कबाड़ आवासों में रह रहे पुलिसकर्मी –
पुलिस लाइन परिसर में लगातार नवीन भवन तैयार हो रहे हैं लेकिन अब भी पुराने और जर्जर आवास जिन्हें अनुपयोगी घोषित किया जा चुका है वहां पुलिस आरक्षकों के परिवार रह रहे हैं। खपरैल आवासों की दीवारों में लगी ईटों का क्षरण हो चुका है जिससे उनमें दरारें आ गई हैं। छप्पर की लकडिय़ां सड़ चुकी हैं और तेज हवा-आंधी में छप्पर भी अस्त-व्यस्त हो जाता है। इन जर्जर आवासों में रहने वाले परिवार के सदस्य भी ईट-कबेलू गिरने से घायल हो चुके हैं। जिसके चलते दो साल पहले तत्कालीन पुलिस अधीक्षक ने नवीन आवास में आवंटन के साथ इन आवासों को खाली कराने के भी निर्देश दिए थे लेकिन नए आवास कम होने के कारण पुलिस परिवारों ने पुराने आवास नहीं छोड़े।
जर्जर भवन में चल रहा शिक्षाधिकारी कार्यालय –
जिले के शिक्षा अधिकारी कार्यालय का आधा काम-काज अभी भी पुराने भवन में चल रहा है। इस भवन का पश्चिमी खपरैल हिस्से का उपयोग तो बंद कर दिया गया है लेकिन पूर्वी भवन के अधिकांश कमरों में कार्यालयीन काम होता है। दो मंजिला इस भवन के ऊपरी हिस्से में खपरैल छत है जो बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुकी है। कुछ कमरों में दरवाजों पर लगे पत्थर दरक चुके हैं ओर ये कभी भी छत को लेकर नीचे आ सकते हैं। वहीं निचली मंजिल में भी छत से प्लास्टर उखड़ चुका है और अब करीब सवा सौ साल पुरानी छत की ईट भी नजर आने लगी हैं। कुछ हिस्से इतने कमजोर हो चुके हैं कि तेज बरसात में इनके ढह जाने का अंदेशा बढ़ जाता है।
पॉवर हाउस के शेड से हादसे का अंदेशा –
बस स्टैंड के नजदीक बिजली बनाने वाला संयत्र एक अरसे से बंद है। बिजली का उत्पादन बंद होने के बाद से इसकी देखरेख पर भी बिजली कंपनी द्वारा ध्यान देना बंद कर दिया गया जिसकी वजह से इसकी दीवारें और छत का शेड बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है। सीमेंट की चादर लोहे के स्ट्रक्चर को छोड़कर अस्त-व्यस्त हो चुकी है। तेज आंधी में इन चादरों के40 फीट ऊंचाई से नीचे सड़क पर गिरने से किसी भी वाहन चालक की जान खतरे में पड़ सकती है। हवा में हिलती-खडख़ड़ाती ये सीमेंट की चादरें अब खतरे की टंकी बन गई हैं लेकिन बिजली कंपनी को इसकी मरम्मत की सुध नहीं है।