई लोगों द्वारा गड़बड़ी की जा रही है। जिसका सही लेखाजोखा भी नहीं मिल पाता है। प्रश्न लगने की जानकारी के साथ ही ट्रस्ट संचालकों में हड़कंप मच गया है, क्योंकि इस ओर अभी तक किसी का ध्यान नहीं गया था।
क्षेत्र की जनता जानना चाहती है यह जानकारी
क्षेत्र की जनता जो जानकारी चाहती है उसके संबंध में विधायक ने विधानसभा में प्रश्न लगाया है कि बीना विधानसभा क्षेत्र में कुल कितने ट्रस्टी मंदिर हैं और उनके पास कृषि की कितनी भूमि हैं? कृषि आय से ट्रस्ट द्वारा किस-किस मद में कितनी राशि व्यय की जाती है? शासन द्वारा ट्रस्ट को राशि व्यय करने की कितनी सीमा और किन-किन मदों को निर्धारित किया गया है। शासन द्वारा मंदिरों का ऑडिट कराया जाता है या नहीं इसकी जानकारी भी प्रश्न के माध्यम से मांगी गई है। जिसमें पिछले तीन वर्षों की ऑडिट रिपोर्ट भी मांगी गई है। साथ ही मंदिर ट्रस्ट की राशि का उपयोग जनमानस के कल्याण में व्यय की जा सकती है या नहीं इसकी जानकारी भी 10 जुलाई को विधानसभा में दी जाएगी। विधानसभा में प्रश्न लगने के बाद शहर के हर व्यक्ति की नजर 10 जुलाई को मिलने वाले उत्तर पर टिकी है।
खेती की जमीन के मुआवजे की भी नहीं रहती जानकारी
जानकारों की माने तो विधानसभा क्षेत्र में करीब पांच हजार एकड़ से ज्यादा खेती की जमीन ट्रस्ट से जुड़ी हुई है। जिसके फसल में तुषार व ओलावृष्टि, अतिवृष्टि होने की स्थिति में मुआवजा भी मिलता है। इस राशि की जानकारी भी लोगों को नहीं मिल पाती है। इस संबंध में कुछ लोगों द्वारा आरटीआई के माध्यम से जानकारी मांगी जा रही है।
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