संभाग में 9703 आंगनबाड़ी केंद्र हैं। जिनमें से शासकीय भवनों में 6667 केंद्र संचालित हो रहे हैं। इनमें अन्य विभागों के भी शासकीय भवन शामिल हैं और 2820 केंद्रों को किराए के भवनों में चलाया जा रहा है। जिनका किराया महीनों से भुगतान ही नहीं किया गया। वहीं 216 भवन ऐसे भी हैं जो कागजों पर ही चल रहे हैं।
घरों में एक कमरे में चल रहे हैं केंद्र
केन्द्र घरों के बिल्कुल अंदर के कमरों में संचालित हैं, जहां कोई दूसरा व्यक्ति पहुंच ही नहीं सके। पहचान के लिए लिखावट कहीं नजर नहीं आती। यूं तो आंगनबाड़ी केन्द्र किसी सरकारी बिल्डिंग या स्कूल में होने चाहिए। जगह के अभाव में किराये पर कमरा लेकर इन्हें संचालित किया जाता है, लेकिन शहर में ज्यादातर केन्द्र घरों में ही चल रहे हैं, लेकिन विभागीय अधिकारी इस ओर देख तक नहीं रहे। केन्द्र पर कितना पोषाहार आ रहा है और वह कितना बंट रहा है। इसका लेखा-जोखा सिर्फ कागजों तक ही है।
सागर सहित देश-दुनिया की खबरें फेसबुक पेज पर भी
इतना मिलता है किराया
250 रुपए प्रतिमाह ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित आंगनबाड़ी केंद्र
750 रुपए प्रतिमाह शहरी क्षेत्रों में संचालित आंगनबाड़ी केंद्र
घट रही है बच्चों की उपस्थित
किराए से संचालित होने वाले केंद्रों पर सुविधाएं न मिलने की वजह सें क्रेंद्रों पर बच्चों की उपस्थिति बेहद कम रहती है। एमएलबी स्कूल (क्रं१) के पीछे बना आंगनबाड़ी सेंटर छोटी सी गली में ही संचालित हो रहा है। गली ऐसी ही जहां बच्चों के अभिभावक ही खड़े नहीं हो सकते हैं। बाहुवली कॉलोनी के सेंटर के भी यहीं हाल है। यहां बच्चों की संख्या कम रहती है।
बजट नहीं मिला
सागर जिले में 2633 सेंटर हैं जिनमें से 754 सेंटर किराए के भवनों में चल रहे हैं। अक्टूबर 2018 से संचालनालय द्वारा बजट न मिलने से किराए का भुगतान नहीं हुआ है। बजट आते ही भुगतान किया जाएगा।
भरत सिंह राजपूत, महिला एवं बाल विकास अधिकारी सागर