scriptबीना के बाद अब बंडा, शाहगढ़ और टीबी अस्पताल से नहीं उठेगा रसायनिक कचरा | After Bina, chemical waste will not rise from Banda, Shahgarh and TB h | Patrika News

बीना के बाद अब बंडा, शाहगढ़ और टीबी अस्पताल से नहीं उठेगा रसायनिक कचरा

locationसागरPublished: Feb 17, 2020 08:46:22 pm

-सीएमएचओ के आधीन सरकारी स्वास्थ्य संस्थाओं से मेडिकल वेस्ट उठाने वाली कंपनी ने डीन को लिखा पत्र-६ साल से कंपनी को नहीं मिली फूटी कौड़ी, कंपनी ने १० में भुगतान न होने पर कचरा उठाना बंद करने की दी चेतावनी।

बीना के बाद अब बंडा, शाहगढ़ और टीबी अस्पताल से नहीं उठेगा रसायनिक कचरा

बीना के बाद अब बंडा, शाहगढ़ और टीबी अस्पताल से नहीं उठेगा रसायनिक कचरा

सागर. जिले की कई सरकारी स्वास्थ्य संस्थाएं अस्पताल से निकलने वाले रसायनिक कचरे का उठाव तो करा रही हैं, लेकिन भुगतान करने में कंजूसी दिखा रही हैं। डेविस सर्जिको ने मेडिकल कॉलेज के डीन को पत्र लिखकर जल्द भुगतान कराए जाने की मांग की है। साथ ही पत्र में लिखा है कि यदि १० दिन के अंदर भुगतान नहीं होता है तो वह इन संस्थाओं से मेडिकल वेस्ट को नहीं उठाएगी। सीएमएचओ के अधिकार क्षेत्र में आने वाले ४ ब्लॉकों के स्वास्थ्य केंद्रों से रसायनिक कचर का उठाव हो रहा है। खासबात यह है कि वर्ष २०१४ से कंपनी को भुगतान नहीं हुआ है। इन संस्थाओं पर १४ लाख रुपए की राशि बकाया है। कंपनी द्वारा कई बार पत्र लिखकर राशि की मांग की जा चुकी है, लेकिन भुगतान न होने पर कंपनी अब रसायनिक कचरा न उठाने का निर्णय लेने जा रही है।
-बीना में कंपनी ने बंद किया काम

बता दें कि जिले में बीना, शाहगढ़, बंडा और टीबी अस्पताल ही कंपनी से अनुबंधित हैं, लेकिन इसमें से बीना अस्पताल से अब मेडिकल वेस्ट नहीं उठाया जा रहा है। कंपनी के अफसरों की माने तो अस्पताल प्रबंधन द्वारा करीब ६ साल से बिलों का वेरीफिकेशन नहीं किया और वेतन देने से इंकार कर दिया था। इस वजह से अब अस्पताल से रसायनिक कचरे उठाना बंद हो गया है। साफ है कि अस्पताल से निकलने वाले मेडिकल वेस्ट का निष्पादन सही ढंग से न होने से पीसीबी के नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
-मेडिकल कॉलेज का ६ लाख बकाया

इधर, भुगतान न करने के मामले में जिला अस्पताल प्रबंधन भी पीछे नहीं है। हालांकि प्रबंधन कंपनी का भुगतान तो समय पर कर रही है, लेकिन बीएमसी को मिलने वाली ६ लाख रुपए की राशि अभी तक नहीं दी है। इस संबंध में डीन ने प्रबंधन को पत्र लिखकर जल्द भुगतान करने की बात कही है। बता दें कि एक बेड के हिसाब से मेडिकल वेस्ट उठाने पर कंपनी को ८.५० रुपए दिए जाते हैं। लेकिन इसमें से एक रुपए की राशि घटाकर प्रबंधन को मेडिकल कॉलेज को देनी होती है।
-७० फीसदी जगहों पर पीसीबी का उल्लंघन

जिले के ११ ब्लॉकों में एक-एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। इसके अलावा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और उप स्वास्थ्य केंद्र संचालित हैं। इन जगहों से प्रतिदिन बड़ी मात्रा में बायोमेडिकल वेस्ट निकलता है। हैरानी की बात यह है मौजूदा समय में सिर्फ ३ ब्लॉकों से पीसीबी के नियमों का पालन हो रहा है, लेकिन शेष ब्लॉकों में संचालित स्वास्थ्य संस्थाओं में पीसीबी के नियमों का माखौल उड़ रहा है।

फैक्ट फाइल
१०५- निजी व सरकारी संस्थाएं पंजीकृत।

५०- नर्सिंग होम और क्लीनिक
४०-छोटी अस्पतालें।

एक भी पैथोलॉजी नहीं अनुबंधित

पत्र लिखेंगे
कंपनी ने पत्र लिखकर भुगतान न होने के कारण कचरा न उठाने की बात कही है। मैंने सीएमचओ को पत्र लिखकर जल्द भुगतान करने को कहा है। जहां तक जिला अस्पताल द्वारा भुगतान न किए जाने की बात है तो उन्होंने बीएमसी का भुगतान रोका है। कंपनी को भुगतान कर रही है।

डॉ. जीएस पटेल, डीन बीएमसी

मैं दिखवाता हूं
रसायनिक कचरे के भुगतान को लेकर बजट की मांग की है। मामला मेरे संज्ञान में है, जल्द ही भुगतान कराया जाएगा। अन्य स्वास्थ्य संस्थाएं भी इसमें शामिल की जाएंगी।

डॉ. एमएस सागर, सीएमचओ

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