बता दें कि जिले में बीना, शाहगढ़, बंडा और टीबी अस्पताल ही कंपनी से अनुबंधित हैं, लेकिन इसमें से बीना अस्पताल से अब मेडिकल वेस्ट नहीं उठाया जा रहा है। कंपनी के अफसरों की माने तो अस्पताल प्रबंधन द्वारा करीब ६ साल से बिलों का वेरीफिकेशन नहीं किया और वेतन देने से इंकार कर दिया था। इस वजह से अब अस्पताल से रसायनिक कचरे उठाना बंद हो गया है। साफ है कि अस्पताल से निकलने वाले मेडिकल वेस्ट का निष्पादन सही ढंग से न होने से पीसीबी के नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
-मेडिकल कॉलेज का ६ लाख बकाया
इधर, भुगतान न करने के मामले में जिला अस्पताल प्रबंधन भी पीछे नहीं है। हालांकि प्रबंधन कंपनी का भुगतान तो समय पर कर रही है, लेकिन बीएमसी को मिलने वाली ६ लाख रुपए की राशि अभी तक नहीं दी है। इस संबंध में डीन ने प्रबंधन को पत्र लिखकर जल्द भुगतान करने की बात कही है। बता दें कि एक बेड के हिसाब से मेडिकल वेस्ट उठाने पर कंपनी को ८.५० रुपए दिए जाते हैं। लेकिन इसमें से एक रुपए की राशि घटाकर प्रबंधन को मेडिकल कॉलेज को देनी होती है।
-७० फीसदी जगहों पर पीसीबी का उल्लंघन
जिले के ११ ब्लॉकों में एक-एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। इसके अलावा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और उप स्वास्थ्य केंद्र संचालित हैं। इन जगहों से प्रतिदिन बड़ी मात्रा में बायोमेडिकल वेस्ट निकलता है। हैरानी की बात यह है मौजूदा समय में सिर्फ ३ ब्लॉकों से पीसीबी के नियमों का पालन हो रहा है, लेकिन शेष ब्लॉकों में संचालित स्वास्थ्य संस्थाओं में पीसीबी के नियमों का माखौल उड़ रहा है।
फैक्ट फाइल
१०५- निजी व सरकारी संस्थाएं पंजीकृत।
५०- नर्सिंग होम और क्लीनिक
४०-छोटी अस्पतालें।
एक भी पैथोलॉजी नहीं अनुबंधित
पत्र लिखेंगे
कंपनी ने पत्र लिखकर भुगतान न होने के कारण कचरा न उठाने की बात कही है। मैंने सीएमचओ को पत्र लिखकर जल्द भुगतान करने को कहा है। जहां तक जिला अस्पताल द्वारा भुगतान न किए जाने की बात है तो उन्होंने बीएमसी का भुगतान रोका है। कंपनी को भुगतान कर रही है।
डॉ. जीएस पटेल, डीन बीएमसी
मैं दिखवाता हूं
रसायनिक कचरे के भुगतान को लेकर बजट की मांग की है। मामला मेरे संज्ञान में है, जल्द ही भुगतान कराया जाएगा। अन्य स्वास्थ्य संस्थाएं भी इसमें शामिल की जाएंगी।
डॉ. एमएस सागर, सीएमचओ